ऐतिहासिक मार्तंड सूर्य मंदिर का होगा जीर्णोधार ; मंदिर परिसर में लगेगी राजा ललितादित्य की प्रतिमा

    30-मार्च-2024
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martand sun temple kashmir
 
जम्मू कश्मीर के अनंतनाग ज़िले में स्थित ऐतिहासिक मार्तंड सूर्य मंदिर का जल्द ही जीर्णोधार किया जाएगा। दशकों पूर्व इस्लामिक आक्रांताओं द्वारा खंडित किए गए इस प्राचीन मंदिर का ना सिर्फ़ जीर्णोधार होगा बल्कि यहाँ मंदिर परिसर में हिंदू सम्राट राजा ललितादित्य मुक्तापीड की प्रतिमा भी स्थापित की जाएगी। इसे लेकर जम्मू कश्मीर प्रशासन की ओर से एक विज्ञप्ति जारी कर जानकारी दी गई है।
 
 
 
 
 
प्रशासन द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि अनंतनाग स्थित प्राचीन मार्तंड सूर्य मंदिर को जम्मू कश्मीर में खंडित पड़े अन्य प्राचीन मंदिरों के साथ जीर्णोधार किया जाएगा। इस मंदिर का मूल निर्माण 1700 साल पहले का माना जाता है।कश्मीरी हिंदू समुदाय वर्षों से मंदिरों के पुनरुद्धार के लिए सरकार से माँग करते आ रहे हैं। हालाँकि कश्मीरी हिंदुओं की दशकों पुरानी माँग पर आज सरकार की मुहर लग गई और मंदिरों के जीर्णोधार के लिए विज्ञप्ति जारी कर दी गई। सरकार के इस फ़ैसले से कश्मीरी हिंदू समुदाय में ख़ुशी का माहौल है। आम लोगों ने इस फ़ैसले का ज़ोरदार स्वागत भी किया है।
 
 
भारत में कुल 4 प्रमुख सूर्य मंदिर हैं। उड़ीसा का कोणार्क सूर्य मंदिर, गुजरात के मेहसाणा को मोढेरा सूर्य मंदिर, राजस्थान के झालरापाटन का सूर्य मंदिर और कश्मीर संभाग के अनंतनाग में स्थित प्राचीन मार्तंड मंदिर। उड़ीसा, गुजरात और राजस्थान के सूर्य मंदिर तो फिर भी बेहतर स्थिति में हैं लेकिन कश्मीर का मार्तंड सूर्य मंदिर के सिर्फ अवशेष ही बचे हैं।बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था, लेकिन सन् 1389 और 1413 के बीच कई बार इसे नष्ट करने की कोशिश की गई।सिकंदर शाह मीरी नाम के इस्लामी आक्रांता ने इस मंदिर को तोड़ा था।
 
  
कश्मीर में एक बहुत ही पराक्रमी राजा हुआ थे जिनका नाम था ललितादित्य मुक्तापीड। कहा जाता है कि मार्तण्ड सूर्य मंदिर का निर्माण उन्होंने ही करवाया था। उनका तो सन् 761 में निधन हो गया और उनके बाद उनके वंश के अधिकतर राजा दुर्बल साबित हुए, लेकिन ये मंदिर लोगों को अपने प्रिय राजा की याद दिलाता रहा। मार्तण्ड सूर्य मंदिर की भव्यता की तुलना विजयनगर सम्राज्य की राजधानी हम्पी से होती रही है। अफ़सोस ये कि इस्लामी आक्रांताओं की बर्बरता के कारण हम्पी के भी अब सिर्फ अवशेष ही बचे हैं। वो शहर, जिसकी तुलना तब के रोम से होती थी।
 
 
उस समय भारत, ईरान और मध्य एशिया के कई क्षेत्रों में करकोटा वंश के ललितादित्य मुक्तापीड का शासन फैला हुआ था। भले ही इस मंदिर का भव्य निर्माण उन्होंने कराया हो, इससे जुड़ी कथा महाभारत में पांडवों तक जाती है। मार्तण्ड सूर्य मंदिर के आसपास कुल 84 अन्य छोटे-छोटे मंदिर हुआ करते थे, जिनके आज सिर्फ अवशेष ही बचे हैं। ओडिशा के कोणार्क और गुजरात के मोढेरा की तरफ मार्तण्ड सूर्य मंदिर का स्थान भी देश में उच्चतम था।
 
 
15वीं शताब्दी की शुरुआत में इस्लामी आक्रांताओं ने इसे जड़ से मिटाने की ठान ली और इसे अवशेषों में बदल दिया। एक पूरी की पूरी फ़ौज को इस मंदिर को तोड़ने में पूरे एक साल लग गए, जिससे इसकी मजबूती का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। इससे तीन किलोमीटर की दूरी पर ही मट्टन में शिव मंदिर स्थित है, जहाँ आज भी पूजा-पाठ होता है। यहाँ एक जल के कुंड के भीतर ही शिवलिंग स्थित है। श्रद्धालु वहाँ आज भी दर्शन के लिए जाते हैं। अनंतनाग शहर से पूर्व दिशा में इसकी दूरी 3 किलोमीटर है और ये जम्मू कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से 64 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।