
Pakistan Economic Crisis : हमारा पड़ोसी देश पाकिस्तान लंबे समय से गरीबी, भुखमरी, आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता जैसी विभिन्न समस्याओं से जूझ रहा है। इसके निवारण के लिए, पाकिस्तान ने विदेशों से लगातार कर्ज लिया है, फिर भी इसके आर्थिक हालातों में सुधार नहीं हुआ है। पाकिस्तान की जनता भारत की तेज आर्थिक प्रगति और मजबूती को देखकर अपने नेताओं पर आक्रोश व्यक्त करती है। हाल ही में संपन्न हुए आम चुनावों के बाद पाकिस्तानी मौलाना फजलुर रहमान, जो कि 'जमीयत उलेमा-इस्लाम पाकिस्तान' के अध्यक्ष हैं, ने पाकिस्तानी नेताओं के सामने एक कठोर सच्चाई प्रस्तुत की। उन्होंने भारत और पाकिस्तान की वर्तमान स्थितियों की तुलना की।
मौलाना ने उल्लेख किया कि भारत महाशक्ति बनने की दिशा में अग्रसर है, जबकि पाकिस्तान अपनी आर्थिक दुर्दशा के कारण विदेशों से भीख माँग रहा है। उन्होंने पूछा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के 76 वर्षों के बाद भारत और पाकिस्तान आज कहाँ खड़े हैं। उनका कहना था कि पाकिस्तान की वर्तमान दुर्दशा के लिए उसके नेता जिम्मेदार हैं।
पाकिस्तानी सेना पर हमला
मौलाना ने यह भी कहा कि पाकिस्तान में 'अदृश्य ताकतें' देश की नीतियों को पर्दे के पीछे से नियंत्रित कर रही हैं और वे ही फैसले ले रही हैं, जबकि निर्वाचित प्रतिनिधि केवल कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तानी संसद की वैधता पर सवाल उठाया और लोकतंत्र की विक्री पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि चुनावी धांधली और विधायकों की शक्तिहीनता ने देश को प्रगति से वंचित कर दिया है। मौलाना फजलुर रहमान ने पूछा कि कब तक पाकिस्तानी संसद बाहरी ताकतों की सहायता से चुनी जाती रहेगी और यह कि कब तक वे समझौता करते रहेंगे।
यह स्पष्ट है कि भारत और पाकिस्तान की स्थितियाँ बहुत भिन्न हैं। पाकिस्तान अपनी स्थापना के बाद से ही आतंकवाद को शरण देने के लिए कुख्यात रहा है, जबकि भारत ने अपनी प्रबंधन क्षमता और निरंतर प्रगति के माध्यम से विकास की एक मजबूत दिशा तय की है। पाकिस्तान अक्सर भारत की बढ़ती प्रगति से असंतुष्ट रहता है और इसी के चलते वह सीमा पर घुसपैठ और आतंकवादी गतिविधियों के जरिए भारत में अशांति फैलाने की कोशिश करता है। हाल के वर्षों में, जैसे-जैसे भारत तेजी से विकास कर रहा है और वैश्विक मंच पर अपनी एक नई पहचान बना रहा है, पाकिस्तानी नेताओं के बीच इससे निराशा बढ़ गई है और वे आपस में इसके लिए दोषारोपण करने लगे हैं। फिर भी, यह सब अधिकतर दिखावा प्रतीत होता है क्योंकि ये नेता अपने स्वार्थों में लिप्त रहते हैं। इसके विपरीत, पाकिस्तान की जनता महंगाई, गरीबी, और भुखमरी जैसी समस्याओं से गहराई से प्रभावित है।