लोकसभा चुनाव के बीच लद्दाख में NC को बड़ा झटका ; कारगिल इकाई के सभी सदस्यों ने दिया इस्तीफा, जानें मुख्य वजह

    07-मई-2024
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Kargil National Conference Unit Resigns
 
Loksabha Election 2024 : देश में जारी लोकसभा चुनाव के बीच नेशनल कांफ्रेंस को बड़ा झटका लगा है। गत सोमवार को, नेशनल कॉन्फ्रेंस की कारगिल इकाई के सभी सदस्यों ने एक साथ अपने सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे देने वाले NC सदस्यों का कहना है कि उन पर कांग्रेस के उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए लगातार आलाकमान से दबाव बनाया जा रहा था, जिसके लिए उन्हें टेलीफोन और सोशल मीडिया के जरिए बार-बार कहा जा रहा था। इस दबाव को पार्टी कार्यकर्ताओं ने पसंद नहीं किया और विरोध में उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता कमर अली अखून ने पार्टी अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला को खत लिखकर सभी कार्यकर्ताओं का इस्तीफा सौंपा है और कहा कि पार्टी हाई कमान का फैसला कारगिल के लोगों के खिलाफ जा रहा है।
 
 
जम्मू कश्मीर और लद्दाख में सीटों को लेकर कांग्रेस और NC के बीच सहमति भले ही बन गई हो, लेकिन उम्मीदवारों के चयन पर दोनों ही पार्टियाँ अलग-अलग विचार रख रही हैं। इसी कारण से इस बार भी लद्दाख में चुनावी माहौल कांग्रेस के लिए बेहद चुनौतिपूर्ण नजर आ रहा है। कांग्रेस आलाकमान द्वारा चुने गए उम्मीदवार सेरिंग नामग्याल से कारगिल में नेशनल कॉन्फ्रेंस की यूनिट खुश नहीं है। लद्दाख डेमोक्रेटिक अलायंस ने सबके समर्थन से मोहम्मद हनीफा को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतारने का फैसला किया है। इससे पहले, सभी नेताओं ने आम सहमति से हनीफा को अपना उम्मीदवार बनाया था, लेकिन जल्द ही कांग्रेस पार्टी ने सेरिंग नामग्याल को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।
 
 
इस फैसले से NC बिलकुल भी सहमत नजर नहीं आई और उन्होंने अपनी नाराजगी जाहिर नहीं की, लेकिन आज कारगिल यूनिट के नेताओं ने पद से इस्तीफा सौंप कर यह साफ कर दिया कि वे इंडिया गठबंधन में कांग्रेस का साथ देना मंजूर नहीं करते। पार्टी के अतिरिक्त महासचिव लद्दाख कमर अली अखून ने लिखा है कि लद्दाख के भविष्य को बचाने के लिए लद्दाख डेमोक्रेटिक अलायंस ने सबके समर्थन से मोहम्मद हनीफा को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतारने का फैसला किया है। सभी राजनीतिक और धार्मिक संगठन हनीफा का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में पार्टी हाई कमान इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए उन पर दबाव बना रहा है। इसी वजह से पार्टी कार्यकर्ताओं को लद्दाख के खिलाफ काम करने की बजाय इस्तीफा देना पसंद है। कमर अली अखून ने कहा कि पार्टी उन पर कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन करने का दबाव बना रही थी, इसी वजह से सभी कार्यकर्ताओं ने इस्तीफा दिया है। 
 
 
लद्दाख सीट का समीकरण ?
 
 
यानि आपसी सामंजस्य ना बिठा पाने की स्थिति में इस प्रकार, लद्दाख सीट पर एक बड़ा सियासी घमासान होने की संभावना है। 2019 में अनुच्छेद 370 के खात्मे के बाद जम्मू कश्मीर से अलग कर लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया है। लद्दाख में 2 जिले हैं, कारगिल और लेह और इन दोनों को मिलकर एक लोकसभा सीट बनाई गई है। दोनों जिलों में एक-एक लद्दाख पहाड़ी स्वायत्त विकास परिषद (LAHDC) हैं। इनमें से LAHDC लेह पर भाजपा का दबदबा और LAHDC कारगिल पर नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) का कब्जा है। 1967 से अब तक हुए चुनाव में 6 बार कांग्रेस, 2 बार NC, 3 बार निर्दल तथा 2 बार ही भाजपा जीती है। भाजपा यहां 2014 से जीत रही है, जबकि कांग्रेस ने आखिरी बार 1996 में यहां जीत हासिल की थी। 1998 व 1999 में नेकां को जीत मिली थी, लेकिन बाद के दो चुनाव 2004 व 2009 में निर्दलीय संसद तक पहुंचे थे। 
 
 
1,84,268 मतदाताओं के हाथ उम्मीदवारों की किस्मत
 
 
लेकिन इस बार INDI गठबंधन के तहत तय हुए इस सीट पर NC के समर्थन से कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ रही है। किन्तु यहाँ अब उम्मीदवारों के चयन के बाद NC और कांग्रेस के बीच तनातनी की स्थिति है। ऊपर से अगर हानिफ जान भी निर्दलीय चुनावी मैदान में उतारते हैं तो यह कांग्रेस के लिए मुश्किल डगर होगी। जबकि भाजपा का रास्ता फिलहाल कुछ चुनौतियों के साथ साफ नजर आ रहा है। नामांकन पत्र दाखिल करने की आज यानि 3 मई को अंतिम तिथि है, और उम्मीदवार 6 मई तक अपना नाम वापस ले सकते हैं। इस सीट पर कुल 1,84,268 मतदाता हैं, जिनमें 7462 युवा पहली बार मतदाता बने हैं। मतदान 20 मई को होगा। 
 
 
कांग्रेस और NC का सीट फ़ॉर्मूला
 
 
जानकारी के लिए बता दें कि कांग्रेस जम्मू संभाग की 2 और लद्दाख सीट पर चुनावी मैदान में है। जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस कश्मीर संभाग की 3 सीटों पर मैदान में है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने गुरुवार को बारामूला लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल कर दिया है। वहीँ पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने इस सीट से पूर्व राज्यसभा सदस्य मीर फयाज को मैदान में उतारा है। इस सीट से नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 3 मई है, जबकि मतदान 20 मई को होगा। वहीं, उमर अब्दुल्ला का सामना पीपुल्स कांफ्रेस के अध्यक्ष और अलगाववादी से मुख्यधारा के नेता बने सज्जान गनी लोन से है। सज्जाद लोन ने बुधवार को बारामूला लोकसभा क्षेत्र के लिए अपना नामाकंन पत्र दाखिल किया है। पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ सज्जाद ने रिटर्निंग ऑफिसर मिंगा शेरपा के समक्ष नामाकंन पत्र दाखिल किया है।
 
 
पिछली बार पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला और कांग्रेस ने जिस कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के नेता सज्जाद कारगिली को समर्थन दिया था, वो इस बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ते नजर आएंगे। वहीं दूसरी ओर लद्दाख के लिए विशेष दर्ज की मांग करने वाले सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक भी टिकट के चक्कर में कई दिन तक धरने पर बैठे रहे लेकिन उन्हें मायूसी के अलावा कुछ भी हाथ न लगा। सोनम वांगचुक को टिकट देना तो दूर,यहां तक कि किसी भी राजनीतिक दल ने उन्हें एक बार भी पूछा तक नहीं।