कंगाल पाकिस्तान की गजब बेइज्जती ; सऊदी अरब ने 56 हजार पाकिस्तानी भिखारियों को किया डिपोर्ट

    20-दिसंबर-2025
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Pakistani beggars
पाकिस्तान की पहचान एक बार फिर वैश्विक मंच पर शर्मनाक कारणों से चर्चा में है। आर्थिक कंगाली, बेरोज़गारी और भुखमरी से जूझ रहे इस देश पर अब संगठित भिखारियों और आपराधिक गतिविधियों को निर्यात करने का गंभीर आरोप लग रहा है। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) जैसे देशों ने पाकिस्तानी नागरिकों की आवाजाही पर सख्ती बढ़ा दी है, जिससे पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय साख को बड़ा झटका लगा है।
 
 
सऊदी अरब से भगाए गए 24 हज़ार पाकिस्तानी भिखारी
 
 
सऊदी अरब ने इस वर्ष अब तक 24,000 पाकिस्तानी नागरिकों को भीख मांगने और उसकी साये में ग़ैर क़ानूनी गतिविधियों में शामिल होने के आरोपों में डिपोर्ट किया है। यही नहीं, UAE ने भी अधिकांश पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीज़ा पर कड़ी पाबंदियाँ लगा दी हैं। अमीरात प्रशासन का साफ कहना है कि कुछ पाकिस्तानी नागरिक देश में प्रवेश के बाद आपराधिक गतिविधियों में लिप्त पाए गए, जो उनकी आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरा है।
 
 
एयरपोर्ट पर ही रोके गए 66,000 से अधिक लोग
 
 
पाकिस्तान की खुद की एजेंसी फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (FIA) के आंकड़े इस संकट की भयावहता को उजागर करते हैं। वर्ष 2025 में अब तक 66,154 यात्रियों को पाकिस्तानी एयरपोर्ट्स पर ही ऑफलोड किया गया, ताकि संगठित भिखारी नेटवर्क और अवैध प्रवासन को रोका जा सके। FIA के महानिदेशक रिफ़्फत मुख़्तार ने स्वीकार किया कि ये नेटवर्क पाकिस्तान की वैश्विक छवि को भारी नुकसान पहुँचा रहे हैं।
 
 
केवल खाड़ी देश नहीं, अफ्रीका और यूरोप तक फैला जाल
 
 
मुख़्तार के अनुसार यह समस्या केवल खाड़ी देशों तक सीमित नहीं है। अफ्रीका और यूरोप में भी पाकिस्तानी भिखारी नेटवर्क के मामले सामने आए हैं। इसके अलावा कंबोडिया और थाईलैंड जैसे देशों में टूरिस्ट वीज़ा का दुरुपयोग कर अवैध गतिविधियों में शामिल होने के भी कई मामले दर्ज हुए हैं।
 
 
अलग-अलग देशों से बड़े पैमाने पर डिपोर्टेशन
 
 
सऊदी अरब: 24,000 पाकिस्तानी नागरिक

दुबई (UAE): लगभग 6,000

अज़रबैजान: करीब 2,500 पाकिस्तानी भिखारी
  
ये आंकड़े बताते हैं कि पाकिस्तान अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भिखारियों के निर्यातक देश के रूप में बदनाम हो रहा है।
 
 
उमराह और हज पर भी मंडराया खतरा
 
 
यह मुद्दा 2024 में तब और गंभीर हो गया जब सऊदी अरब ने औपचारिक रूप से पाकिस्तान को चेतावनी दी कि उमराह वीज़ा का दुरुपयोग कर मक्का-मदीना में भीख माँगने की घटनाओं को रोका जाए। सऊदी अरब के धार्मिक मामलों के मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि यदि यह सिलसिला नहीं रुका तो पाकिस्तानी उमराह और हज यात्रियों पर भी सख्त असर पड़ सकता है।
 
 
पाकिस्तानी वकील का खुलासा
 
 
पाकिस्तान की वकील राफिया ज़कारिया ने ‘डॉन’ अख़बार में लिखे लेख में इस समस्या की जड़ पर चोट की। उन्होंने कहा—
 
 
“पाकिस्तान में भीख माँगना अब मजबूरी नहीं, बल्कि एक संगठित और बेहद सफल उद्योग बन चुका है। यह इतना मुनाफ़े वाला है कि अब इसे दूसरे देशों में भी निर्यात किया जा रहा है।” उन्होंने यह भी लिखा कि हज के दौरान मक्का और मदीना में पाकिस्तानी भिखारी विदेशी श्रद्धालुओं को उसी तरह परेशान करते हैं, जैसे वे पाकिस्तान के बाज़ारों में करते हैं।
 
 
90% भिखारी पाकिस्तानी? सरकारी स्वीकारोक्ति
 
 
पाकिस्तान सरकार के ही एक वरिष्ठ अधिकारी, विदेशों में पाकिस्तानी मामलों के सचिव ज़ीशान ख़ानज़ादा, ने 2024 में स्वीकार किया था कि पश्चिम एशियाई देशों में पकड़े गए लगभग 90% भिखारी पाकिस्तानी नागरिक होते हैं। यह बयान खुद पाकिस्तान की व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
 
 
आर्थिक बदहाली और नापाक नीति का नतीजा
 
 
विशेषज्ञ मानते हैं कि पाकिस्तान की यह दुर्दशा केवल गरीबी का परिणाम नहीं, बल्कि दशकों की नापाक नीतियों, आतंकवाद के समर्थन, भ्रष्ट शासन और विफल अर्थव्यवस्था का नतीजा है। जब देश अपने नागरिकों को रोज़गार, सम्मान और भविष्य नहीं दे पाता, तो वही नागरिक दुनिया भर में देश की बदनामी का कारण बन जाते हैं।
 
 
वैश्विक मंच पर गिरती साख
 
 
आज स्थिति यह है कि पाकिस्तान का पासपोर्ट, उसका नाम और उसकी पहचान तीनों संदेह और अविश्वास से देखे जा रहे हैं। आर्थिक तंगी, भुखमरी और संगठित अपराध के इस चक्र ने पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर बेइज्जती और अलगाव की ओर धकेल दिया है। यह केवल चेतावनी नहीं, बल्कि पाकिस्तान के लिए आख़िरी मौका है या तो वह अपनी नीतियाँ बदले, या दुनिया में अपनी गिरती साख को और गहराते देखे।