22 फरवरी संकल्प दिवस ; POJK, POTL को लेकर भारतीय संसद द्वारा 1994 में लिया गया वो संकल्प जो आज भी है अधुरा
पढ़ें POJK, POTL और COTL की वास्तविक कहानी
22-फ़रवरी-2025
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उज्ज्वल मिश्रा (अर्नव)
22 Feb, Sankalp Divas : बीते करीब 8 दशक से हमारे देश का एक बहुत बड़ा भूभाग पाकिस्तान के अवैध कब्जे में है, जिसे हम POJK, POTL के नाम से जानते हैं और पाकिस्तान जिसे (AJK) यानि आजाद कश्मीर के नाम से बुलाता है। POJK अर्थात पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर, POTL अर्थात पाकिस्तान अधिक्रांत लद्दाख क्षेत्र। इसके अलावा चीन के कब्जे में वाली हमारी भूमि जिसे COTL अर्थात चीन अधिक्रांत लद्दाख क्षेत्र के नाम से जानते हैं।
पाकिस्तान के कब्जे वाले हमारे क्षेत्र को लेकर 22 फरवरी 1994 को तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार के दौरान देश की संसद में एक प्रस्ताव पारित किया गया था। इस प्रस्ताव में यह दोहराया गया था कि POJK जम्मू कश्मीर और भारत का अभिन्न अंग था, है और सदैव रहेगा। पाकिस्तान ने 1947-48 के बाद से ही भारत के इस बड़े भूभाग पर जबरन कब्जा कर रखा है। लिहाजा इस प्रस्ताव के जरिये यह संकल्प लिया गया था कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे में लद्दाख और जम्मू कश्मीर की जो हमारी भूमि है उसे हम हर हाल में वापस लेंगे और पाकिस्तान को हमारी इस भूमि को खाली करना होगा। हालाँकि 22 फरवरी यानि आज भी संसद में लिया गया वो संकल्प अधूरा है।
POJK, POTL और COTL का कुल क्षेत्रफल
आज संकल्प दिवस के अवसर पर हम ना सिर्फ POJK, POTL की बात करेंगे बल्कि चीन के अवैध कब्जे में जो हमारी भूमि है उस पर भी चर्चा करेंगे। साथ ही POJK, POTL के साथ COTL के मुक्ति का भी संकल्प लेंगे। दरअसल जम्मू कश्मीर और लद्दाख का कुल क्षेत्रफल करीब 2,22,236 वर्ग किमी है। इसमें से POJK यानि पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर का क्षेत्रफल 13,297 वर्ग किमी है। POJK में जम्मू-कश्मीर क्षेत्र के मीरपुर-मुजफ्फराबाद, भीम्बर, कोटली जैसे शहर शामिल हैं। जोकि हिन्दू और सिख बहुल हुआ करते थे। जबकि POTL अर्थात (पाकिस्तान अधिक्रांत क्षेत्र लद्दाख) में गिलगित और बाल्टिस्तान शामिल हैं। यह इलाका प्राकृतिक खनिजों से पूरी तरह लबरेज है। POTL का कुल क्षेत्रफल लगभग 64817 वर्ग किमी है।
PoJK और POTL मूल रूप से जम्मू कश्मीर का एक हिस्सा है, जिसकी सीमाएं पाकिस्तान के पंजाब, उत्तर-पश्चिम, अफगानिस्तान के वखान गलियारे, चीन के शिनजियांग क्षेत्र और लद्दाख के पूर्व क्षेत्र से होकर गुजरती हैं। गिलगित-बाल्टिस्तान (POTL) में 1480 सोने की खदानें हैं, जिनमें से 123 में अयस्क है, जहाँ सोने की मात्रा दक्षिण अफ्रीका की विश्व प्रसिद्ध खदानों से कई गुना अधिक है। यानि यह क्षेत्र प्राकृतिक खनिजों से इतना भरपूर है कि अगर यह भारत के हिस्से में आए तो विश्व पटल पर भारत की अपनी धाक होगी।
COTL अर्थात चीन अधिक्रांत लद्दाख क्षेत्र
