पाकिस्तान में होगी नवाज शरीफ की सत्ता वापसी? चुनावी नतीजों के बाद ये है राजनीति का गणित

    10-फ़रवरी-2024
Total Views |
 
Pakistan election analysis
 
 
पाकिस्तान के एक और चुनावों के बाद, एक बार फिर साबित हुआ कि, पाकिस्तान में आर्मी ही सर्वोपरि हो, कोई भी चुनी हुई सरकार Army Establishment की सत्ता को चुनौती नहीं दे सकती। पिछले 2 सालों में इमरान खान ने कोशिश की, आज वो जेल में है। इमरान समर्थकों को उम्मीद थी कि इमरान खान भले ही जेल में हों, लेकिन PTI समर्थित आजाद उम्मीदवारों को जिताकर सत्ता में बिठायेंगे, लेकिन वो ख्वाब भी पूरा होता नहीं दिख रहा।
 
 
पाकिस्तान में नेशनल असेंबली चुनावों के नतीजे 50 घंटों बाद भी स्पष्ट नहीं हो पाया है। अब तक रूझानों से जेल में बंद इमरान खान के समर्थक आजाद उम्मीदवार सबसे आगे ज़रूर हैं, लेकिन बहुमत से बहुत दूर। बल्कि अगली सरकार नवाज शरीफ की PML-N और बिलावल भुट्टो जरदारी की PPP के गठबंधन की बनेगी ये तय हो चुका है। ताज़ा आकंड़ों के मुताबिक नेशनल असेंबली की 265 सीटों में से करीब 100 सीटों पर पीटीआई समर्थक उम्मीदवार जीत रहे हैं। नवाज शरीफ की पार्टी PML-N 73 सीटों पर आगे है, जबकि बिलावल भुट्टो जरदारी की PPP के 54 उम्मीदवार बढ़त बनाये हुए हैं, इसके बाद 17 सीटों पर MQM-P के उम्मीदवार आगे हैं।
 
 
पीटीआई समर्थक उम्मीदवार सबसे आगे जरूर हैं, लेकिन तकनीकी रूप से ये सभी उम्मीद एक आजाद उम्मीदवार के तौर पर जीते हैं, तो हरेक की गिनती एक अलग आजाद MNA के रूप में होगी। यानि तकनीकी रूप से नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन ही नतीजों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है, जाहिर है सत्ता के लिए बुलावा भी नवाज की पार्टी को ही मिलेगा। चूंकि PML-N भी बहुमत से दूर है, तो मौके की नजाकत को देखते हुए आसिफ अली जरदारी ने मिलकर सरकार बनाने के लिए हामी भर दी है। यानि अगली सरकार PML-N और पीपीपी मिलकर बनायेगी। ठीक ऐसे ही जैसे 2 साल पहले तत्कालीन पीएम इमरान खान को विश्वासमत में हराकर, शाहबाज शरीफ को पीएम बनाकर मिलकर सरकार बनाई थी। मकसद सिर्फ इतना है कि इमरान खान जेल में रहे और उसकी पार्टी भी सत्ता से दूर ही रहे।
 
 
PML-N और पीपीपी की ये दोस्ती सिर्फ नेशलल असेंबली में नहीं है, बल्कि पंजाब प्रांत में भी PML-N और पीपीपी मिलकर प्रांतीय सरकार बनायेंगे। पंजाब प्रांत की 296 सीटों में से इमरान समर्थक उम्मीदवार 135 सीटों पर आगे है, जबकि PML-N भी 135 सीटों पर बढ़त बनाये हुए है। दोनों ही पार्टियां बहुमत से दूर हैं, ऐसे में PML-N ने यहां भी पीपीपी के 10 MPA के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है।
 
 
हालांकि सिंध में पीपीपी अपने दम पर एक बार फिर सरकार बनाते दिख रही है,यहां 130 सीटों में से 83 पर पीपीपी के उम्मीदवार आगे हैं, 27 पर MQM और 14 पर इमरान समर्थक आगे हैं।
 
