2 मई 2020, शौर्य चक्र विजेता मेजर अनुज सूद की वीरगाथा ; जिन्होंने आतंकवादियों से निर्दोषों की रक्षा करते हुए प्राणों की आहुति दी

    02-मई-2024
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Major anuj sood
 
भारत की भूमि हमेशा से ही वीरों की भूमि रही है। जहां हमारे निर्भीक योद्धाओं और सेना के वीर जवानों ने इतिहास में सुनहरे पन्ने जोड़े हैं। ये वीर योद्धा अपनी मातृभूमि को स्वर्ग से भी उत्तम मानते हैं और इन पर पूरा राष्ट्र गर्व करता है। आज भी, हमारे साहसी सैनिक इसी वीरता की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। चाहे युद्ध के मैदान हों या शांति के मिशन, हमारे सेना के जांबाजों ने हर जगह, हर स्थिति में देश की शान बढ़ाई है और वीरता की अनेक गाथाएं लिखी हैं। आज एक ऐसे ही हमारे वीर जवान दिवंगत मेजर अनुज सूद की पुण्यतिथि है, जिन्होंने जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में आतंकियों के चंगुल से लोगों की जान बचाते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी।
 
 
आज 2 मई है, आज ही के दिन जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकियों से लोहा लेते हुए मेजर अनुज सूद वीरगति को प्राप्त हो गए थे। लेकिन बलिदान होने से पूर्व उन्होंने आतंकियों को मौत के घाट उतार कर उनके चंगुल में फंसे निर्दोष लोगों को बचा लिया था। दरअसल मेजर अनुज सूद कुपवाड़ा जिले में 21 राष्ट्रीय राइफल्स में बतौर कंपनी कमांडर के रूप में तैनात थे। 01 मई 2020 को उनकी यूनिट को वत्सल जंगल के इलाके में कुछ आतंकवादियों के होने की सूचना मिली। सूचना थी कि आतंकी एक घर में छिपे हैं और वहां कुछ लोगों की भी मौजूदगी है। खुद को बचाने के लिए आतंकी उन निर्दोष लोगों को अपना निशाना बन सकते थे।
 
 
सूचना के आधार पर 21RR, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस की SOG टीम ने 1 मई, शनिवार शाम तलाशी अभियान शुरू किया। इस ऑपरेशन में मेजर सूद सबसे आगे थे। जैसे ही सुरक्षाबलों ने इलाके को घेर कर तलाशी अभियान शुरू किया तभी सुरक्षाबलों से खुद को घिरा देख आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। 21 राष्ट्री य रायफल्सु के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल आशुतोष शर्मा के नेतृत्वि में मेजर सूद समेत 5 लोगों की टीम उस घर में घुसी और आतंकियों से आमने सामने की कारवाई होने लगी। इन सब के बीच सबसे महत्वपूर्ण दोनों तरफ से जारी गोलीबारी में फंसे लोगों को सुरक्षित बचाना था। इस बीच आतंकी फायरिंग कर अँधेरे का फायदा उठा कर वहां से कहीं और छिपने में कामयाब हो गए।
 
 
इधर दूसरी तरफ मेजर सूद की यूनिट ने भी गोलीबारी बंद कर पहले लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने का प्रयास किया। अगली सुबह यानि 02 मई 2020 को, सुरक्षाबलों को इनपुट मिला कि आतंकी उसी इलाके में छिपे हुए हैं। सूचना के आधार पर मेजर सूद की बटालियन ने आतंकियों की खोजबीन शुरू की। आतंकवादियों का स्थान फिर से चांजीमुला में ही था। सुरक्षाबलों ने उस घर की घेराबंदी की जहाँ आतंकी छिपे थे और लोग फंसे हुए थे। लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए मेजर सूद अपने तीन अफसरों के साथ उस लक्षित घर में घुसे। अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की परवाह किए बिना, अधिकारी ने लगातार गोलीबारी की और आतंकवादियों को निशाना बनाया, जिससे तीन नागरिकों को बाहर निकाला जा सका। शेष दो नागरिक बंधकों को निकालने के प्रयास में, उन्होंने एक स्थानीय आतंकवादी पर हमला किया और उसे घायल कर दिया, इस प्रकार अन्य दो बंधकों की जान बचाई जा सकी। अपने वीरता पूर्ण कारवाई के दौरान मेजर अनुज सूद को कई गोलियां लगी लेकिन उन्होंने हार ना मानते हुए अपने अंतिम क्षण तक आतंकियों के सफाए में जुटे रहे। आखिरकार इस कार्रवाई को अंजाम देने के उपरान्त मेजर सूद वीरगति को प्राप्त हो गए।
 
