यादों में विश्व विख्यात शिक्षाविद् पद्मश्री वेद कुमारी घई ; जिन्होंने नीलमत पुराण का अंग्रेजी में किया था अनुवाद
करीब 39 वर्ष तक शिक्षा के क्षेत्र में अपनी अहम योगदान देने और नीलमत पुराण का अंग्रेजी में अनुवाद कर इसे विदेशों तक पहुंचाने वाली विख्यात शिक्षाविद् व समाज सेविका प्रो. वेद कुमारी घई का 30 मई 2023 को निधन हो गया। उन्होंने 91 वर्ष की उम्र में अपने आवास सैनिक कॉलोनी में अंतिम सांसे ली। शिक्षा और समाज में उनके द्वारा दिए गए अहम योगदान के लिए प्रो. वेद कुमार घई को मार्च 2014 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
परिचय और प्रारंभिक शिक्षा
पद्मश्री प्रो. वेद कुमारी घई का जन्म 16 दिसंबर 1931 को जम्मू संभाग के प्रताप गढ़ मोहल्ला में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा जम्मू में पूरी की। तत्पश्चात 1953 में पंजाब विश्वविद्यालय से उन्होंने संस्कृत में MA और 1958 में प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति में MA किया। इसके उपरान्त उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से 1960 में संस्कृत भाषा में अपनी PHD पूरी की। प्रो. वेद कुमारी घई ने अपने करियर की शुरुआत गवर्नमेंट कॉलेज फॉर वूमेन, परेड, जम्मू में संस्कृत के प्रोफेसर के रूप में की थी। 31 दिसंबर 1991 को अपनी सेवानिवृत्ति तक वह स्नातकोत्तर स्तर के संस्कृत विभाग, जम्मू विश्वविद्यालय की प्रमुख थीं। उन्होंने 1966-1967 और 1978-1980 में भारतीय अध्ययन संस्थान, कोपेनहेगन विश्वविद्यालय, डेनमार्क में पाणिनि के संस्कृत व्याकरण और साहित्य को पढ़ाया । वह डोगरी भाषा की विद्वान थीं और हिंदी भी जानती थीं। वह सामाजिक कार्यों में भी शामिल थीं। इसके अलावा मौजूदा समय में वह श्री बाबा अमरनाथ श्राइन बोर्ड की सदस्य थीं।
सम्मान
शिक्षा और समाज में उनके अहम योगदान के लिए उन्हें वर्ष 2014 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
1995 में जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा सामाजिक कार्यों के लिए स्वर्ण पदक
1997 में संस्कृत के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार
2005 में डोगरा रतन पुरस्कार
2009 में आजीवन उपलब्धि पुरस्कार
2010 में स्त्री शक्ति पुरस्कार
स्त्री शक्ति पुरस्कार
समाज में उनका प्रमुख योगदान
संस्कृत में लिखे नीलमत पुराण का अंग्रेजी में अनुवाद किया जिस पर जापान के स्कॉलरों ने भी शोध किया
साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान
डोगरी भाषा में भी उनका बड़ा योगदान रहा
डेनमार्क में डोगरी फोनिटक पर भी उन्होंने काम किया
'वसुधैव कुटुम्बकम वेलफेयर सोसायटी' के माध्यम से 10,000 से अधिक बच्चों को शिक्षा दी जो अब तक निरंतर जारी है
मौजूदा वक्त में श्री बाबा अमरनाथ श्राइन बोर्ड की सदस्य भी थीं
2014 में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया
1953 से शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी प्रो. वेद घई जम्मू विश्वविद्यालय में संस्कृत विभाग की डीन व एचओडी भी रही
PM मोदी और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जताया दुःख
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पद्मश्री से सम्मानित वेद कुमारी घई के निधन पर बुधवार को शोक व्यक्त किया और कहा कि उनके अपार योगदान ने देश की सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक ट्वीट में मोदी ने कहा, ‘‘वेद कुमारी घई के निधन से दुखी हूं। उनके अपार योगदान ने हमारी सांस्कृतिक धरोहर को समृद्ध किया है। उनकी कृतियां विद्वानों को प्रेरित करती रहेंगी। उनके परिवार व प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदननाएं।’’
वहीं दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी उनके निधन पर शोक जताया। उन्होंने कहा कि प्रो. वेद कुमारी घई के निधन से दुखी हैं। वह एक महान संस्कृत विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता थीं, जिन्होंने साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके समृद्ध योगदान दिया। इसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। परिवार के प्रति उनकी गहरी संवेदना है।