चीन की दादागिरी पर लगेगी लगाम ! भारत ने फिलीपिंस को सौंपा सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस

कई अन्य देशों में भी बढ़ी ब्रह्मोस की मांग, जानें इस मिसाइल की खासियत

    19-अप्रैल-2024
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BrahMos supersonic cruise Missiles delivered to the Philippines by India
  
भारत इन दिनों हर क्षेत्र में तेजी के साथ सशक्त होता जा रहा है। खासकर रक्षा के क्षेत्र में भारत ना सिर्फ आत्मनिर्भर हुआ है बल्कि अब भारत में निर्मित मिसाइलें अन्य देशों को एक्सपोर्ट की जा रही हैं। आज यानि शुक्रवार 19 अप्रैल को भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का पहला बैच सौंप दिया है। इसी के साथ ही ब्रह्मोस पाने वाला फिलीपींस पहला बाहरी देश बन गया है। गौरतलब है कि भारत ने जनवरी 2022 में फिलीपींस के साथ ब्रह्मोस मिसाइल की बिक्री के लिए 2,966 करोड़ रुपए की डील की थी। जिसे आज पहला बैच सौंप दिया गया। इंडियन एयरफोर्स के C-17 ग्लोबमास्टर विमान के जरिए इन मिसाइलों को फिलीपींस मरीन कॉर्प्स को सौंपा गया है। वहीं इस दौरान फिलीपींस मरीन कॉर्प्स को मिठाई खिला कर इस डील के लिए शुभकामनाएं भी दीं गईं।
 
  
भारत ब्रह्मोस सुपरसॉनिक मिसाइल के तीन सिस्टम फिलीपींस को सौंप रहा है। हर एक सिस्टम में दो मिसाइल लॉन्चर, एक रडार और एक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर होता है। इसके जरिए सबमरीन, शिप, एयक्राफ्ट से दो ब्रह्मोस मिसाइलें 10 सेकेंड के अंदर दुश्मन पर दागी जा सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो फिलीपींस इन ब्रह्मोस मिसाइलों को साउथ चाइना सी पर तैनात करेगा। मिसाइल सौंपने के साथ साथ भारत फिलीपींस को मिसाइल ऑपरेट करने की भी ट्रेनिंग देगा। ​​​रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, भारत डोर्नियर-228 विमान, 155 MM एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन, आकाश मिसाइल सिस्टम, रडार, सिमुलेटर, माइन प्रोटेक्टेड व्हीकल, बख्तरबंद वाहन, पिनाका रॉकेट, थर्मल इमेजर्स कुछ देशों को एक्सपोर्ट कर चुका है।
 
 
ब्रह्मोस की खासियत
 
 
ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे भारत और रूस ने संयुक्त रूप से एक साथ मिलकर तैयार किया है।
 

ब्रह्मोस का नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मॉस्क्वा नदियों के नामों को मिलाकर बनाया गया है।
 

ब्रह्मोस रूस की P-800 ओकिंस क्रूज मिसाइल टेक्नोलॉजी पर आधारित है।
 

1998 में ब्रह्मोस को लेकर भारत और रूस के बीच करार हुआ था। 
 
 
2007 में पहली बार भारतीय सेना को ब्रह्मोस मिसाइल मिली।
 

ब्रह्मोस मिसाइल को पनडुब्बी, शिप, एयरक्राफ्ट या जमीन कहीं से भी छोड़ा जा सकता है।
 

इस मिसाइल को भारतीय सेना के तीनों अंगों, आर्मी, नेवी और एयरफोर्स को सौंपा जा चुका है।
 

जमीन या समुद्र से दागे जाने पर ब्रह्मोस 290 किमी की रेंज में मैक 2 स्पीड से (2500किमी/घंटे) की स्पीड से अपने टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकती है।
 

पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल को पानी के अंदर से 40-50 मीटर की गहराई से छोड़ा जा सकता है।
 
 
पनडुब्बी से ब्रह्मोस मिसाइल दागने की टेस्टिंग 2013 में हुई थी।
 

ब्रह्मोस के लैंड-लॉन्च, शिप-लॉन्च, सबमरीन-लॉन्च एयर-लॉन्च वर्जन की टेस्टिंग हो चुकी है।
 
 
कई अन्य देशों में भी बढ़ी ब्रह्मोस की मांग 
 
 
गौरतलब है कि फिलीपींस के साथ की गई हथियारों की यह डील देश को रक्षा क्षेत्र में एक्सपोर्टर बनाने और आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने में काफी हद तक मदद करेगा। ​​​​इस डील से मिलेट्री इंडस्ट्री का भी मनोबल बढ़ेगा और साउथ-ईस्ट एशिया में भारत को भी एक बड़ा भरोसेमंद एक्सपोर्टर के रूप में देखा जाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस डील से भारत-फिलीपींस के रिश्तों में मजबूती आएगी और साथ ही दोनों देशों की एकजुटता का संदेश चीन को मिलेगा। इसके अलावा फिलीपींस और चीन के बीच हाल ही में साउथ चाइना सी में हो चुकी कई बार झड़प के बाद अब फिलीपिंस इस मिसाइल को साउथ चाइना सी में तैनात करेगा। इससे साउथ चाइना सी में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने में मदद मिलेगी। ब्रह्मोस एयरोस्पेस के डायरेक्टर जनरल अतुल दिनाकर राणे ने जून 2023 में कहा था- अर्जेंटीना, वियतनाम सहित 12 देश ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को खरीदने में रुचि दिखा चुके हैं। बाहरी देशों की ब्रह्मोस की मांग दर्शाती है कि यह मिसाइल सिस्टम बहुत भरोसेमंद है।