EAC-PM Report : देश में लोकसभा का चुनाव चल रहा है, सभी राजनीतिक दल चुनावी मैदान में प्रचार प्रसार में जुटी हैं। इसी बीच प्रधानमंत्री को सलाह देने वाली आर्थिक सलाहकार परिषद् यानि EAC-PM ने अपनी एक स्टडी में बड़ा खुलासा किया है। EAC-PM द्वारा जारी रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में वर्ष 1950 के बाद से वर्ष 2015 तक हिन्दुओं की आबादी में 8 प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है। जबकि वहीँ देश में मुस्लिमों की आबादी 43 फीसदी तक बढ़ी है। यानि हिन्दुओं के अपेक्षा मुस्लिमों का ग्राफ बेहद तेजी से बढ़ा है। ये स्थिति सिर्फ भारत में नहीं बल्कि ये स्थिति पड़ोसी देश नेपाल और म्यांमार में भी देखा गया है। हालांकि, अगर यही आंकड़ा हम 38 इस्लामिक देशों में देखें तो वहां भी मुसलमानों की आबादी में वृद्धि देखी गई है।
PM की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्ष 1950 से 2015 के बीच हिन्दुओं की आबादी 7.82 प्रतिशत कम हुई है। इसी दौरान मुसलमानों की आबादी में 43.15 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 1950 में हिन्दू 84.68 प्रतिशत थे, जबकि 2015 में उनकी हिस्सेदारी 78.06 प्रतिशत पर आ गई। इस दौरान हिन्दुओं की आबादी में 7.82 प्रतिशत की कमी हुई। वहीं बात करें मुस्लिमों की आबादी की तो, 1950 में मुसलमान भारत में 9.84 प्रतिशत थे और 2015 में बढ़ोतरी के साथ यह संख्या 14.09 प्रतिशत हो गई। यानि 1951-2015 के बीच मुसलमानों की आबादी में 43.15 प्रतिशत का इजाफा देखा गया।
देश में अल्पसंख्यकों की स्थिति
अक्सर जातिगत राजनीति करने वाले राजनीतिक अल्पसंख्यकों के अधिकार का मुद्दा उठाते रहते हैं। मुसलमानों के हक़ की बात करने वाले दल यह दावा करते हैं कि भारत में मुस्लिम सुरक्षित नहीं हैं, उन्हें अधिकार नहीं मिल रहा, वे विकास से वंचित हैं। लेकिन आज जब प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की रिपोर्ट सामने आई है तो ऐसे कई दावे विफल होते नजर आ रहे हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं और अच्छी तरह से फल-फूल रहे हैं। भारत में सिर्फ मुसलमान ही नहीं बल्कि सिख और ईसाई धर्म की आबादी में भी बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के मुताबिक, देश में सिख आबादी में 6.58 प्रतिशत और ईसाई आबादी में 5.38 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, देश में पारसी और जैन धर्म के लोगों की आबादी घटी है।
इस्लामिक देश में मुस्लिम
जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, 38 मुस्लिम बहुल देशों में मुसलमानों की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है। जबकि पहले से अल्पसंख्यकों की श्रेणी में रहने वाले हिन्दुओं की आबादी और भी ज्यादा घट चुकी है। खासकर हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान और बांग्लादेश में। पाकिस्तान में 1950 में मुस्लिमों की आबादी 77.45 प्रतिशत थी। जो अब पड़ोसी देश में मुस्लिम 80.36 प्रतिशत हो गए। इस दौरान बांग्लादेश में भी मुस्लिम 74.24 प्रतिशत से बढ़कर 88.02 प्रतिशत हो गए हैं। लेकिन इन देशों में हिन्दुओं की संख्या घटी गई है। पाकिस्तान में तो आय दिन अल्पसंख्यकों के साथ अत्याचार के नए नए मामले सामने आते रहते हैं। पाकिस्तान में अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन और नाबालिग हिन्दू लड़कियों का निकाह जैसे अनेक मामले हमें देखने को मिलता है। लेकिन विडंबना ही कहेंगे कि मानवाधिकार की दुहाई देने वाली अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां इन घटनाओं से अपना मुंह फेर लेती हैं।
भारत में भी असहिष्णुता और मुसलमानों की सुरक्षा जैसे मुद्दों को एजेंडा बनाने वाले तथाकथित बुद्धजीवियों को इस्लामिक देशों में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार नजर नहीं आते। पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान में भी मुस्लिमों की आबादी 88.75 % से बढ़कर 89.01 % हो गई है। जबकि मालदीव में मुस्लिमों की संख्या 99.83 प्रतिशत से घटकर 98.36 प्रतिशत हैं, जो कि बेहद मामूली गिरावट है। लेकिन इन सब में हिन्दुओं की संख्या में गिरावट चिंता का विषय है।
इस रिपोर्ट में म्यांमार में बौद्धों की आबादी 78.53 प्रतिशत से घटकर 70.80 प्रतिशत, श्रीलंका में बौद्धों की आबादी 64.28 प्रतिशत से बढ़कर 67.65 प्रतिशत और भूटान में बौद्धों की आबादी 71.44 प्रतिशत से बढ़कर 84.07 प्रतिशत हो गई है। हालांकि, नेपाल में हिन्दुओं की आबादी 84.30 प्रतिशत से घटकर 81.26 प्रतिशत हो गई है। यानि भारत और नेपाल जैसे इन देशों में जहाँ हिन्दू बहुसंख्यक में है और मुस्लिम अल्पसंख्यक में वहां हिन्दुओं की संख्या घट जाती है और मुस्लिमों की संख्या बढ़ जाती है। इसके बावजूद भी पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, अभिनेता आमिर खान जैसे अनेक बड़ी हस्तियाँ यह एजेंडा चलाते हैं कि भारत में मुस्लिम सुरक्षित नहीं है। जबकि वास्तिविकता सबके सामने है।