‘CAA से देश में बढेगा चोरी, डकैती और बलात्कार’ ; केजरीवाल का भड़काऊ बयान

13 Mar 2024 15:41:23
 
Arvind Kejriwal on  CAA
 
 
About CAA : केंद्र सरकार की ओर से देश भर में CAA यानि ‘नागरिकता (संशोधन) अधिनियम’ को लागू कर दिया गया है। CAA लागू होने के बाद अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से प्रताड़ित होकर भारत में आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और इसाई शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। हालांकि, हमेशा की तरह इस बार भी देश की विपक्षी पार्टियाँ CAA पर लोगों को भड़काने का काम करना शुरू कर चुकी हैं। इनमें सबसे आगे आम आदमी पार्टी और TMC है जो लोगों को CAA के खिलाफ भड़काने में लगी है। विपक्षी दलों की ओर से इस मुद्दे पर केंद्र सरकार का विरोध भी किया जा रहा है। इसी क्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी CAA के मुद्दे पर बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लोगों को भड़काने वाले बयान दिए हैं।
 
 
CAA पर केजरीवाल का भड़काऊ बयान
 
 
 
अरविंद केजरीवाल ने CAA को लेकर कहा कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में लगभग 2.5 से 3 करोड़ अल्पसंख्यक रहते हैं। ऐसे में अगर भारत एक बार अपने दरवाजे खोल देगा तो इन देशों से बड़े पैमाने पर लोग भारत में आ जाएंगे। केंद्र की मोदी सरकार इन लोगों को भारत में लाकर उन्हें रोजगार देगी उन्हें घर देगी। भाजपा हमारे बच्चों को नौकरी नहीं दे सकती लेकिन वे पाकिस्तान के बच्चों को नौकरी देना चाहते हैं। हमारे कई लोग बेघर हैं लेकिन बीजेपी पाकिस्तान से आए लोगों को यहां बसाना चाहती है। वे पाकिस्तानियों को हमारे घरों में बसाना चाहते हैं। सिर्फ इतन ही नहीं केजरीवाल ने यह तक कहा कि आगामी लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी इसे मुद्दा बनाएगी और केंद्र सरकार से इस बिल को वापस लेने की भी मांग करती है। 
 
 
 
 
केजरीवाल पर भाजपा का हमला
 
 
अरविंद केजरीवाल के बयान पर बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने हमला बोला। उन्होंने कहा कि ‘यह किसी भी भारतीय को उनकी नागरिकता से वंचित नहीं करता है। सीएए केवल उन लोगों को नागरिकता देता है, जिन्हें उनकी आस्था के आधार पर सताया गया है। मैं सीएए के नाम पर सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश करने वालों से कहना चाहता हूं कि वे रुकें। झूठ बोलना बंद करें। उन्होंने कहा कि मैं केरल और तमिलनाडु की पार्टियों से नफरत फैलाना बंद करने का आग्रह करता हूं’।
 
 
 
 
 
यानि केजरीवाल ने एक बार फिर देश के लोगों को CAA के खिलाफ भड़काने का काम शुरू कर दिया है। लेकिन अब सवाल यह खड़ा होता है कि एक तरफ तो केजरीवाल रोहिंग्याओं को देश में रखने की वकालत करते हैं, वहीं दूसरी तरफ जब बात हिन्दुओं, सिखों, पारसी, जैन जैसे अन्य गैरमुस्लिम शरणार्थियों की आती है तो इन्हें समस्या क्यों?
 
 
पहले जानें CAA है क्या ?
 
 
CAA का उद्देश्य अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी या ईसाई समुदायों के प्रवासियों को नागरिकता देना है। CAA में छह समुदाय हिंदू सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी से संबंधित अल्पसंख्यक शामिल हैं। इन्हें भारतीय नागरिकता तब मिलेगी जब वे 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में शरण ले लिए हो। आसान शब्दों में कहा जाए तो नागरिकता देने के नियम को आसान बनाया गया है। CAA नागरिकता संशोधन कानून 2019, अल्पसंख्यकों के लिए भारतीय नागरिकता देने का रास्ता खोलता है, जो भारत के तीन पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) से उत्पीड़न या किसी और कारण से अपना देश छोड़कर भारत में आना चाहते हैं। इसका किसी भी भारतीय नागरिको से कोई लेना-देना नहीं है, चाहे वे किसी भी धर्म से आते हो।
 
 
यह 12 दिसंबर, 2019 को अधिसूचित किया गया और 10 जनवरी, 2020 को लागू हुआ था। CAA (नागरिकता संशोधन कानून, 2019) को भारतीय संसद में 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया गया, इस बिल का नाम Citizenship Amendment Bill था. जो पास होने के बाद CAA हो गया. विधेयक को 19 जुलाई, 2016 को लोकसभा में पेश किया गया था। संसद में इसके पक्ष में 125 मत पक्ष में थे और 105 मत विरुद्ध यह बिल पास हो गया और इस विधेयक को 12 दिसंबर 2019 को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिल गई।
 
 
CAA को लेकर राज्यों के पास क्या है अधिकार ?
 
