15 मई, 1993, फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा की पुण्यतिथि विशेष – भारतीय सेना का वो अफसर जिन्हें पाकिस्तानी भी करते थे सलाम

    15-मई-2024
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Field Marshal KM Cariappa
 
फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा का पूरा नाम था, कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा। एक ऐसा नाम है जिसका ज़िक्र किये बिना भारतीय सेना का इतिहास अधूरा है। करिअप्पा ने सेकेण्ड लेफ्टिनेंट के पद से सेना में अपना सफ़र शुरू किया। 1947 में उन्होंने जम्मू कश्मीर में भारत –पाकिस्तान युद्ध के दौरान पश्चिमी सीमा पर सेना का नेतृत्व किया किया था। 15 जनवरी 1949 को उन्हें भारतीय सेना का प्रमुख नियुक्त किया गया। इसी उपलक्ष्य में 15 जनवरी को सेना दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1953 में करिअप्पा सेना से रिटायर हो गये थे। 94 साल की उम्र में वो 15 मई 1993 को दुनिया छोड़ गए।
 
भारत पाकिस्तान युद्ध के हीरो – फील्ड मार्शल के एम करिअप्पा
 
 
आज़ादी के साथ ही भारत को पाकिस्तनी हमले का सामना करना पड़ा। इस हमले में जम्मू कश्मीर का बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में चला गया, जिसे आज पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर के नाम से जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शुरूआती पाकिस्तानी हमले में जम्मू कश्मीर का बहुत बड़ा हिस्सा पाकिस्तान के कब्ज़े में चला गया था। आज जो हिस्सा भारत के पास है उसमें से पुंछ , राजौरी , कारगिल और द्रास जैसे इलाके भी पाकिस्तान के कब्जे में चले गए थे। इन सारे हिस्सों को भारतीय सेना ने पाकिस्तान के कब्ज़े से वापस जीता था। इसके लिए भारतीय सेना ने आपरेशन किप्पर , ईज़ी और बयसन चलाए। इन सारे ऑपरेशन का नेतृत्तव करिअप्पा खुद कर रहे थे। वे आगे बढ़ कर जम्मू कश्मीर केबाकी हिस्सों को भी आज़ाद करवाना चाहते थे लेकिन उन्हें इसके लिए केंद्र से आदेश ही नहीं मिले।
 
 
Field Marshal KM Cariappa
 
 
1947 में पाकिस्तानी सेना ने राज्य के सबसे छोटे हिस्से कश्मीर के बारामूला शहर को पूरी तरह से तबाह कर दिया था। बारामूला में ऐसा कोई घर नहीं था जहाँ पाकिस्तानी सेना ने लूटपाट न की हो। वहाँ रहने वाला हिन्दू , मुसलमान और सिख सभी पाकिस्तानी सेना के शिकार बने। ऐसा कहा जाता है कि पाकिस्तानी सेना 300-400 ट्रको में लूट का सामान भरकर अपने साथ ले गयी थी। करिअप्पा की अगुवाई में जब पाकिस्तानी सेना को मार पड़ी तो वो कश्मीर को छोड़ कर वापस भागने लगे। ऐसे ही एक दल का पीछा करते हुए करिअप्पा बारामूला पहुँचे और उन्हें वहाँ पाकिस्तानी आतंक और लूट का पता चला। उन्हें ऐसे लोग मिले जो कई दिनों से भूखे थे। करिअप्पा ने उन लोगों से वायदा किया कि वे इन लोगो के लिए ज़रूर कुछ करेंगे और उन्होंने अपना वायदा निभाया। वे एक दिन बाद बारामूला वापिस लौटे और इस बार वहाँ के लोगों के लिया आटा , दाल चावल लेकर पहुँचे। वहाँ के लोगों के मन में करिअप्पा के प्रति आदर का भाव उत्पन हुआ और बारामूला में बाद में करिअप्पा के नाम पर एक पार्क बनाया गया जो आज भी वहाँ है। 
 
अयूब खान के बॉस रह चुके थे करिअप्पा
 
 
करिअप्पा 1947 के बाद पाकिस्तानी सेना के प्रमुख और बाद में राष्ट्रपति बने, जनरल अयूब खान के बॉस रह चुके थे। अयूब खान इस बात का आज़ादी के बाद भी नहीं भूले थे। फील्ड मार्शल करिअप्पा के बेटे केसी करिअप्पा भारतीय वायुसेना में फ्लाइट लेफ्टिनेंट थे। 1965 के भारत – पाकिस्तान के युद्ध में उसका विमान पाकिस्तान में गिर गया था। जूनियर करिअप्पा ने विमान से कूद कर अपनी जान बचायी थी। जब अयूब खान को पता चला कि करिअप्पा का बेटा पाकिस्तानी कैद में है तो वो खुद उनके बेटे से मिलने आया था। अयूब खान ने खुद करिअप्पा को फ़ोन कर उनके बेटे को छोड़े जाने का ऑफर दिया था। करिअप्पा ने उनके इस आफर को ठुकरा दिया और साफ़ शब्दों में कहा कि “वह केवल मेरा बेटा नहीं है वो भारत माँ का लाल है और उसके साथ भी बाकी के युद्धबंदियो जैसा व्यवहार किया जाए।'' हालाँकि युद्ध समाप्ति के बाद करिअप्पा के बेटे को रिहा कर दिया गया था।