
भारत से युद्ध में पाकिस्तान (Pakistan) को मिलने वाली हार से उसका पुराना नाता है। पाकिस्तान ने जितनी बार अपनी नापाक हरकतों को अंजाम देते हुए भारत पर आक्रमण किया, उसे मुंह की खानी पड़ी। इस बात का मलाल अक्सर पाकिस्तान (Pakistan) को रहता ही है, लेकिन कई बार यह मलाल पाकिस्तान के नेताओं के मुंह से सुनने को भी मिल जाता है। एक बार फिर पाकिस्तान में कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। दरअसल, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपना दुःख जाहिर करते हुए 1999 में कारगिल युद्ध (1999 Kargil War) के दौरान पाकिस्तान को मिली करारी हार पर अपना दुःख व्यक्त किया है। ना सिर्फ दुःख व्यक्त किया बल्कि पाकिस्तान की गलती भी स्वीकार की है।
दरअसल, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ (Former Pakistani PM Nawaz Sharif) को गत मंगलवार, 28 मई को उनकी पार्टी PML(N) द्वारा पार्टी का अध्यक्ष चुना गया। इस मौके पर अपने नेताओं को संबोधित करते हुए नवाज ने कहा कि 1999 के दौरान भारत के साथ पाकिस्तान ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। लेकिन पाकिस्तान ने उस समझौते को बाद में तोड़ दिया जिसके बाद ही कारगिल युद्ध हुआ और पाकिस्तान को हार का सामना करना पड़ा। नवाज शरीफ ने कहा कि उस वक्त भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान आए थे। तब नवाज शरीफ और अटल जी ने 21 फरवरी 1999 को 'लाहौर डिक्लेरेशन' (लाहौर समझौते) पर हस्ताक्षर किए थे।
इस समझौते के तहत भारत-पाकिस्तान के बीच बस सेवा की भी शुरुआत हुई थी। इस बस को समझौता एक्सप्रेस का नाम दिया गया। बस की उद्घाटन सेवा के दौरान बस पर सवार होकर तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लाहौर पहुंचे थे। लेकिन कुछ ही दिनों बाद पाकिस्तान ने समझौता तोड़ दिया और कारगिल में आक्रमण कर दिया। नतीजा, कारगिल का युद्ध हुआ और पाकिस्तान की हार हुई। शरीफ ने अपनी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) की मीटिंग में कहा कि हमने उस समझौते का उल्लंघन किया, जो हमारी गलती थी। नवाज ने तब के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को इसका जिम्मेदार ठहराया।
लाहौर समझौते में क्या था?
लाहौर में दोनों देशों के बीच हुए इस एग्रीमेंट में भारत और पाकिस्तान की तरफ से शांति और स्थायित्व की बात कही गई थी। समझौते को बड़ा कदम माना गया था। यह समझौता 2 पड़ोसी देशों के बीच एक शांति समझौता था, जिसमें शांति और सुरक्षा बनाए रखने और दोनों देशों के बीच पीपल-टु-पीपल कॉन्टैक्ट को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया था। लेकिन पाकिस्तान तो पाकिस्तान ठहरा, उसने अपनी नापाक हरकतों को अंजाम देते हुए कारगिल में घुसपैठ शुरू कर दी। पाकिस्तान के तब के आर्मी चीफ रहे परवेज मुशर्रफ ने अपनी सेना को खुफिया तरीके से मार्च 1999 में जम्मू-कश्मीर के कारगिल जिले में घुसपैठ का आदेश दिया था। मई आते-आते पाकिस्तानी सेना ने कारगिल की दुर्गम ऊँची चोटियों पर अपना कब्जा कर लिया था। जब घुसपैठ की जानकारी भारतीय सेना को मिली तो सरकार के आदेश पर ऑपरेशन विजय शुरू हुआ। 3 मई से 26 जुलाई 1999 तक कारगिल युद्ध चला था। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के नापाक मंसूबों को नाकाम करते हुए इस युद्ध का अंत भी भारत की विजय और पाकिस्तान की करारी हार के साथ किया।