
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 निरस्त होने और केंद्रशासित प्रदेश बनने से पहले एक दौर वो भी था, जब वहां पर इस्लामिक आतंकी खुलेआम सुरक्षाकर्मियों और नागरिकों की हत्या करते थे। ऐसी ही एक घटना 22 जून 2017 यानि आज से ठीक 7 वर्ष पूर्व रमज़ान महीने की पवित्र माने जाने वाली शब-ए-क़द्र की रात घटित हुई थी, जब श्रीनगर के जामा मस्जिद में रोजेदारों की सुरक्षा में तैनात एक जांबाज पुलिस ऑफिसर डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित को इस्लामिक भीड़ ने पीट-पीटकर मारा डाला था। 23 जून 2017 की सुबह नौहट्टा के जामिया मस्जिद के बाहर डीएसपी मोहम्मद अयूब पंडित का क्षत विक्षत शव मिला। इस दृश्य ने हर किसी को हैरान कर दिया था। चारों ओर बस यही सवाल घूम रहा था कि आखिर कोई इतना क्रूर कैसे हो सकता है कि अपनी सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मी के साथ ऐसी बर्बरता करे ?
22 जून 2017 की घटना
दरअसल 22 जून की श्रीनगर के जामा मस्जिद में हजारों की संख्या में शब-ए कद्र की नमाज अदा करने के लिए मुस्लिमों की भीड़ इकट्ठा हुई थी। इन्हीं रोजेदारों की सुरक्षा में DSP अयूब को वहाँ तैनात किया गया था। अयूब मस्जिद के अंदर से नमाज अदा कर बाहर निकल रहे थे। तभी अयूब को मस्जिद के भीतर कुछ संदिग्ध गतिविधियाँ नजर आईं। मस्जिद की सुरक्षा को देखते हुए अयूब ने अहाते में अपने फ़ोन से तस्वीरें लेनी शुरू कर दीं। तभी वहां मौजूद कट्टरपंथियों की नजर अयूब पर पड़ी और वे अयूब पंडित को रोककर उनके साथ बद्द्सलुकी करने लगे। कुछ कट्टरपंथियों ने उनका पहचान पत्र मांगा। अयूब ने उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन लोग हाथापाई करने लगे।
इस्लामिक कट्टरपंथियों ने की अयूब की हत्या
देखते ही देखते कट्टरपंथियों की भीड़ मोहम्मद अयूब पंडित पर टूट पडी। खुद की आत्मरक्षा के लिए अयूब ने अपना सर्विस रिवाल्वर निकाला लेकिन भड़काऊ भीड़ ने उन पर हमला कर दिया। भीड़ में आवाज़ें आने लगीं कि वो सीआईडी का ऑफिसर है। भीड़ पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रही थी, और जम्मू कश्मीर में आतंकी संगठन ISIS के मुखिया जाकिर मूसा जिंदाबाद के नारे लगा रही थी। मस्जिद में जिस वक्त अय्यूब पंडित को इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ में मार रही थी उस वक्त अलगाववादी नेता मीरवाइज मस्जिद के अंदर तकरीर दे रहे थे। अयूब पर भीड़ इतनी हावी हो गई कि कुछ ही देर में भीड़ ने उनके कपड़े फाड़ दिए और पिट-पीटकर एक बहादुर पुलिस ऑफिसर की ऑन-ड्यूटी नृशंस हत्या कर दी।
अगले दिन पुलिस को अयूब का शव मस्जिद के बाहर पूरी तरह से क्षत-विक्षत हालत में मिला था। इसके बाद शव को शिनाख़्त के लिए पुलिस कंट्रोल रूम लाया गया था। जब यह घटना घटी तब डीएसपी यूनिफॉर्म में नहीं थे। घरवालों से बातचीत के बाद पुलिस पहचान पाई कि वह DSP हैं। कट्टरपंथियों की भीड़ ने इस कदर उनकी हत्या की थी जिसे पहचान पाना भी मुश्किल था।
मुठभेड़ में मारा गया था अयूब का हत्यारा
इस घटना को घटित हुए आज 6 वर्ष हो गए लिहाजा आज भी यह सवाल उठता है कि आखिर मोहम्मद अयूब की गलती क्या थी ? बस ये कि वे रमजान के महीने में उस दिन उन रोजेदारों की की सुरक्षा में बिन वर्दी के तैनात हुए, जिन्हें इंसानियत का मतलब तक नहीं मालूम था ? हालाँकि कुछ स्थानीय युवकों ने इस घटना की वीडियो बनाई थी। इसे देखने के बाद पुलिस अधिकारियों ने 20 लोगों को गिरफ्तार किया। इनके पास से डीएसपी की पिस्तौल और दूसरे कुछ सामान भी बरामद किए गए। ये बात भी मालूम चली कि हत्या का मास्टरमाइंड घटना के बाद कुछ दिन बाद ही आतंकी गिरोह में शामिल हो गया था। लेकिन 12 जुलाई 2017 को एक मुठभेड़ में उसे मार गिराया गया। उसका नाम सज्जाद अहमद गिलकर था जो आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के लिए काम करता था।
आज मोहम्मद अयूब पंडित की पुण्यतिथि पर उन्हें हमारा नमन