शारदा मंदिर में वैदिक मंत्रोचारण के साथ प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा, श्रृंगेरी शारदा पीठम् के जगद्गुरु हुए शामिल
   05-जून-2023
 
Jagadguru of Sringeri consecrated Maa Sharda Temple at Tithwal LOC
 
 
जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में LOC के करीब स्थित तिथवाल में हिन्दू आस्था के प्रतिक माँ शारदा मंदिर में, श्रृंगेरी के दक्षिणमनाय श्री शारदा पीठम् के 37वें प्रमुख जगदगुरु श्रीश्री विधुशेखर भारती महास्वामी द्वारा सोमवार को मां शारदा की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हुआ। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में बड़ी संख्या में अनुयायी व स्थानीय लोग शामिल हुए। गौरतलब है कि कई दशकों बाद एक नामित शंकराचार्य ने कश्मीर का दौरा किया और माँ शारदा की प्रतिमा का अभिषेक कर पूजा अर्चना की। इससे पहले शंकराचार्य गत रविवार को हेलिकॉप्टर के जरिये तंगधार हेलीपैड पहुंचे और वहां से तिथवाल मंदिर पहुंचे। इस दौरान कुपवाड़ा के DC व एसएसपी अन्य अधिकारियों के साथ शंकराचार्य की अगवानी की।
 
 
 
 
Jagadguru Sringeri math

 
 
श्री श्रृंगेरी मठ और सेवा शारदा समिति द्वारा हुआ मंदिर का निर्माण 
 
बता दें कि मंदिर का निर्माण श्री श्रृंगेरी मठ और सेवा शारदा समिति कश्मीर द्वारा किया गया है। सेवा शारदा समिति कश्मीर का यह कदम सिर्फ मंदिर के पुनर्निमार्ण का ही नहीं, बल्कि शारदा सभ्यता की खोज की भी एक शुरुआत है। गृहमंत्री ने 22-मार्च-2023 को वर्चुअली इस मंदिर का उद्घाटन करते हुए अपने संबोधन में कहा था कि माँ शारदा मंदिर का पुनर्निमार्ण संपूर्ण भारत के श्रद्धालुओं के लिए एक शुभसंकेत है। अब माता शारदा की कृपा भारत पर युगों युगों तक बनी रहेगी। इसमें कोई दोराय नही है कि 370 हटने के बाद से जम्मू कश्मीर, फिर से अपने पुरानी पंरपराओं की ओर लौटा है। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को ख़त्म कर प्रदेश को उसकी गगां यमुनी तहजीब की ओर ले जाने का प्रयास हुआ है। उद्घाटन कार्यक्रम के दौरान प्रदेश के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद थे।
 
 
Sharda Peeth
 
 
शारदा पीठ - भारतीय सभ्यता व संस्कृति का केन्द्र
 
 
हिंदूओं का यह धार्मिक स्थल लगभग 5 हजार वर्ष पुराना है। प्राचीन काल से कश्मीर को शारदापीठ के नाम से ही जाना जाता है, जिसका अर्थ है देवी शारदा का निवास। यह मंदिर पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र PoJK में नीलम नदी के तट पर स्थित है। पाकिस्तान के कब्जे में जाने के बाद धीरे-धीरे यह मंदिर खंडित हो चुका है। मान्यता है कि देवी सती के शरीर के अंग उनके पति भगवान शिव द्वारा लाते वक्त यहीं पर गिरे थे। इसलिए यह 18 महाशक्ति पीठों में से एक है या कहें कि ये पूरे दक्षिण एशिया में एक अत्यंत प्रतिष्ठित मंदिर, शक्ति पीठ है। आज भारतीय हिंदू माता के दर्शन के लिए उत्सुक रहते है, लेकिन पाकिस्तान के कब्जे में होने के कारण कोई भारतीय आसानी से यहां नहीं जा पाता है।
 
 
Sharda Peeth teetwal
 
 
1948 तक, गंगा अष्टमी पर नियमित शारदापीठ यात्रा शुरू होती थी। भक्त नवरात्रों के दौरान मंदिर भी जाते हैं। विभाजन से पहले शारदा देवी का तिथवाल मंदिर विश्व प्रसिद्ध शारदा तीर्थ का आधार शिविर था। किशनगंगा नदी के तट पर स्थित मूल मंदिर और निकटवर्ती गुरुद्वारा को 1947 में पाकिस्तानी हमलावरों द्वारा नष्ट कर दिया गया था। तब से, न तो सरकारों और न ही किसी संगठन ने इन धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण के लिए कोई पहल की। शारदा पीठ देवी सरस्वती का कश्मीरी नाम है। यह छठी और बारहवीं शताब्दी के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक था और मध्य एशिया और भारत के विद्वान ऐतिहासिक शिक्षा के लिए यहां आते थे। गौरतलब है कि तिथवाल में शारदा मंदिर का पुनर्निर्माण शारदा पीठ की प्राचीन तीर्थयात्रा की पुन: शुरुआत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
 
 
 
Sharda Peeth teetwal LOC