19 अप्रैल 1990 : मानवीय इतिहास को वो काला दिन जब कश्मीर घाटी में इस्लामिक आतंकियों ने की कश्मीरी हिन्दू सरला भट की नृशंस हत्या कहानी

    19-अप्रैल-2024
Total Views |
 
Kashmiri Hindu Sarla bhatt
  
जम्मू कश्मीर के लिए 1989-90 का दौर मानवीय इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक रहा। अलगाववाद और आतंकवाद की आग ने कश्मीर घाटी में ऐसा कोहराम मचाया कि लाखों कश्मीरी हिन्दुओं को अपनी मातृभूमि से पलायन करना पड़ा। हजारों कश्मीरी हिन्दुओं की इस्लामिक जिहादियों ने नृशंस हत्याएं कर दीं। वो दर्द, वो पीड़ा, वो घाव आज भी उन तमाम कश्मीरी हिन्दुओं के भीतर ताजा हैं। सैकड़ों कश्मीरी हिंदुओं को मार डाला गया, बलात्कार किया गया और बेरहमी से प्रताड़ित किया गया। घाटी में इस्लामिक आतंकियों के अत्याचार और कश्मीरी हिन्दुओं के बलिदान की ऐसी ही कहानी है कश्मीरी हिन्दू सरला भट की। 19 वर्ष की सरला भट श्रीनगर के SKIMS अस्पताल में बतौर नर्स थीं, वो मरीजों का बिना जाति मजहब जानें निष्काम भाव से सेवा करती थीं। लेकिन उन्हीं सरला भट को एक हिन्दू होने के नाते आतंकियों ने नृशंस हत्या कर दी। 
 
 
कहानी कश्मीरी हिन्दू सरला भट की...... 
 
 
90 के दशक में कश्मीर घाटी में कश्मीरी हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए आतंकवादियों द्वारा धमकी भरे संदेश चारों ओर प्रसारित किए जा रहे थे। उन्हें मस्जिदों से धमकी दी जा रही थी कि या तो वे अपना धर्म बदल लें या रातों-रात कश्मीर छोड़कर चले जाएं अन्यथा यहाँ रहने पर उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इसी तरह के पोस्टर कश्मीरी हिन्दुओ के घरों के बाहर चिपकाए गए थे। हिन्दुओं के साथ हुए इस बर्बरता की कड़ी में आज की कहानी है कश्मीर संभाग के अनंतनाग जिले की निवासी कश्मीरी हिन्दू सरला भट की। आज यानि 19 अप्रैल 1990 के ही दिन कश्मीरी हिन्दू सरला भट को भी इस्लामिक जिहादियों ने अपना शिकार बनाया और उनके साथ क्रूरता की सारी हदें पार करने के बाद उनके शरीर को क्षत विक्षत कर सड़क किनारे फेंक दिया था।  
 
 
 
 
 
19 वर्षीय कश्मीरी हिन्दू सरला भट अनंतनाग की निवासी थी और श्रीनगर के सौरा में स्थित कश्मीर के प्रमुख चिकित्सा संस्थान SKIMS में नर्स के रूप में काम करती थी। हिन्दू होने के नाते आतंकियों की निगाह लंबे वक्त से सरला भट पर टिकी थी। अस्पताल में अब्दुल अहद गुरु और JKLF के डिप्टी कमांडर हामिद शेख सक्रीय थें। दोनों को इस बात का शक था कि सरला एक पुलिस इनफॉर्मर हैं। लिहाजा दोनों ने कई बार सरला को नौकरी छोड़ने की धमकी दी। ऐसे में डॉक्टर के कहने पर 14 अप्रैल, 1990 को आतंकवादी समूह जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के आतंकियों द्वारा सरला भट को उनके अस्पताल के छात्रावास से अपहरण कर लिया गया था। सरला भट का अपहरण कर आतंकी उन्हें अंजान जगह पर ले गए। वहां उन दरिंदों ने सरला भट के साथ कई दिनों तक उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। क्रूरतापूर्वक सामूहिक बलात्कार करने के उपरान्त उन आतंकियों ने सरला भट की अमानवीय तरीके से टुकड़े-टुकड़े कर नृशंस हत्या कर दी। 
 
 
19 अप्रैल को मिला क्षत विक्षत शव 
 
 
अपहरण के करीब 5 दिनों बाद उन इस्लामिक जिहादियों ने सरला भट के शरीर को पहले गोलियों से दाग कर और फिर टुकड़ों टुकड़ों में काट कर उनका क्षत विक्षत शव सड़क किनारे फेंक दिया था। 19 अप्रैल को श्रीनगर के डाउनटाउन इलाके में सड़क किनारे उनका क्षत विक्षत शव पाया गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि हत्या से पहले उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। हालाँकि आतंक की यह कहानी यहीं समाप्त नहीं हुई बल्कि जब सरला के परिजन उनका पार्थिव शरीर लेकर अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे तब उन आतंकियों ने परिजनों पर बम से हमला किया। इसके बाद अनंतनाग में सरला भट के घर को भी आग के हवाले कर दिया। आखिरकार सरला के घरवालों को वही करना पड़ा जो आतंकी चाहते थें। सरला भट के परिजनों ने अपनी मातृभूमि छोड़कर पलायन कर लिया इस उम्मीद के साथ कि शायद आज नहीं तो कल एक ऐसा उचित समय आएगा जब वे अपनी जन्भूमि पर वापस आएंगे। लेकिन अफ़सोस कि आज 3 दशकों बाद भी वो समय नहीं आया। 
 
 
घर वापसी का सपना आज भी अधूरा 
 
 
इतने अत्याचारों के बावजूद तत्कालीन सरकार आंखें मूंदकर चुप रही जबकि हिंदू अपनी जान के डर से कश्मीर से पलायन करने लगे। तत्कालीन सरकार ने पीड़ितों की मदद करने के बजाय उनकी ओर से अपना मुंह मोड़ लिया जिससे कि आतंकवादी समूहों को अपनी क्रूरता और नरसंहार जारी रखने का साहस मिला। हालाँकि उन सभी कश्मीरी हिन्दुओं के मन में यह आशा थी कि भागते समय अनुकूल परिस्थितियाँ आएँगी और किसी दिन हिंसा ख़त्म हो जाएगी और वे अपने पैतृक घरों में लौट आएँगे, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ। दशकों बीत गए, सरकारें बदलीं लेकिन न तो उनके लिए हालात सुधरे और न ही राजनीतिक समूहों ने कभी इस बात का समर्थन किया कि उन्हें उनकी संपत्ति वापस मिल जाए और वे अपने घरों में लौट जाएं।