CJI चंद्रचूड़ ने की 3 नए कानूनों की तारीफ़ ; बताया समाज के लिए बेहद जरुरी

    20-अप्रैल-2024
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CJI on bhartiya nyay sanhita
 

IPC और CrPC में बदलाव किए जाने को लेकर केंद्र की मोदी सरकार द्वारा लाए गए 3 नए कानून 'भारतीय न्याय संहिता', 'भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता' और 'भारतीय साक्ष्य अधिनियम' को लेकर आज क़ानून मंत्रालय की ओर से एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। इस मौके पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़,(CJI Dhananjaya Yeshwant Chandrachud) कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी मौजूद थे। तीन नए कानूनों पर बात करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 'इन 3 नए कानूनों से भारतीय समाज में एक नए अध्याय की शुरुआत होगी। नए कानून भारत के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में अभूतपूर्व बदलाव लाएंगे और पीड़ित पर भी ध्यान दिया जाएगा।' अपने संबोधन के दौरान चीफ जस्टिस ने इन तीनों नए कानूनों की तारीफ़ की।

 
 
 

चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने नए कानूनों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि 'नए कानूनों ने आपराधिक न्याय पर भारत के कानूनी ढांचे को एक नए युग में बदल दिया है। यदि हम नागरिक के रूप में उन्हें अपनाएंगे तो ये नए कानून जरूर सफल होंगे।' उन्होंने यह भी कहा कि पीड़ितों के हितों की रक्षा करने और अपराधों की जांच और मुकदमों को कुशलतापूर्वक चलाने के लिए इन तीनों कानूनों में बहुत जरूरी सुधार पेश किए गए हैं। CJI ने कहा, 'संसद से इन कानूनों का पास होना यह एक स्पष्ट संकेत है कि भारत अब बदल रहा है और तेजी से आगे बढ़ रहा है और मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए नए कानूनी जरूरतों को अपना रहा है। हालाँकि CJI ने न्यायालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर के बदलाव पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि न्यायालयों में इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव होना चाहिए। वरना नए कानूनों के तहत जो लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं उन्हें हासिल करना मुश्किल हो जाएगा।

 
 
 
 

CJI ने अपने संबोधन में आगे कहा कि ' देश में लागू पुराने कानूनों (IPC, CRPC, Evidence Act) की सबसे बड़ी खामी उनका पुराना होना था। ये कानून क्रमश: 1860 1873 से चले आ रहे थे। नए कानून संसद से पारित होना इस बात का साफ संदेश है कि भारत बदल रहा है और हमें मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए नए तरीके चाहिए, जो नए कानूनों से हमें मिलने जा रहे हैं।' तीनों कानूनों की खूबियों पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि नए कानूनों के अनुसार किसी गंभीर मामलों में छापेमारी के दौरान साक्ष्यों की ऑडियो विजुअल रिकॉर्डिंग होगी, जो कि अभियोजन पक्ष के साथ-साथ नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) में ट्रायल और फैसले के लिए टाइमलाइन तय होना एक सुखद बदलाव है। CJI ने कहा कि नए कानूनों में बदलाव किया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में कहा गया है कि ट्रायल 3 साल में पूरा होना चाहिए और फैसला सुरक्षित रखे जाने के 45 दिनों के भीतर सुनाया जाना चाहिए। लंबित मामलों को सुलझाने के लिए यह एक अच्छी पहल है।'

 
 
 

गौरतलब है कि केंद्र द्वारा लाए गए ये तीनों नए कानून 'भारतीय न्याय संहिता', 'भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता' और 'भारतीय साक्ष्य अधिनियम' 1 जुलाई, 2024 से लागू होंगे।इनके लागू होने के साथ ही देश की आपराधिक न्याय प्रणाली पूरी तरह से बदल जाएगी। हालांकि, हिट-एंड-रन के मामलों से संबंधित प्रावधान तुरंत लागू नहीं किया जाएगा। तीनों कानूनों पिछले साल 21 दिसंबर को संसद से पास हुए थे और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 25 दिसंबर को इन्हें अपनी मंजूरी दी थी।