बालाकोट AirStrike को 5 साल : बालाकोट से आतंकियों को दी जाने वाली ट्रेनिंग का कच्चा चिट्ठा

    26-फ़रवरी-2024
Total Views |

Balakot Airstrike Story 
 
14 फरवरी 2019 जम्मू कश्मीर के पुलवामा में CRPF काफिले पर हुए आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारत ने जब पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक की तो बालाकोट का जिक्र सबसे आगे आया। पाकिस्तान के खैबर पख्तूख्वां प्रांत के नौशेरा जिले में न्यू बालाकोट के पूर्वोत्तर में जाबा हिल टॉप पर यह वह जगह थी जहाँ प्रतिबंधित आतंकी संगठन 'जैश-ए-मोहम्मद' का सबसे बड़ा आतंकी कैंप था। 1998 में विमान हाईजैक के बाद जब मसूद अजहर जेल से छूटा तो उसने यहां सबसे बड़ा कैंप बनाया था। ये वो जगह थी, जहां आत्मघाती जेहादियों को हथियार चलाने, बम बनाने जैसी तमाम खतरनाक ट्रेनिंग दी जाती थी। आसपास के लोगों के लिए ये कैंप सिर्फ एक मरकज़-ओ-मदरसा था, जहां कि कुरान की तालीम दी जाती थी। लेकिन हकीकत यह थी कि इन मदरसों में यहां फिदायीन बनाने के लिए 5 अलग-अलग कोर्स कराये जाते थे।
 
 
पहली से लेकर 5वीं तक हर कोर्स का लेवल बढ़ता जाता था। भारतीय खुफिया एंजेसियों के पास इसकी तमाम पुख्ता जानकारी थी। वो तमाम जानकारी सबूतों के साथ भारत ने पाकिस्तान को एक डोज़ियर के रूप में दी थी। इस डोज़ियर में न सिर्फ बालाकोट कैंप के नक्शे, जेहादी कोर्स की तमाम जानकारियां थीं बल्कि यहां के जेहादी लीडर्स की जानकारी के साथ उनकी पहचान के तमाम सबूतों के दस्तावेज़ भी पाकिस्तान को सौंपे गए। इन्हीं दस्तावेज में बालाकोट कैंप में जैश के आतंकी अड्डों में चलने वाले फिदायीन कोर्स की तफ्सीली जानकारी भी है। देखिए जैश द्वारा चलाये जा रहे 5 अलग-अलग फिदायीन कोर्स की जानकारी। पहले 4 कोर्स पाकिस्तान के अलग-अलग कैंपों में चलाए जाते हैं।
 
 
Jaish Terrorist Training Course
 
 
पहला कोर्स एक बेसिक कोर्स है। जोकि आठवीं क्लास के बच्चों के सिखाया जाता है। इसमें फिदायीन और जिहाद के इस्लामी मायने सिखाए जाते हैं।
 
 
दूसरा कोर्स फिदायीन जिहादी बनने वाले टीनएजर बच्चों के लिए है। जिनको कुरान की आयतों के जरिये जिहाद करना और फिदायीन बनने के फर्ज के बारे में सिखाया जाता है। यहीं पर जेहादियों के मन में इस्लामी कट्टरपंथ का जहर बोया जाता है।
 
दूसरे कोर्स को पास करने के बाद कुछ सेलेक्टेड बच्चों को तीसरे कोर्स से जेहादी तालिबान के हथियारों की ट्रेनिंग शुरू कर दी जाती है। आमतौर पर ये कोर्स 8 महीने से एक साल का होता है। साथ ही इसमें LMG चलाना, रॉकेट लॉन्चर इस्तेमार करना, ग्रेनेड इस्तेमाल करना सिखाया जाता है।
 
 
Jaish Terrorist Training Course
 
इसके बाद चौथे कोर्स में कम्यूनिकेशन टेक्नॉलिजी की ट्रेनिंग दी जाती है।

Jaish Terrorist Training Course 
 
इसके बाद इन जेहादी ट्रेनिंग पाने वालों में से कुछ को जिहादी आतंकवाद की अंतिम ट्रेनिंग या 5वें कोर्स की ट्रेनिंग बालाकोट कैंप में दी जाती थी। जहां स्वीमिंग पूल जैसी तमाम सुविधाएं मौजूद थी। यहीं पर तैयार होकर फिदायीन जिहादी जम्मू कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के लिए निकलते थे। बताया जाता है कि पुलवामा हमले के आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार ने भी यहीं से ट्रेनिंग ली थी।
 


Balakot Jaish Terrorist Traning Course