#RememberingOurKargilHeroes : ऑपरेशन विजय के नायक अजय सिंह जसरोटिया की वीरगाथा, जिन्होंने युद्ध के दौरान अपने 6 जवानों की बचाई जान
    15-जून-2023
 
Major Ajay Singh Jasrotia Sena Medal
 
 

जून 1999 में, जब दुश्मन ने उत्तर-पश्चिम की ओर विस्तार करते हुए कारगिल की सड़क को बाधित करने के उद्देश्य से तोलोलिंग पर कब्जा कर लिया था, तो भारतीय सेना के लिए उन बिंदुओं को फिर से हासिल करना अनिवार्य हो गया था, जिन पर दुश्मन ने कब्जा कर लिया था। 17 हजार फुट ऊंची तोलोलिंग चोटी पर कब्जा जमाए बैठे पाकिस्तानी सैनिक लगातार भारतीय सैनिकों पर गोलीबारी कर रहे थे।

 
 
पाकिस्तानी सैनिकों के नापाक इरादों को मुंहतोड़ जवाब देने और दुश्मनों के कब्जे से प्वांइट 5140 को वापिस हासिल करने का जिम्मा मेजर अजय सिंह जसरोटिया की टुकड़ी को मिला। तोलोलिंग रिज लाइन पर यह सबसे बड़ी पोजिशन थी जिस पर पाकिस्तानी सेना ने कब्जा कर रखा था। 3 अलग-अलग दिशाओं से 3 बटालियनों को इस मिशन को पूरा करने के लिए भेज गया। जिसमें गडवाल राइफल, जम्मू कश्मीर राइफल और नागा रजिमेंट शामिल थीं। जम्मू कश्मीर राइफल की कमान मेजर जसरोटिया के पास थी।


 
Ajay SIingh Jasrotia
 
 
15 जून 1999
 

मेजर अजय सिंह जसरोटिया ने 15 जून 1999 को 56 माउंटेन ब्रिगेड का नेतृत्व करते हुए आगे बढ़ रहे थे कि तभी दुश्मन ने भारी गोलीबारी शुरू कर दी। पहला शैल फटने से उनकी टुकड़ी के 6 जवान घायल हो गए। दुश्मनों की गोलीबारी से खुद को सुरक्षित रखने के लिए जवानों ने इधर-उधर भागना शुरू कर दिया। मेजर जसरोटिया ने स्थिति को संभालते हुए सभी को प्रशासनिक बेस में कवर लेने का आर्डर दिया। दुश्मनों की भारी गोलीबारी के बीच मेजर जसरोटिया ने हमले में घायल अपने 6 जवानों को रेस्कयू करने का काम जारी रखा। अपने जान की परवाह ना करते हुए मेजर जसरोटिया घायल जवानों को अपनी पीठ पर लादकर सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने लगे।

 
 
वीरगति को प्राप्त होने से पहले 6 जवानों को दे गए जीवन दान  
 
 
दूसरी तरफ दुश्मनों का हमला जारी था। इसी दौरान मेजर अजय सिंह जसरोटिया के समीप एक गोला आकर गिरा जिससे वे गंभीर रूप से घायल हो गए। उनकी स्थिति लगातार बिगडती जा रही थी, लेकिन उन्होंने अपनी जान की परवाह ना करते हुए अपने साथियों की जान बचाते रहे। अंततः कुछ क्षण के उपरान्त मेजर अजय सिंह जसरोटिया रणभूमि में अपने प्राण त्यागकर वीरगति को प्राप्त हो गए। किन्तु युद्ध भूमि में वीरगति को प्राप्त होने से पहले अजय सिंह जसरोटिया अपने 6 जवानों को जीवनदान दे गए। युद्ध के दौरान अदम्य साहस, वीरता और उनके कौशल नेतृत्व के लिए उन्हें मरणोपरांत सेना मेडल से सम्मानित किया गया।