हिंदू नव वर्ष 2024 विक्रम संवत 2081 ; कश्मीरी हिन्दुओं ने मनाया अपना विशेष पर्व नवरेह

09 Apr 2024 13:39:28

Navreh festival
 
 
Hindu New Year : आज से हिंदू कैलेंडर के अनुसार नव विक्रम सवंत्सर 2081 शुरू हुआ है, जोकि देश के तमाम हिस्सों में नव वर्ष के तौर पर मनाया जाता है। इसके साथ ही चैत्र नवरात्र का भी आज प्रथम दिवस है। अलग-अलग त्यौहारों के रूप में.. जैसे महाराष्ट्र-सौराष्ट्र क्षेत्र में गुढी-पाडवा, कर्नाटका में उगाडी, आसाम में बीहू और कश्मीर में नवरेह। नवरेह को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समस्त कश्मीरी हिन्दू समुदाय के लोगों को अपनी तरफ से शुभकामनाएं दी हैं। नवरेह, जिसे नवरेह पोशी के नाम से भी जाना जाता है, कश्मीरी नव वर्ष है, जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह (मार्च/अप्रैल) के पहले दिन कश्मीरी हिंदू समुदाय द्वारा मनाया जाता है। यह वसंत ऋतु की शुरुआत का प्रतीक है और नई शुरुआत और समृद्धि के लिए एक शुभ दिन माना जाता है।
 
 
नवरेह की विशेषता 
 
 
नवरेह शब्द संस्कृत शब्द "नववर्ष" से बना है। कश्मीर में नवरेह नव चंद्रवर्ष के रूप में मनाया जाता है। यह दिन चैत्र नवरात्र का प्रथम दिन है तथा चैत्रमास के शुक्लपक्ष का भी प्रथम दिवस है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी यह वर्ष का प्रथम दिन माना जाता है। नवरेह उत्साह व रंगों का त्यौहार है। कश्मीरी पंडित इसे बड़े उत्साह से मनाते हैं। त्यौहार से एक दिन पूर्व कश्मीरी पंडित पवित्र विचर नाग के झरने की यात्रा करते हैं तथा इसमें पवित्र स्नानकर मलिनता का त्याग करते हैं। इसके पश्चात् प्रसाद ग्रहण किया जाता है। प्रसाद को 'व्ये' कहते हैं। इसमें विभिन्न प्रकार की जड़ी-बूटियाँ डाली जाती हैं तथा घर में पिसे चावल की पिट्ठी भी सम्मिलित की जाती है। कश्मीर नवरेह की सुबह लोग सर्वप्रथम चावल से भरे पात्र को देखते हैं। यह धन, उर्वरता तथा समृद्धशाली भविष्य का प्रतीक है।
शाम के वक्त घर की महिलाएं एक बड़ी थाली तैयार करती है। थाली में चावल या धान व्यवस्थित रूप से रखे जाते हैं। सबसे ऊपर होते हैं नवपंचांग, क्रीच प्रच, सूखे व ताजा पुष्प, शीशा, स्याही, व्ये, जड़ी–बूटियाँ, अंकुरित घास, दही, कलम, स्याही की दवात, पके चावल, रोटी, नमक, स्वर्ण व चाँदी के सिक्के। एक अन्य थाली से इस थाली को ढंककर अगली सुबह तक के लिए रखा जाता है। परिवार के सभी सदस्य नववर्ष के दिन नए वस्त्र धारण करते हैं। नववर्ष की एक दिन पूर्व मूल तैयारी के बाद, अगले दिन परिवार का लड़का या लड़की तैयार की गई थाली का ढक्कन हटाते हैं। फिर इस थाली को घर के सबसे वरिष्ठ व्यक्ति के पास तथा बाद में सभी सदस्यों के पास ले जाया जाता है।
  
 
परिवार का प्रत्येक सदस्य थाली में रखी वस्तुओं को देखता है। थाली में रखी वस्तुएँ भोजन, धन व ज्ञान की द्योतक हैं। थाली दिखाने के लिए भेंट स्वरूप व्यक्ति को परिवार के सदस्यों से धन मिलता है। परिवार का प्रत्येक सदस्य थाली में से कुछ अखरोट उठाता है तथा नारियल को नदी में प्रवाहित करता है। कश्मीर में नवदुर्गा पूजन भी इसी दिन से आरम्भ हो जाता है। नवरात्र का नवां दिन रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। इन दिनों में हज़ारों लोग वैष्णोदेवी मन्दिर तथा अन्य मन्दिरों की यात्रा करते हैं। अनेक लोग इन नौ दिनों में व्रत–उपवास करते हैं और जो, जई का रोपण कर दुर्गा व दश महाविद्या की आराधना करते हैं। 
 
 
 
 
 
 
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