अफगानिस्तान पर पाकिस्तानी हमले के पीछे कौन ? क्या US का कोई हिडेन रोल ? #Explained

    18-अक्तूबर-2025
Total Views |
 
whos behind pakistans afghanistan conflict
 
पाकिस्तान ने फिर से अपनी नापाक प्रवृत्ति का परिचय दिया है। संघर्ष विराम के बावजूद उसने अफगानिस्तान के दक्षिण-पूर्वी पक्तिका प्रांत में हवाई हमले किए, जिनमें दो बच्चों सहित आठ आम नागरिकों की मौत हो गई और सात अन्य घायल हुए। टोलो न्यूज के सूत्रों के अनुसार, इन हमलों में अरगुन और बरमाल जिलों के रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया गया। घायलों में छह महिलाएं और एक बच्चा शामिल हैं। यह कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने आम नागरिकों को निशाना बनाया हो।
 
 
इतिहास गवाह है कि चाहे ये अफगानिस्तान के खिलाफ हमले हों या भारत के खिलाफ पाकिस्तानी साजिशें, हमेशा आम लोगों और उनके निवास स्थानों को ही निशाना बनाया गया है। उदाहरण के तौर पर ऑपरेशन सिंडूर के दौरान जब भारतीय सेना ने पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के ठिकानों को नष्ट किया और आतंकियों को मार गिराया, तब पाकिस्तान ने इसका बदला लेते हुए भारत-पाक सीमा पर रहने वाले आम नागरिकों को निशाना बनाया, साथ ही मंदिरों और गुरुद्वारों पर भी हमला किया।
 
 
 
 
 
आज भी, संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर आधी रात हमला किया और 8 नागरिकों की हत्या की, जिसमें अफगानिस्तान क्रिकेट टीम के 3 प्लेयर्स भी शामिल थे। यह न केवल अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है, बल्कि पूरी तरह से घटिया और शर्मनाक कृत्य है।
 
 
 
 
 
अफगानिस्तान-पाकिस्तान संघर्ष:
 
 
डूरंड लाइन के पीछे दशकों पुराना तनाव इस हमले का प्रमुख कारण है। 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद पाकिस्तान ने बार-बार आरोप लगाया कि अफगानिस्तान, तेहरिक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को पनाह दे रहा है, जो पाकिस्तान में आतंकी हमलों के लिए जिम्मेदार है। इसके जवाब में पाकिस्तान ने अफगान क्षेत्र में कई बार सैन्य कार्रवाई की।
 
 
मार्च 2024 में तनाव कम हुआ था, लेकिन दिसंबर 2024 से यह फिर बढ़ गया। अक्टूबर 2025 के हमलों में पाकिस्तान ने ‘आतंकी ठिकानों’ को निशाना बनाने का दावा किया, जबकि तालिबान ने इसे ‘निहत्थे नागरिकों पर हमला’ बताया। दोनों पक्षों ने 48 घंटे का सीजफायर किया, लेकिन सीमा पर व्यापार और आम लोगों की सुरक्षा की स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। विदेशी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान का अमेरिका की अफगान नीति का समर्थन तालिबान को नाराज करता है, जिससे समझौता और भी कठिन हो गया है।
 
 
 
 
 
विवाद में US का रोल ?
 
 
2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद अब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बगराम एयरबेस पर फिर से कब्जे की बात कही है। सितंबर 2025 में उन्होंने तालिबान को चेतावनी दी कि बगराम मामले में सहयोग नहीं करने पर उसे ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने होंगे।
 
 
इसके तुरंत बाद पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हमले तेज कर दिए। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि अमेरिका, पाकिस्तान के जरिए तालिबान पर दबाव डाल रहा है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने ट्रंप की मध्यस्थता की तारीफ की और भारत पर तालिबान से नजदीकी बढ़ाने का आरोप लगाया। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह रणनीति अफगानिस्तान के बगराम एयरपोर्ट पर नियंत्रण पाने की अमेरिका की ‘हिडन प्लानिंग’ का हिस्सा हो सकती है।
 
 
कुछ स्रोतों के अनुसार, पाकिस्तान अमेरिका को ईरान के खिलाफ सैन्य अड्डा देने की पेशकश कर रहा है, लेकिन इसका असली उद्देश्य अफगानिस्तान पर दबाव बनाना है। ट्रंप और पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ की सितंबर 2025 की मुलाकात में कहा गया कि मुनीर को ‘पसंदीदा फील्ड मार्शल’ मानते हुए पाकिस्तान को अफगानिस्तान पर हमले के लिए प्रोत्साहित किया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक ‘प्रॉक्सी स्ट्रेटेजी’ है, जिसमें पाकिस्तान के जरिए तालिबान को कमजोर किया जा रहा है। जब तालिबान ने बगराम बेस पर कब्जे की मांग ठुकराई, तो ट्रंप ने धमकी दी और पाकिस्तान ने हमले तेज कर दिए।
 
 
पाकिस्तान-अमेरिका की चिंता ?
 
 
इसी बीच भारत-तालिबान के रिश्तों में सुधार के प्रयासों ने पाकिस्तान और अमेरिका को असहज कर दिया है। 2025 में तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा और काबुल में भारत के दूतावास को फिर से खोलने की घोषणा ने यह संकेत दिया कि भारत अफगानिस्तान में अपना प्रभाव बढ़ा रहा है।
 
 
भारत अफगानिस्तान को मानवीय सहायता, व्यापार और बुनियादी ढांचे में मदद दे रहा है, जबकि आधिकारिक मान्यता नहीं दी गई है। इस कदम से पाकिस्तान-अमेरिका के बीच बढ़ते रिश्तों और नई दिल्ली वाशिंगटन के संबंधों में तनाव पैदा हुआ है। भारत और तालिबान की बढ़ती नजदीकी पाकिस्तान को क्षेत्रीय रूप से अलग-थलग करती दिख रही है।
 
 
व्यक्तिगत टिप्पणी
 
 
पाकिस्तान की यह हरकत अंतरराष्ट्रीय कानून और मानवीय सिद्धांतों का सीधा उल्लंघन है। आम नागरिकों को निशाना बनाना, मंदिरों और गुरुद्वारों पर हमला करना, और संघर्ष विराम का उल्लंघन करना उसकी पुरानी आदत है। साथ ही, अमेरिका का ‘हिडन रोल’ और भारत-तालिबान संबंधों में सुधार ने इस जटिल स्थिति को और पेचीदा बना दिया है।
 
 
अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के साथ होने वाली T20 सीरीज से भी पीछे हटने का फैसला किया है, यानी कोई मैच नहीं खेला जाएगा। यह स्थिति दर्शाती है कि पाकिस्तान-अमेरिकी रणनीति और उनकी नापाक हरकतें न केवल अफगानिस्तान बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए गंभीर चुनौती बन चुकी हैं।