भारत की रक्षा क्षमता एक नए युग में प्रवेश करने जा रही है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने अब “ध्वनि (Dhvani)” नामक एक ऐसी मिसाइल विकसित की है, जो ब्रह्मोस से भी अधिक तेज़ और घातक मानी जा रही है। यह हाइपरसोनिक मिसाइल भारत की रणनीतिक शक्ति को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने की क्षमता रखती है।
‘ध्वनि’ क्या है?
“ध्वनि” मिसाइल भारत की पहली हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल होगी, जो आवाज़ की गति से करीब 6 गुना तेज़ (मैक 6+ या लगभग 7,400 किमी/घंटा) उड़ सकेगी। इस प्रोजेक्ट पर DRDO की कई प्रयोगशालाएँ मिलकर काम कर रही हैं — जिनमें एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट, हाइपरसोनिक टेस्टिंग सेंटर और डिफेंस मेटलर्जिकल रिसर्च लैब शामिल हैं। पहला परीक्षण 2025 के अंत तक किए जाने की संभावना जताई गई है।
ध्वनि की प्रमुख तकनीकी खूबियाँ
विशेषता | विवरण |
गति | लगभग 7,400 किमी/घंटा (मैक 6) |
मारक दूरी | लगभग 1,500 किमी |
प्रक्षेपण माध्यम | ज़मीन, समुद्र और हवा – तीनों से लॉन्च संभव |
तकनीक | हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) – जो ऊँचाई पर पहुँचकर ग्लाइड करता है और रडार से बचता है |
स्वदेशीकरण | लगभग 80% घटक भारत में बने होंगे |
रडार से बचाव | अनियमित फ्लाइट पथ जिससे दुश्मन का ट्रैक करना लगभग असंभव होगा |
ब्रह्मोस बनाम ध्वनि: क्या फर्क है?
भारत की सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइलों में से एक है। लेकिन ध्वनि उससे दो गुना तेज़ और तीन गुना लंबी दूरी तय करने में सक्षम होगी।
पहलू | ब्रह्मोस | ध्वनि |
गति | मॅक 3 (≈ 3,700 किमी/घंटा) | मॅक 6+ (≈ 7,400 किमी/घंटा) |
रेंज | 600 किमी | 1,500 किमी |
श्रेणी | सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल | हाइपरसोनिक ग्लाइड मिसाइल |
तकनीक | रैमजेट इंजन आधारित | स्क्रैमजेट + ग्लाइड तकनीक |
ट्रैकिंग | सीमित रडार दृश्य लगभग अदृश्य | ट्रैक करना कठिन |
अगर ब्रह्मोस “तेज़ धार वाला हथियार” है, तो ध्वनि “अदृश्य प्रहार” साबित हो सकती है, जो दुश्मन को तब मार गिराएगी जब उसे हमले का अहसास भी नहीं होगा।
क्यों है यह मिसाइल भारत के लिए गेमचेंजर
सटीक और बेहद तेज़ प्रहार : इतनी रफ्तार में दुश्मन को प्रतिक्रिया का समय नहीं मिलेगा।
रणनीतिक संतुलन बदलेगा : भारत अब अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की कतार में शामिल हो जाएगा, जिनके पास हाइपरसोनिक हथियार हैं।
सीमा पार ठिकानों पर सटीक वार : पाकिस्तान या किसी आतंकी संगठन के गढ़ पर तुरंत कार्रवाई संभव होगी।
स्वदेशी रक्षा उद्योग को बढ़ावा : इस प्रोजेक्ट से देश के रक्षा क्षेत्र में नई तकनीक और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, “ध्वनि” का पहला यूजर ट्रायल 2027 तक किया जा सकता है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चला, तो 2030 तक यह मिसाइल भारतीय सेनाओं के शस्त्रागार का हिस्सा बन जाएगी। यह मिसाइल भारत की “मेक इन इंडिया रक्षा नीति” का सबसे शक्तिशाली उदाहरण बन सकती है।
भारत की नई “ध्वनि” मिसाइल केवल एक हथियार नहीं, बल्कि देश की तकनीकी आत्मनिर्भरता और सामरिक आत्मविश्वास का प्रतीक है। जिस प्रकार ब्रह्मोस ने एशिया में भारत की ताकत का परचम लहराया, उसी तरह “ध्वनि” आने वाले समय में हाइपरसोनिक युग में भारत को अग्रणी शक्ति के रूप में स्थापित कर सकती है।