 
हालांकि इमरान खान समर्थकों के हिस्से में खैबर पख्तूनख्वां प्रांत की सत्ता आती जरूर दिख रही है। यहां 113 सीटों में से 88 पर इमरान समर्थित आजाद उम्मीदवार आगे हैं, 7 सीटों पर फजलुर-रहमान की पार्टी JUI-F ने बढ़त बनायी हुई है और 5 सीटों पर पीएमएल-एन आगे है। हालांकि यहां भी इमरान समर्थित उम्मीदवार इंडीपेंडेंट कैंडिडेट स्टेट्स के साथ जीते हैं, तो मिलकर कैसे सरकार बनायेंगे। इस पर एक सवालिया निशान जरूर है, यानि चुनावों में धांधली को लेकर पीटीआई समर्थकों ने ज्यादा हंगामा किया, तो यहां भी आर्मी पीटीआई सरकार बनाने नहीं देगी, ये मुश्किल है।
 
 
यानि पाकिस्तान में सत्ता की सीधी कमान आर्मी चीफ यानि जनरल आसिम मुनीर के हाथों में ही रहेगी, चुनावी नतीजे भी उसी हिसाब से डिज़ाइन किये गये दिखते हैं। पाकिस्तान की राजनीति को करीब से समझने वाले जानकारों का मानना है कि अगर फेयर इलेक्शन होते और आर्मी धांधली न करती तो, इमरान खान की पार्टी नेशनल और प्रांतीय लेवल दोनों पर नवाज शरीफ और जरदारी की राजनीति का सफाया कर देती। लेकिन चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन ने पीटीआई का चुनाव चिन्ह बैट यानि बल्ला छीन लिया। इमरान के उम्मीदवार इंडीपेंडेंट कैंडिडेट्स के तौर पर किसी तरह चुनाव लड़े। लेकिन मतगणना में भी जमकर गड़बड़ी की गयी। इमरान समर्थक सबसे आगे जरूर जीते हैं, लेकिन इतने ही कैंडिडेट्स की जीतने दिया गया, जो नंबर सरकार के लिए जरूरी बहुमत से दूर हो।
 
 
ऐसे में अब पीएम नवाज शरीफ बन जरूर जायेंगे, लेकिन वो भी अकेले पूर्ण बहुमत न होने के चलते आर्मी के समर्थन पर निर्भर रहेंगे। पंजाब प्रांत में भी पीएमएल-एन का सीएम जरूर बन जायेगा। वहां भी आर्मी के समर्थन के बिना सत्ता में बने रहना मुश्किल होगा। आसिफ अली जरदारी और बेटे बिलावल भुट्टों पूर्ण समर्थन के साथ सिंध प्रांत में जीतकर खुश हैं, साथ में नेशनल लेवल पर भी पीएमएल-एन के साथ गठबंधन सरकार बनाकर कई महत्त्वपूर्ण मंत्रालय हथिया लेंगे। फिलहाल इतना पीपीपी के लिए काफी है..।
 
  
यानि सत्ता की इस बंदरबांट और डेमोक्रेसी के ड्रामे में कोई नया नतीजा सामने नहीं आया बल्कि वहीं पुरानी व्यवस्था पाकिस्तान के लोगों पर लाद दी गयी है। वहीं व्यवस्था जिसमें आर्मी चीफ के हाथों में असली सत्ता होती है, और जनता की उम्मीदों का बोझ... कथित रूप से चुनी हुई सरकार के मत्थे पर। जिसका ठींकरा फोड़कर आर्मी हर-बार, बार-बार चुनी हुई सरकार को 5 साल पूरा होने से पहले बर्खास्त करती आयी है। पिछले 75 सालों में आज तक कोई पीएम अपने 5 साल पूरे नहीं कर पाया, इस बार भी ऐसा ही होगा... अगला पीएम 5 साल से पहले कब बर्खास्त कर दिया जायेगा...वो तलवार हमेशा पीएम के सर पर लटकती रहेगी।