Election 2024 : देश में चल रहे लोकसभा चुनाव के छठे चरण के लिए चुनाव प्रचार गत गुरुवार शाम को थम गया। प्रचार थमने के साथ ही 8 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश की 58 लोकसभा सीटों पर कल, यानि 25 मई को मतदान होना है। इनमें दिल्ली और हरियाणा की सभी सीटों सहित उत्तर प्रदेश की 14, बिहार की 8, पश्चिम बंगाल की 8, झारखंड की 4 और ओडिशा की 6 सीटें शामिल हैं। साथ ही जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट के लिए भी इसी चरण में मतदान होगा। जानकारी के लिए बता दें कि इस सीट पर वैसे तो तीसरे चरण में ही मतदान होना था, लेकिन खराब मौसम के कारण चुनाव की तारीख को आगे बढ़ाकर इसे छठे चरण में कर दिया गया। शांतिपूर्ण तरीके से मतदान कराए जाने को लेकर पोलिंग पार्टियाँ शुक्रवार को अपने-अपने केन्द्रों के लिए रवाना हो गईं।
18 लाख मतदाता, 20 उम्मीदवार
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद पहली बार हो रहे लोकसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी सीट पर कुल 20 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। इन सभी 20 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला यहाँ के 18.36 लाख से अधिक मतदाता करेंगे। अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट 5 जिलों में फैली हुई है, जिनमें कुलगाम, अनंतनाग, पुंछ, शोपियां (जैननपोरा) और राजौरी शामिल हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक इसमें 18,36,576 मतदाता नामांकित हैं, जिनमें 9,33,647 पुरुष और 9,02,902 महिला मतदाता शामिल हैं। जबकि 27 थर्ड जेंडर मतदाता, लगभग 17,967 दिव्यांग और 100 वर्ष से अधिक आयु के 540 व्यक्ति इस सीट पर अपने मत का प्रयोग करेंगे। वहीं बता दें कि अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर 2,338 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं। 25 मई को मतदान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक होगा।
किसके बीच मुकाबला
जम्मू और कश्मीर की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट से PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती चुनावी मैदान में हैं। तो वहीं उनके खिलाफ अब्दुल्ला की नेशनल कांफ्रेंस ने मौजूदा सांसद हसनैन मसूदी का टिकट काटकर मियां अल्ताफ को अपना उम्मीदवार बनाया है। NC के उम्मीदवार मियां अल्ताफ, पीर फकीरी के परिवार से आते हैं और स्थानीय लोगों में उनकी पहुँच भी है। मियां अल्ताफ का परिवार वर्षों से राजनीति में है और वह प्रदेश में मंत्री भी रह चुके हैं। NC के अलावा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री रहे गुलाम नबी आजाद ने यहां से अपनी पार्टी 'डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी' (DPAP) से एडवोकेट सलीम को चुनाव में उतारा है। जबकि भाजपा ने यहां से अपना कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारा है।
सियासी समीकरण
कभी आतंकवाद को लेकर सुर्खियों में रहने वाले अनंतनाग की तस्वीर अब काफी हद तक बदली-बदली सी है। जहां कभी आतंकवाद के डर से सन्नाटा पसरा होता था, आज वहाँ देर रात भी चहल-पहल देखी जाती है। इन सब के बीच खास बात यह भी है कि इस क्षेत्र में पहलगाम के साथ ही पुंछ-राजौरी और कुलगाम-शोपियां जैसे क्षेत्र आते हैं। यहां पर पहले 7 मई को चुनाव होने वाला था, लेकिन भारी बारिश और भूस्खलन जैसी समस्याओं को देखते हुए विभिन्न पार्टियों की मांग पर इसे 25 मई के लिए टाल दिया गया। परिसीमन के बाद इस सीट पर पहली बार अनंतनाग के साथ राजौरी क्षेत्र भी जोड़ा गया है। यह अकेली सीट है, जो जम्मू और कश्मीर दोनों संभागों में आती है। सियासी समीकरण की बात करें तो अनंतनाग वैसे तो मुस्लिम बहुल सीट रही है, लेकिन पुंछ और राजौरी क्षेत्र को जोड़े जाने के बाद यहाँ हिंदू वोटों की संख्या भी अच्छी-खासी हो गई है। और यह कहीं न कहीं PDP या NC के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। दूसरी बात, 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में हो रहे विकास कार्यों ने भी यहाँ के लोगों को प्रभावित किया है। यहाँ के लोग अब विकास की बात करते हैं।
4 चरणों के बीत चुके मतदान में इस बार 4 दशकों के रिकॉर्ड भी ध्वस्त हुए हैं। श्रीनगर और बारामूला जैसे लोकसभा सीटों पर रिकॉर्ड मतदान दर्ज हुआ है। आम कश्मीरियों ने इस बार दिल खोलकर बिना डरे लोकतंत्र के इस महापर्व में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। यानि यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी कि अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद जिस तरह से जम्मू-कश्मीर विकास की मुख्य धारा से जुड़ा है, केंद्र सरकार की सभी योजनाओं का लाभ मिला है, उससे हर जम्मू-कश्मीर वासी के मन में एक विश्वास पैदा हुआ है। वो विश्वास देश के अन्य राज्यों की भाँति खुद को बेहतर स्थापित करने का है।