जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव की तैयारियों तेज ; पंजीकृत व गैर-मान्यता प्राप्त दलों को जल्द मिलेगा चुनाव चिन्ह

जानें चुनाव में क्यों हो रही है देरी ?

    08-जून-2024
Total Views |
 
Assembly Ellecton in jammu kashmir
 
Assembly Election 2024 : चुनाव आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में जल्द विधानसभा चुनाव (Assembly Election) कराने की तैयारियां शुरू कर दी है। चुनाव आयोग (Election Commission Of India) जल्द ही पंजीकृत और गैर-मान्यता प्राप्त दलों को चुनाव चिन्ह (Symbol) आवंटित करने की प्रक्रिया शुरू कर देगी। इस बात की जानकारी खुद निर्वाचन आयोग की ओर से दी गई है। चुनाव आयोग द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि "आयोग ने तत्काल प्रभाव से जम्मू कश्मीर संघ शासित प्रदेश की विधान सभा के आम चुनाव के लिए चुनाव प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के पैरा 10बी के तहत सामान्य प्रतीक आवंटित करने के लिए आवेदन स्वीकार करने का फैसला किया है।"
 
 
गौरतलब है कि राजनीतिक दलों को चुनाव चिन्ह आवंटित करने की प्रक्रिया आमतौर पर चुनाव से ठीक पहले शुरू होती है। लिहाजा चुनाव राजनीतिक दलों की लम्बी मांगों को सुनते ही आयोग ने यह प्रक्रिया जल्द शुरू करने का फैसला किया है। यानि अब ये सुनिश्चित हो गया है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में जल्द ही विधान सभा चुनाव कराया जाएगा। चुनाव आयोग (EC) ने गत शुक्रवार को राजनीतिक दलों से उनके उम्मीदवारों के लिए सामान्य प्रतीक के उपयोग के लिए आवेदन स्वीकार भी कर लिया। साथ ही यह आदेश भी जारी हुआ कि जल्द से जल्द चुनाव चिन्ह का आवंटन हो जाए।
 

Assembly Ellecton in jammu kashmir 
 
 
बहरहाल मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य दलों के लिए सामान्य प्रतीक पहले से ही आरक्षित हैं और कोई अन्य दल उनके उपयोग के लिए आवेदन नहीं कर सकता है। आमतौर पर चुनाव चिन्ह के लिए आवेदन की प्रक्रिया विधानसभा की अवधि समाप्त होने से 6 महीने पहले शुरू होती है। लेकिन चूंकि जम्मू-कश्मीर में 2018 में विधानसभा भंग होने के बाद से कोई विधानसभा नहीं है, इसलिए चुनाव आयोग ने अब इस प्रक्रिया को शुरू करने का फैसला किया है। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची का एक अल्पकालिक विशेष सारांश संशोधन किया जाएगा।
 
 
गत वर्ष, सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 (Article 370) हटाए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग को 30 सितंबर तक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने का आदेश दिया था। जबकि 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने और पूर्व राज्य को 2 संघ शासित प्रदेशों में विभाजित करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। जम्मू कश्मीर में जल्द विधानसभा चुनाव कराए जाने को लेकर ना सिर्फ PM मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने वादा किया है बल्कि समय समय पर मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) राजीव कुमार ने भी यह स्पष्ट किया है कि सारी प्रक्रिया संपन्न होने और परिस्थिति चुनाव के अनुकूल होने के उपरान्त जम्मू कश्मीर में विधानसभा का चुनाव कराया जाएगा।
 
 
लोकसभा में रिकॉर्ड मतदान
 
 
लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित होने से पूर्व गत सोमवार को एक प्रेस वार्ता में मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने यह कहा था कि चुनाव आयोग विधानसभा चुनाव कराने की प्रक्रिया "बहुत जल्द" शुरू करेगा। वहीं इस बार लोकसभा चुनावों में भी जम्मू कश्मीर में ऐतिहासिक मतदान प्रतिशत दर्ज किया गया। जम्मू कश्मीर में इस बार 4 दशकों बाद 58.58% मतदान दर्ज किया गया। जम्मू कश्मीर की सभी 5 लोकसभा सीटों पर संपन्न हुए मतदान के बाद एक बयान में, CEC राजीव कुमार ने कहा था कि पिछले 35 वर्षों में कश्मीर में सबसे अधिक मतदान हुआ। जबकि 2019 की तुलना में उम्मीदवारों की संख्या में 23% की वृद्धि हुई थी। यह सक्रिय भागीदारी संघ शासित प्रदेश में जल्द ही होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए एक बड़ा सकारात्मक संकेत है ताकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया फलती-फूलती रहे।
 
 
चुनाव में देरी क्यों ?
 
 
अनुच्छेद 370 और 35A के निरस्त होने के बाद 2019 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 लाया गया। तब 107 विधानसभा सीटें निर्धारित की थीं, जिसमें पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर की 24 सीटें थी, लेकिन उन सीटों को निकालकर 83 सीटें बनती थीं। इसमें SC के लिए 7 सीटें आरक्षित थीं, लेकिन ST के लिए आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं था। जिसके बाद 2022 में परिसीमन लाया गया और तब तक चुनाव संभव नहीं थे।
 
 
परिसीमन प्रक्रिया में विधानसभा सीटों को 107 से बढ़ाकर 114 किया गया, जिसमें POJK की 24 सीटों को निकालकर 90 सीटें हुईं और इसमें 9 सीटें ST के लिए आरक्षित की गईं। इस सारी प्रक्रिया के पूरे होने के बाद दिसंबर 2023 में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन संशोधित अधिनियम 2023 लाया गया। इसके बाद अब चुनाव संभव हो पाए हैं। चुनाव आयोग ने बताया कि परिसीमन में विस्थापितों के लिए भी 2 सीटें आरक्षित करने का प्रावधान रखा गया है, जिसमें एक सीट महिला की है। इसके अलावा एक दिव्यांग के लिए भी सीट आरक्षित करने का प्रावधान है।