
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 दिवसीय दौरे पर असम पहुंचे हैं। PM मोदी शुक्रवार शाम को असम की राजधानी तेजपुर पहुंचे। यहाँ असम के CM हिमंत बिस्वा सरमा ने एयरपोर्ट पर PM मोदी का स्वागत किया। दौरे के पहले दिन PM मोदी ने काजीरंगा में रोड शो किया जिसमें लोगों की भारी भीड़ उमड़ी। इसके बाद PM ने 8 तारीख की रात काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के गेस्ट हाउस में बिताई। 9 मार्च यानि आज सुबह वे काजीरंगा फारेस्ट में टाइगर, हाथी और जीप सफारी का भी लुत्फ़ उठाया। असम में प्रधानमंत्री मोदी करीब 18 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करने के बाद अरुणाचल प्रदेश पहुंचे हैं। PM मोदी ने यहाँ अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले के बैसाखी में 13 हजार फीट की ऊंचाई पर बनी सेला टनल का उद्घाटन किया। PM ने इसके अलावा 55 हजार से अधिक के प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण-शिलान्यास किया।
विशेषता -:
यह इतनी ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन टनल है।
चीन सीमा से लगी इस टनल की लंबाई 1.5 किलोमीटर है।
टनल के बनने से आम लोगों के अलावा सेना को भी इससे फायदा होगा।
टनल चीन बॉर्डर से लगे तवांग को हर मौसम में रोड कनेक्टिविटी देगी।
बारिश, बर्फबारी के दौरान यह इलाका देश के बाकी हिस्सों से महीनों कटा रहता था।
LAC के करीब होने के कारण यह टनल सेना के मूवमेंट को खराब मौसम में और भी बेहतर बनाएगा।
अरुणाचल प्रदेश के सेला पास के नजदीक बनी यह टनल 825 करोड़ रुपए की लागत से बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानि (BRO) ने बनाई है।
टनल के बनने से चीन बॉर्डर तक की दूरी 10 किलोमीटर कम हो जाएगी।
यह टनल असम के तेजपुर और अरुणाचल के तवांग को सीधे जोड़ेगी।
दोनों जगह सेना के चार कोर मुख्यालय हैं, जिनकी दूरी भी एक घंटे कम हो जाएगी।
2019 में रखी थी आधारशिला
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2019 में इस टनल की आधारशिला रखी थी। तब इसकी लागत 697 करोड़ आंकी गई थी। हालाँकि अब इसकी लागत 825 करोड़ रुपए है। इसका निर्माण कार्य बहुत पहले होना था लेकिन बीच में कोरोना महामारी के कारण इसके बनने में देरी हुई। आपको बता दें कि इस प्रोजेक्ट में कुल 2 टनल शामिल हैं। पहली 980 मीटर लंबी सिंगल-ट्यूब सुरंग है और दूसरी 1.5 किमी लंबी है जिसमें इमरजेंसी के लिए एक एस्केप ट्यूब बनाया गया है। बारिश, बर्फबारी और लैंडस्लाइड के दौरान अक्सर बालीपारा-चारीद्वार-तवांग मार्ग साल में लंबे समय तक बंद रहता है। लिहाजा टनल के बनने के बाद सेना का मूवमेंट चीन की सीमा तक बेहतर हो गया है। आपातकाल के दौरान भारतीय सेना अब कम समय में हथियार और मशीनरी मूव कर पाएगी।