 
CAA को लेकर कुछ राज्य सरकारें यह बयान देने में लगी हैं कि वे किसी भी हालत में राज्य में CAA लागू होने नहीं देंगे। ऐसे में यहाँ यह स्पष्ट करना बेहद आवश्यक है कि क्या राज्य सरकारों के पास यह अधिकार है कि वो CAA लागू करने से रोकें ? दरअसल भारतीय संविधान के अनुसार भारत के राज्य CAA को लागू करने से इनकार नहीं कर सकते क्योंकि नागरिकता संघ सूची के तहत आती है ना कि राज्य सूची के। यानि यह अधिकार सीधे तौर पर केंद्र को प्राप्त है। संविधान के आर्टिकल 246 में संसद और राज्य विधानसभाओं के बीच विधायी शक्तियों को वर्गीकृत किया गया है। जहां तक राज्यों की शिकायतों या विरोध का सवाल है तो यकीनी तौर पर वे केवल इस स्थिति में वे हमेशा सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं। लेकिन SC में भी पहले से CAA को लेकर कुछ याचिकाएं लंबित है।
 
 
अल्पसंख्यकों की स्थिति
 
 
केजरीवाल का कहना है कि इन देशों में अल्पसंख्यकों की संख्या ढाई से 3 करोड़ है। लेकिन असली आंकड़े क्या कहते है ? NADRA यानि राष्ट्रीय डेटाबेस और पंजीकरण प्राधिकरण के अनुसार पाकिस्तान की कुल आबादी 18 करोड़ 68 लाख 90 हजार 601 है। अब इनमें से हिन्दुओं की संख्या 22 लाख 10 हजार 566 यानि पाकिस्तान की आबादी का महज 1.18 प्रतिशत ही। 1951 में हुई जनगणना के अनुसार पाकिस्तान में मुस्लिम की आबादी 85.8 प्रतिशत थी। जबकि हिन्दू 14.2 फीसदी थे। जब पाकिस्तान से टूटकर बांग्लादेश बना तब 1974 में वहां 13.5 प्रतिशत हिन्दू थे लेकिन 2022 में घटकर 7.9 प्रतिशत रह गये। यहाँ आय दिन हिन्दुओं सिखों के साथ धर्म के नाम पर अत्याचार के मामले सामने आते हैं। धर्म और आस्था के नाम पर प्रताड़ित होकर यह लोग भारत आए लेकिन उन्हें उनके अधिकार नहीं दिए गए। लेकिन CAA लागू होने के बाद उन्हें ना सिर्फ भारत की नागरिकता मिलेगी उन्हें उनका अधिकार मिलेगा।
 
 
अफगानिस्तान
 
 
अल-जजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, 1970 के दशक में अफगानिस्तान में 7 लाख से ज्यादा हिंदू और सिख रहते थे. लेकिन अब वहां इनकी आबादी 7 हजार से भी कम हो गई है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में अफगानिस्तान में सिर्फ 700 हिंदू और सिख परिवार ही बचे थे।
 
 
यानि साफ़ है कि CAA सिर्फ नागरिकता देने का कानून है। ना कि किसी की नागरिकता छिनने वाला। आज जब बात हिन्दू, सिख शरणार्थी को नागरिकता देने की बात आ रही है तो अरविन्द केजरीवाल, ममता बनर्जी, और तमाम विपक्षी दल इसका विरोध करने में जुटे हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ जब म्यांमार और बांग्लादेश से लाखों करोड़ों घुसपैठिये रोहिंग्या भारत में गैरकानूनी रूप से प्रवेश कर देश के अलग अलग हिस्सों में रहते हैं तो उन्हें यह अधिकार देने की मांग करते हैं। लिहाजा सवाल उठता है कि आख़िरकार यह दोहराचरित्र क्यों ? CAA के इतिहास पर नजर डालें तो महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, मौलाना आज़ाद से लेकर डॉ. मनमोहन सिंह तक सभी ने इसके बारे में बात की। शरणार्थियों को नागरिकता देने का यह वादा 1947 में किया गया था। लेकिन दुर्भाग्यवस यह काम आज तक अटका रहा।
 
 
 
 
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