
प्रधानमंत्री म्यूजियम और लाइब्रेरी सोसाइटी ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को एक पत्र भेजा है, जिसमें उनसे पंडित नेहरू से जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज़ वापस करने की मांग की गई है। ये दस्तावेज़ 2008 में UPA शासन काल के दौरान 51 बक्सों में भरकर सोनिया गांधी के पास भेजे गए थे। इनमें नेहरू के पर्सनल पत्र और अन्य ऐतिहासिक कागजात शामिल हैं। इन पत्रों को एडविना माउंटबेटन, अल्बर्ट आइंस्टाइन, जयप्रकाश नारायण, पद्मजा नायडू, और अन्य प्रमुख हस्तियों को लिखा गया था।
PM म्यूजियम और लाइब्रेरी सोसाइटी के सदस्य रिजवान कादरी ने बताया कि ये दस्तावेज़ पहले PM म्यूजियम का हिस्सा थे, और उन्होंने सोनिया गांधी से इनको वापस करने का अनुरोध किया था, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। इसके बाद अब राहुल गांधी को पत्र भेजा गया है। कादरी ने ये भी कहा कि यदि दस्तावेज़ लौटाए नहीं जाते हैं, तो इनकी स्कैनिंग की अनुमति दी जाए, ताकि इतिहासकार इनका अध्ययन कर सकें।
रिजवान कादरी ने बताया कि उन्होंने सितंबर 2024 में भी सोनिया गांधी को पत्र भेजा था, लेकिन जवाब नहीं मिला। अब उन्होंने राहुल गांधी से उम्मीद जताई है कि वह इन दस्तावेज़ों की सुरक्षा के लिए उचित कदम उठाएंगे। भाजपा सांसद संबित पात्रा ने भी इन पत्रों की अहमियत पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर इन दस्तावेज़ों में ऐसा क्या था, जिसे गांधी परिवार देश के सामने नहीं लाना चाहता। इस स्मारक में शुरू में सिर्फ नेहरू के ऐतिहासिक डॉक्यूमेंट्स ही मौजूद थे, जिनमें नेहरू के वर्ल्ड लीडर्स को लिखे लेटर शामिल थे। बाद में पता चला कि 51 बक्से ऐसे भी थे, जिनमें नेहरू के एडविना माउंटबेटन, जेपी नारायण और कई अन्य नेताओं को लिखे गए पत्र थे। अब सवाल यह है कि क्या विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल वाकई सोनिया गांधी से बात करेंगे कि वे इन पत्रों को देश को वापस लौटा दें।
जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री म्यूजियम की स्थापना दिल्ली के तीन मूर्ति मार्ग पर 306 करोड़ रुपये की लागत से हुई थी और इसे पहले नेहरू मेमोरियल म्यूजियम के नाम से जाना जाता था। 15 जून 2023 को हुई एक मीटिंग में नेहरू मेमोरियल का नाम बदलकर प्रधानमंत्री म्यूजियम रखा गया।