पाकिस्तान में मिला 1200 साल पुराना हिंदू मंदिर का अवशेष

    08-नवंबर-2025
Total Views |
 
Hindu temple scriptures in khyber pakhtunkhwa pakistan
 
इतिहास ने खुद को एक बार फिर दोहराया है। पाकिस्तान की मिट्टी ने स्वीकार किया है कि इस भूमि की जड़ें इस्लाम से नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति से जुड़ी हैं। दरअसल खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की स्वात घाटी में इटली के पुरातत्वविदों को खुदाई के दौरान 1200 साल पुराने विष्णु मंदिर के अवशेष मिले हैं। यह खोज केवल पुरातत्व नहीं, बल्कि इतिहास का पुनर्जागरण है। यह याद दिलाने वाला कि आज जिस भूमि को पाकिस्तान कहा जाता है, वह कभी आर्य संस्कृति, हिंदू शाही वंश और वैदिक परंपराओं का केंद्र थी।
 
 
बारिकोट की धरती पर सनातन की छाप
 
 
यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसका निर्माण 9वीं शताब्दी में हिंदू शाही वंश (850–1026 ईस्वी) के दौरान हुआ था। उस समय यह वंश काबुल घाटी, गंधार (आज का उत्तर-पश्चिम पाकिस्तान) और उत्तर भारत के हिस्सों पर शासन करता था।
 
 
मंदिर परिसर से मिले अवशेष:
 
 
पत्थर की दीवारों और किलेबंदी के अवशेष (सैन्य छावनी जैसी संरचना)
 
पहरेदार मीनारें - मंदिर सुरक्षा के लिए
 
जलाशय - भक्तों के स्नान हेतु
 
धार्मिक मूर्तियों और पूजन स्थल के अवशेष
 
डॉ. लुका मारियानो, जो इटली के पुरातत्व मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं, बताते हैं - “गंधार में बौद्ध अवशेषों के बीच यह पहली बार है जब हमें हिंदू शाही काल का मंदिर मिला है। यह इस क्षेत्र की धार्मिक विविधता और सह-अस्तित्व की ऐतिहासिक मिसाल है।”
 
 
गंधार की धरती पर सनातन का पुनः उदय
 
 
स्वात घाटी, जिसे ‘पूर्व का गंधार’ कहा जाता है, सदियों तक ज्ञान, कला और अध्यात्म का केंद्र रही है। सम्राट अशोक के समय (2300 वर्ष पूर्व) यहां बौद्ध धर्म फला-फूला, परंतु इस खोज से स्पष्ट है कि बौद्ध काल के बाद भी सनातन संस्कृति ने अपनी उपस्थिति बनाए रखी। यह मंदिर इस बात का सजीव प्रमाण है कि भारत की सांस्कृतिक धारा सीमा-रेखाओं से परे थी। काबुल से लेकर कराची और गंधार से लेकर गांधार के पौराणिक शहर तक, सब कुछ भारतीय सभ्यता का विस्तार था।
 
 
‘खैबर पाथ प्रोजेक्ट’ के तहत यह ऐतिहासिक खोज
 
 
यह खोज ‘Khyber Path Project’ के अंतर्गत की गई है। एक संयुक्त पुरातात्विक अभियान जिसमें इटली और पाकिस्तान के विशेषज्ञ मिलकर कार्य कर रहे हैं। 400 से अधिक स्थानीय लोगों को पुरातत्व और विरासत संरक्षण का प्रशिक्षण दिया गया है। अब तक 50 से ज्यादा साइटें खोजी जा चुकी हैं। खुदाई अब स्वात नदी तक बढ़ाई जा रही है ताकि मंदिर के चारों ओर संरक्षण क्षेत्र बनाया जा सके।
 
 
पाकिस्तान की मिट्टी में दबी भारत की आत्मा
 
 
यह खोज इसलिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान के अधिकांश हिस्से कभी भारतीय सभ्यता के अभिन्न अंग थे।
विभाजन के बाद वहाँ की सनातन विरासत लगभग मिटा दी गई। मंदिरों को तोड़ा गया, मूर्तियों को खंडित किया गया, और हिंदू इतिहास को मिटाने की कोशिश की गई। 1947 में: पाकिस्तान में 428 से अधिक हिंदू मंदिर थे। आज (2025 में): केवल 22 मंदिर सक्रिय हैं यानी 95% मंदिर या तो नष्ट या बंद पड़े हैं।
 
क्षेत्रवार स्थिति:
 
सिंध: 11 मंदिर
 
पंजाब: 6 मंदिर
 
बलोचिस्तान: 3 मंदिर
 
खैबर पख्तूनख्वा: 2 मंदिर
 
इसके अलावा POJK (पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर) में तो दर्जनों प्राचीन तीर्थ स्थल थे लेकिन आज वे या तो खंडहर बन चुके हैं या मस्जिदों और घरों के नीचे दफन कर दिए गए हैं।
 
 
इतिहास का संदेश
 
 
यह मंदिर केवल एक पुरातात्विक खोज नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। जो यह कहता है कि चाहे राजनीतिक नक्शे बदल जाएं, सभ्यता की जड़ें कभी नहीं मिटतीं।