जम्मू कश्मीर में पहाड़ी समुदाय को ST का दर्जा ; दशकों पुरानी मांग पर लगी संसद की मुहर

    06-फ़रवरी-2024
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ST Status For Pahari Tribe
 
 
जम्मू कश्मीर में रहने वाले पहाड़ी समुदायों (Pahari Tribe ) के लिए आज का दिन बेहद ख़ास है। आज केंद्र की मोदी सरकार ने उनकी दशकों पुरानी मांग को पूरा कर दिया है। पहाड़ी जातीय समूह को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का विधेयक मंगलवार को लोकसभा से पास कर दिया गया। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर के वाल्मीकि समाज को भी अनुसूचित जाति SC में शामिल करने का भी बिल लोकसभा से पारित हो गया। दरअसल जम्मू कश्मीर के पहाड़ी समुदाय (Jammu Kashmir Pahari Tribe)  की दशकों पुरानी मांग थी कि उन्हें भी ST का दर्जा मिले, लेकिन विडंबना यह है कि दशकों तक उनके इस मांग पर कोई विचार नहीं किया गया। लेकिन अनुच्छेद 370 व 35A की समाप्ति के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने यह भरोसा दिलाया था कि उनकी इस मांग को जल्द पूरा किया जायेगा। 
 
 
पहाड़ी को ST बाल्मीकि को SC का दर्जा 
 
 
लिहाजा आज लोकसभा से 'संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजातियां आदेश (संशोधन) विधेयक 2023' और 'संविधान जम्मू कश्मीर अनुसूचित जातियां आदेश विधेयक 2023' पास हो गया। अनुसूचित जनजातियां आदेश विधेयक के पास होते ही पहाड़ी समुदाय को ST का दर्जा दिए जाने का रास्ता भी साफ़ हो गया। इन दोनों बिलों पर राज्यसभा में चर्चा जारी है। राज्यसभा से पास होने के बाद इस विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जायेगा और वहाँ से राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये विधेयक बिल बन जाएगा। इसके अतिरिक्त 'संविधान जम्मू कश्मीर अनुसूचित जातियां आदेश विधेयक 2023' के तहत जम्मू कश्मीर में रहने वाले वाल्मीकि समुदाय के लोगों को SC का दर्जा दिया जाएगा। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सीरियल नंबर 5 पर शामिल चूड़ा, भंगी, बाल्मीकि, मेहतर की तरह वाल्मीकि को भी शामिल करने का अनुमोदन किया था।
 
 
 
 
 
अनुसूचित जनजाति संशोधन विधेयक 2023 के जरिये केंद्र सरकार ने प्रदेश की ST की सूची में पहाड़ी, गड्डा ब्राह्मण, पद्दारी जनजाति व कोली समुदायों को शामिल करने का प्रावधान किया है। इनमें पद्दारी जनजाति किश्तवाड़ व डोडा इलाकों में तो पहाड़ी समुदाय जम्मू, राजौरी-पुंछ, बारामुला-कुपवाड़ा में प्रभावशाली उपस्थिति रखते हैं। कोली व गड्डा ब्राह्मण की पूरे प्रदेश में आंशिक उपस्थिति है। परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर की 9 सीटें (जम्मू में 5 व कश्मीर में 4) ST के लिए आरक्षित हैं। ऐसे में इन 4 जातियों को इन आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा। 
 
 
 

जम्मू कश्मीर में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के साथ बीते 7 दशकों तक दोयम दर्जे का बर्ताव किया जाता रहा है। अनुच्छेद 370 व 35A की आड़ में यहाँ के रहने वाले दलित, शोषित, POJK विस्थापितों और पहाड़ी समुदाय के लोगों को उनके अधिकारों से वंचित रखा गया। लेकिन जब 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर अनुच्छेद 370 व 35A की बेड़ियों से मुक्त हुआ तो स्थितियां बदलीं और उन सभी लोगों को एक समान अधिकार देने की दिशा में केंद्र सरकार ने कदम बढाया। केंद्र सरकार की कोशिश रही कि हर एक तबके को जिनके साथ दशकों तक अत्याचार हुआ भेदभाव हुआ उन्हें सामान्य तरीके से संवैधानिक हक़ प्रदान किया जाए। इसी कड़ी में एक सबसे पुरानी मांग जम्मू कश्मीर में रहने वाले पहाड़ी समुदाय को ST का दर्जा देने की भी मांग उठी जिसे आज पूरा कर दिया गया। इस बिल के तहत अब जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी, गद्दा ब्राह्मण, कोल और वाल्मीकि वर्ग को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिल गया है।
 

ST Status For Pahari Tribe 
किसे कितना आरक्षण 
 
1989 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने केंद्र सरकार को कई जनजातियों और समुदायों को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का प्रस्ताव भेजा था। जिसके बाद भारत सरकार ने कई जनजातियों और समुदायों को इसमें शामिल भी किया, लेकिन पहाड़ी उस वक्त में एसटी में शामिल नहीं हुए। लिहाजा जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 व 35A की समाप्ति के बाद रास्ता साफ़ हुआ और गृहमंत्री अमित शाह ने पहाड़ी समुदाय को यह भरोसा दिलाया कि उन्हें उनका हक़ हर हाल में मिल के रहेगा। आख़िरकार आज दशकों पुरानी मांग पूरी हुई और जम्मू कश्मीर के पहाड़ी समुदाय को ST का दर्जा दिया गया।
 
 
अन्य जनजातियों के आरक्षण पर कोई असर नहीं
 
  
जम्मू-कश्मीर पहाड़ी समाज को सरकारी नौकरी में 4 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। लेकिन पहाड़ी समुदाय की लंबे समय से मांग है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाये। जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम 2004 के मुताबिक अनुसूचित जनजाति को जम्मू-कश्मीर में 10 प्रतिशत आरक्षण मिलता है। केंद्रशासित प्रदेश बनने से पहले जम्मू-कश्मीर में सभी राज्य सरकारों ने सिर्फ अपने स्वार्थ और राजनीतिक फायदे के लिये तमाम जातियों को उनके अधिकारों और सुविधाओं से वंचित रखा था। लेकिन अब इस समुदाय को भी उनके अधिकार प्राप्त होंगे। यहाँ यह बता देना बेहद आवश्यक है कि पहाड़ी समुदाय को मिलने वाले आरक्षण से गुज्जरों, बक्करवालों और अन्य जनजातियों के लिए उपलब्ध आरक्षण के वर्तमान स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और उन्हें पहले की तरह आरक्षण मिलता रहेगा।
 
 
उपराज्यपाल ने बताया ऐतिहासिक दिन  
 

विधेयक के पास होने के बाद जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की भी प्रतिक्रिया सामने आई। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने आज के इस दिन को ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि लोकसभा ने पहाड़ी, पाडरी जनजाति, कोली और गद्दा ब्राह्मण को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के लिए संविधान (जम्मू कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक, 2023 को मंजूरी दे दी है, जिससे इन समुदायों की लंबे समय से लंबित मांग पूरी हो गई है।