भारतीय कूटनीति की बड़ी जीत ; कतर से रिहाई के बाद सुरक्षित स्वदेश लौटे पूर्व भारतीय नौसैनिक, PM मोदी को लेकर कही बड़ी बात

    12-फ़रवरी-2024
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क़तर की जेल में बंद 8 पूर्व भारतीय नौसैनिकों को रिहा कर दिया गया है। जेल से रिहा किए जाने के बाद 8 में से 7 पूर्व सैनिक आज सुबह सुरक्षित स्वदेश वापस लौट चुके हैं। गौरतलब है कि यह वही पूर्व भारतीय नौसैनिक हैं जिन्हें क़तर की एक अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। लेकिन भारत की कुटनीतिक हस्तक्षेप के बाद क़तर ने इन सैनिकों के फांसी की सजा को माफ़ कर दिया था। अब फांसी की सजा माफ़ किये जाने के बाद आखिरकार कतर ने भारत के साथ दोस्ती की मजबूती को दिखाते हुए सभी सैनिकों को रिहा कर दिया है। रिहाई के बाद 7 पूर्व सैनिक वापस स्वदेश लौटे हैं।
 
 
स्वदेश लौटने के बाद क्या बोले पूर्व सैनिक ?
 
 
क़तर से सुरक्षित भारत लौटे पूर्व नौसैनिकों के चेहरे ख़ुशी से खिले हुए थे। एयरपोर्ट पर जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया तो उन्होंने कहा कि ' मजबूत भारतीय विदेश नीति के कारण आज यह संभव हुआ है।' PM मोदी की तारीफ़ करते हुए उन्होंने कहा कि आज अगर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं होते तो हमारा यहाँ आना असंभव था। हम भारत सरकार, क़तर की सरकार और सबसे अधिक हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद देते हैं। क्योंकि उनके ही स्वतः हस्तक्षेप के कारण आज हमारी वापसी हुई है।
 
 
 
 
 
क्या है पूरा मामला ?
 
 
रिपोर्ट्स के मुताबिक यह सभी पूर्व नेवी अफसर कतर की नौसेना को ट्रेनिंग देने वाली एक निजी कंपनी 'दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी' में काम करते थे। ओमान एयरफोर्स के रिटायर्ड स्क्वाड्रन लीडर खमिस अल अजमी 'दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी' के प्रमुख हैं। उन्हें भी 8 भारतीय नागरिकों के साथ गिरफ्तार किया गया था, लेकिन नवंबर में उन्हें छोड़ दिया गया। दरअसल 'फाइनेंशियल टाइम्स' की एक रिपोर्ट के अनुसार, सभी 8 भारतीयों पर इजराइल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया था। अल-जजीरा की एक रिपोर्ट की मानें तो इन लोगों पर कतर के सबमरीन प्रोजेक्ट से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी इजराइल को देने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, यह बात अलग है कि यह आरोप सिर्फ मीडिया की ख़बरों में रहे क्योंकि कतर सरकार ने कभी भी आरोप सार्वजनिक नहीं किए। 
 
 
भारतीय दूतावास को कब मिली जानकारी ?
 
 
भारतीय दूतावास को सितंबर 2022 के मध्य में पहली बार इन पूर्व भारतीय नौसैनिकों की गिरफ्तारी के बारे में जानकारी दी गई थी। इनकी पहचान कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश के रूप में की गई। क़तर में 30 सितंबर 2023 को इन्हें अपने परिवार के सदस्यों के साथ थोड़ी देर के लिए टेलीफोन पर बात करने की मंजूरी मिली। इसके कुछ दिनों बाद 3 दिसंबर 2023 को कतर में मौजूद भारत के ऐंबैस्डर निपुल ने गिरफ्तार हुए इन 8 पूर्व नौसैनिकों से मुलाकात की थी।
 
 
इस मामले में 30 अक्टूबर 2023 को इन पूर्व नौसैनिकों के परिजनों ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की थी। तब भारत ने कतर को मनाने के लिए तुर्किये की मदद लेने की कोशिश की। चूँकि तुर्किये के कतर के शाही परिवार के साथ अच्छे संबंध हैं, इसलिए भारत सरकार ने उसे मध्यस्थता के लिए अप्रोच किया। इसके अलावा भारत सरकार ने अमेरिका से भी इस बारे में बात की, क्योंकि रणनीतिक तौर पर अमेरिका की कतर पर ज्यादा मजबूत पकड़ है। आखिरकार भारत की यह कुटनीतिक कदम रंग लाई और क़तर ने सबसे पहले इन भारतीयों की फांसी की सजा पर रोक लगाई और फिर उनकी रिहाई। गिरफ्तारी से करीब 14 महीने बाद, 26 अक्टूबर 2023 को इन सभी पूर्व नेवी अफसरों को मौत की सजा सुनाई गई थी। 28 दिसंबर 2023 को इनकी मौत की सजा कैद में बदली गई थी।
 
 
भारत और क़तर के बीच बड़ी डील  
 
 
बहरहाल यहाँ एक बात और गौर करने वाली है कि इन सभी पूर्व नौसैनिकों की रिहाई उस समय हुई है, जब पिछले ही सप्ताह भारत और क़तर के बीच एक बेहद महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। दोनों देशों के बीच हुए इस समझौते के तहत भारत कतर से 'लिक्विफाइड नेचुरल गैस' यानि (LNG) खरीदेगा। ये डील अगले 20 सालों के लिए हुई है और इसकी लागत 78 अरब डॉलर है। भारत की पेट्रोनेट एलएनजी लिमिटेड (पीएलएल) कंपनी ने कतर की सरकारी कंपनी कतर एनर्जी के साथ ये करार किया है। इस समझौते के तहत कतर हर साल भारत को 7.5 मिलियन टन गैस निर्यात करेगा। इस गैस से भारत में बिजली, उर्वरक और सीएनजी बनाई जाएगी।
 
भारत सरकार के विदेश नीति का लोहा आज सभी देश मानते हैं। चाहे अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद भारतीयों को सुरक्षित भारत लाना हो, या रूस-युक्रेन युद्ध के दौरान भारतीय छात्रों को वापस स्वदेश लाना या फिर अन्य बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन, मोदी सरकार ने अपने बेहतरीन विदेश नीति के दम पर संकट में फंसे भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाने में हर बार सफल रही है। अब क़तर की जेल में बंद पूर्व भारतीय नौसैनिकों को वापस लाकर मोदी सरकार ने साबित कर दिया कि उनकी विदेश नीति सबसे अलग और सबसे मजबूत है।