 
मेजर अनुज सूद की विशिष्ट वीरता एवं असाधारण साहस का परिचय देते हुए सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया।
 
 
7 दिसंबर 1989 को हिमाचल में जन्में मेजर अनुज सूद सेना में शामिल होने के लिए IIT और दुनिया की प्रतिष्ठित क्रैंब्रिज यूनिवर्सिटी तक का ऑफर ठुकरा दिया था। मेजर अनुज सूद की रगों में उस परिवार का खून दौड़ता था जिसने अपनी पूरी जिन्दगी देश सेवा के लिए समर्पित कर दी है। मेजर सूद के पिता ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) चंद्रकांत सूद ने देश सेवा की और मेजर अनुज सूद की बहन भी सेना में अपनी सेवाएं दे रही हैं।
 
 
सितंबर 2017 में सॉफ्टवेयर इंजीनियर आकृति सिंह के साथ मेजर अनुज का विवाह संपन्न हुआ। नवंबर 2019 के बाद से, दोनों की मुलाकात नहीं हो पाई थी क्योंकि अनुज अपनी पोस्टिंग के लिए कश्मीर चले गए थे। आकृति ने अपनी नौकरी छोड़ दी थी और वह अपने पति के पास जाने का प्लान बना रही थीं। मेजर अनुज को 22 मार्च 2020 को छुट्टी पर घर आना था, लेकिन कोरोना वायरस महामारी के कारण लगे लॉकडाउन ने उनकी योजना में बाधा डाल दी। इसी कारण वे घर नहीं आ सके। शहीद होने से कुछ ही मिनट पहले, उनकी अपनी पत्नी से व्हाट्सएप पर बातचीत हुई थी। 3 मई को उनकी अगली पोस्टिंग का इंतजार था, लेकिन 2 मई को कुपवाड़ा में हुए इस आतंक विरोधी में अभियान में मेजर सूद वीरगति को प्राप्त हो गए।
 
 
मेजर सूद का वो आखिरी पोस्ट
 
 
बलिदान होने से पूर्व मेजर अनुज सूद की Instagram पोस्ट भी देश सेवा के प्रति उनके जज्बे को प्रदर्शित करने वाली थी। उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा था, ''जो चीज सबसे ज्यादा अहमियत रखती है वह है हिम्मत और सम्मान। उन चीजों को अगर आप खो देते हैं तो आपकी अहमियत आपके बूट्स पर जमी धूल से भी कम हो जाती है। बंदूक और बूट्स आपको सैनिक नहीं बनाते बल्कि एक सच्चा विशवास आपको सैनिक बनता है।'' यह शब्द हैं मेजर अनुज सूद के। जिन्होंने महज 31 वर्ष की आयु में मौत को गले लगाकर इस देश की रक्षा के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया और अनेक मासूमों को एक नई जिन्दगी दे गए। उनकी इस बहादुरी के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र से सम्मानित किया। उनकी पत्नी आकृति सिंह सूद ने इस सम्मान को सर झुका कर स्वीकार किया। जिस वक्त राष्ट्रपति भवन के सेंट्रल हाल में मेजर सूद की शौर्यगाथा बताई जा रही थी उस दौरान हर किसी की आँखे नम थीं। वाकई देश के ऐसे वीर बहादुर सैनिक पर गर्व है। मेजर सूद का बलिदान सदियों तक इस देश के युवाओं को देशभक्ति के जज्बे से ओत प्रोत करता रहेगा।