1984 सिख दंगा: सज्जन कुमार दोषी करार, सजा का ऐलान जल्द

12 Feb 2025 15:06:59
 
Sajjan kumar sikh riots
 
1984 के सिख दंगों के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दो सिखों की हत्या के मामले में दोषी करार दिया है। यह फैसला 41 साल बाद आया है और कोर्ट 18 फरवरी 2025 को सज्जन कुमार की सजा का ऐलान करेगी।
 
 
सज्जन कुमार के खिलाफ मामला
 
 
यह मामला 1 नवंबर 1984 को सरस्वती विहार में जसवंत सिंह और तरुणदीप सिंह की हत्या से जुड़ा है। आरोप है कि सज्जन कुमार ने एक हिंसक भीड़ का नेतृत्व किया, जिसने सिखों की संपत्तियों पर हमला किया, लूटपाट की, घरों को आग के हवाले किया और कई निर्दोषों की हत्या की। इस मामले में पंजाबी बाग पुलिस स्टेशन में सज्जन कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
 
 
दिसंबर 2021 में अदालत ने जांच के आधार पर सज्जन कुमार के खिलाफ आरोप तय किए थे। इस दौरान पीड़ित के वकील ने अदालत में तर्क दिया कि बड़ी हिंसक भीड़ ने सिखों के घरों में आग लगाई और उन्हें निशाना बनाया, इसके बाद जसवंत सिंह और उनके बेटे की हत्या कर दी।
 
 
 
 
 
लंबा चलने वाला कानूनी संघर्ष
 
 
इस फैसले के पहले ही कई बार कोर्ट में तारीखें टल चुकी हैं। 31 जनवरी 2025 को राउज एवेन्यू कोर्ट ने सज्जन कुमार के मामले में फैसला स्थगित कर दिया था। इससे पहले 8 जनवरी और 16 दिसंबर 2024 को भी फैसले को टाला गया था। सज्जन कुमार फिलहाल तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश हुए थे।
 
 
दिसंबर 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को एक अन्य मामले में दोषी ठहराया था और उम्रभर की सजा सुनाई थी। उन्हें दंगा भड़काने और हिंसा करने के आरोप में दोषी पाया गया था और वह तब से तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हैं।
 
 
अन्य मामलों में भी कानूनी घटनाक्रम
 
 
सितंबर 2023 में सुल्तानपुरी दंगे में 3 लोगों की हत्या के मामले में सज्जन कुमार को राउज एवेन्यू कोर्ट ने बरी कर दिया था। हालांकि, आरोप था कि सज्जन कुमार ने इस मामले में भीड़ को भड़काया था, लेकिन कोर्ट ने इसके खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं पाया।
 
 
न्याय का लंबा सफर
 
 
1984 का सिख दंगा भारतीय इतिहास का एक दुखद और शर्मनाक अध्याय है, जिसमें लगभग 3500 लोग मारे गए थे। यह हिंसा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद शुरू हुई, जिसे उनके ही सिख अंगरक्षकों ने अंजाम दिया था। इसके बाद देशभर में सिखों के खिलाफ हिंसा भड़क उठी, विशेष रूप से दिल्ली और पंजाब में।
 
 
इस दंगे की जांच के लिए मई 2000 में नानावती आयोग का गठन किया गया था और इसके बाद सीबीआई ने इस मामले में जांच शुरू की थी। 2010 में कई प्रमुख आरोपियों, including सज्जन कुमार, के खिलाफ आरोप तय किए गए थे। हालांकि, न्यायिक प्रक्रिया में देरी होती रही, लेकिन अंततः सजा की ओर कदम बढ़ाए जा रहे हैं।
 
 
 
 
 
 
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