महादेव के भक्तों के लिये बड़ी ख़ुशख़बरी ; अब भारत भूमि से ही हो सकेंगे पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन, चीन पर निर्भरता होगी ख़त्म

29 Jun 2023 12:22:38

Mount Kailash
 
भारत की अपनी पवित्र भूमि से महादेव के भक्त पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन कर सकेंगे। जी हाँ ये पढ़कर भले ही आपको आश्चर्य की अनुभूति हो रही हो किंतु यह 100 प्रतिशत सत्य है। दरअसल कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के दर्शनों के लिए अभी तक भारत की निभर्रता पूरी तरह से चीन पर थी। लेकिन, अब यह निर्भरता पूरी तरह से खत्म हो सकती है। दरअसल, देवभूमि उत्तराखण्ड के पिथौरागढ़ में ओल्ड लिपुलेख से कैलाश पर्वत के दर्शन अब पूरी तरह संभव है। चीन सीमा के करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई से महादेव के भक्तों को पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन हो सकेंगे।
 
उत्तराखण्ड का सरकारी तंत्र पूरी तरह से सक्रिय
 
उत्तराखंड में नाभीढ़ांग के ठीक ऊपर 2 किलोमीटर ऊंची पहाड़ी से तिब्बत में मौजूद कैलाश पर्वत आसानी से दिखाई देता है। हालांकि, अब तक इसकी जानकारी किसी को नहीं थी। लेकिन, हाल ही में कुछ स्थानीय लोग जब ओल्ड लिपुलेख की पहाड़ी पर पहुंचे तो वहां से पवित्र कैलाश पर्वत काफी करीब से दिखाई दिया। इस संभावना की वास्तविकता खोजने गई अधिकारियों की टीम को भी कैलाश पर्वत के दर्शन काफी आसानी से हो गए। टीम के सदस्य और धारचूला के SDM दिवेश शासनी ने बताया कि ओल्ड लिपुलेख से कैलाश पर्वत के दर्शन आसानी से हो सकते हैं। अब वे रिपोर्ट शासन को भेज रहे हैं, जिसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। बहरहाल अब इस संभावना को देखते हुए उत्तराखंड का सरकारी तंत्र भी पूरी तरह से सक्रिय हो गया है।
 
 
 
चीन पर निर्भरता ख़त्म !
 
ग़ौरतलब है कि बीते 3 वर्षों से चीन से अनुमति नहीं मिलने के कारण पवित्र मानसरोवर की यात्रा बंद है। लिहाज़ा ऐसे में जब भारत की अपनी भूमि से कैलाश पर्वत के दर्शन आसानी से हो रहे हों तो, संभावनाओं के कई द्वार एक साथ खुल रहे हैं। महादेव के भक्तों को अब चीन की अनुमति लेने की भी आवश्यकता नहीं होगी। चीन बॉर्डर को जोड़ने वाली लिपुलेख रोड बनने के बाद यहां तक पहुंचना तो काफी आसान हो ही गया है, साथ ही अपनी धरती पर ऐसे स्थान की तलाश होने से चीन पर निर्भरता भी पूरी तरह से खत्म हो सकती है।
 
तीर्थ दर्शन-पर्यटन की अपार संभावना
 
बहरहाल इस बात की जानकारी सामने आने के बाद उत्तराखण्ड सरकारी तंत्र पूरी तरह से तैयारियों में जुट चुका है। पर्यटन विभाग की मानें तो 2 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार करना यात्रियों के लिए अभी आसान नहीं है। लेकिन जल्द यहां तक पहुंचने के लिए भी रास्ता बनाया जा सकता है। पिथौरागढ़ के जिला पर्यटन अधिकारी कीर्ति आर्य ने मीडिया को इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि ओल्ड लिपुलेख पर रास्ता बनाना होगा, इसके अतिरिक्त पर्यटकों के लिए जरूरी सुविधाएं भी जुटाई जानी हैं। इसके बाद ही यहां पर्यटक आ सकेंगे।
 
असंभव आज संभव होता आ रहा नज़र
 
बहरहाल, मानसरोवर यात्रा को लेकर चीन की मनमानी और भारतीय श्रद्धालुओं की लाचारी के बीच भारत की भूमि से ही पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन की बात अब सत्य साबित हो चुकी है। ऐसे में ये सहज ही समझा जा सकता है कि इस इलाके का महत्व आने वाले दिनों में कितना बढ़ जाता है। देखना अब ये है कि केंद्र और राज्य सरकारें इस नई संभावना के लिए कैसा परिणाम सामने लाती है। यानि जो कभी असंभव नज़र आता था आज वो संभव होता हुआ नज़र आ रहा है।
 
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