चीन अधिक्रांत लद्दाख क्षेत्र अर्थात COTL का संभावित एरिया 37 हजार वर्ग किमी है और इसमें 5,180 किमी शक्सगाम का एरिया पाकिस्तान ने 1963 में Sino-Pak एग्रीमेंट के तहत दे दिया था। यानि चीन के कब्जे में कुल क्षेत्रफल 42,735 वर्ग किलोमीटर है। COTL में सिर्फ अक्साई चीन नहीं बल्कि ट्रांस काराकोरम ट्रैक्ट और मिंसर भी शामिल है। यहाँ से मुख्यतः कई नदियाँ निकलती हैं। जैसे गलवान नदी, चिपचैप नदी और कार्कस जैसी आदि आदि नदियाँ निकलती हैं। लेकिन इनमें कार्कस नदी सबसे बड़ी नदी है जोकि उत्तर की ओर जाती है और इसे ब्लैक ज़ेड रिवर कहते हैं। भारत का यह महतवपूर्ण हिस्सा आज चीन के कब्जे में है।
POJK पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है यह बात पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 1 में भी मुख्य रूप से स्पष्ट है। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने कई बार फैसला सुनाया है कि पाकिस्तान के क्षेत्रों, प्रांतों को संविधान के अनुच्छेद 1 में परिभाषित किया गया है। उसमें आजाद जम्मू कश्मीर और गिलगित बल्तिस्तान पाकिस्तान के प्रांत नहीं है। लिहाजा आज़ाद जम्मू कश्मीर और गिलगित-बल्तिस्तान, पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट के भी अधिकार क्षेत्र में नहीं है, और इन क्षेत्रों में सीमाओं में बदलाव करने या इनको पाकिस्तान का नया प्रांत घोषित करने का अधिकार भी पाकिस्तान के पास नहीं है।
1947 पाकिस्तान हमला
दरअसल 1947 में देश के विभाजन के चंद महीनों बाद पाकिस्तानी सेना ने अपने नापाक मंसूबो का परिचय देते हुए 22 अक्टूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर के बड़े हिस्से पर हमला कर दिया था। इस हमले के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों ने हजारों की संख्या में निर्दोष हिंदूओं, सिखों की सरेआम हत्या की थी और वर्षों पुराने ऐतिहासिक मंदिरों और गुरुद्वारों जैसे सभी धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ मचाई थी। सिर्फ इतना ही नहीं हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए पाकिस्तानी सैनिकों ने उन सभी पवित्र स्थानों को गलत कार्यों के जरिये अपवित्र करने का भी काम किया था।
इन घटनाओं के बाद उस वक्त बड़ी संख्या में लोग विस्थापित होने के लिए मजबूर हो गये थे। बीते 76 से पीओजेके अर्थात ''पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर'' में स्थित हमारे ऐतिहासिक मंदिरों, गुरुद्वारों और बौद्ध स्थानों को भी हमलावरों ने चुन-चुन कर क्षतिग्रस्त करने का काम किया है। साथ ही PoTL में स्थित ऐतिहासिक धरोहरों और हमारे प्राकृतिक संसाधनों का पाकिस्तान लगातार दोहन करता आ रहा है। वहां मौजूद ऐतिहासिक स्थलें पूरी तरह से खंडित हो चुकी है। PoJK पर पाकिस्तान का 76 वर्षों से अवैध कब्ज़ा है। लेकिन अब बदलते समय के साथ-साथ तमाम PoJK विस्थापितों के साथ पुरे देश की यह मांग है कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे में जो हमारा हिस्सा है उसे वापस लिया जाए और PoJK विस्थापितों को उनका हक़ प्रदान किया जाए।
भारतीय संसद का संकल्प
पूर्व प्रधानमंत्री पी.वी नरसिम्हा राव का कार्यकाल जम्मू-कश्मीर के लिए अनेक उतार-चढ़ाव वाला था। एक तरफ कश्मीर घाटी से हिन्दुओं का नरसंहार और निष्कासन लगातार जारी था। वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू-कश्मीर (पीओजेके) में भारत के खिलाफ आतंकवादियों के प्रशिक्षण की शुरुआत हो चुकी थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पाकिस्तान की भाषा को समर्थन मिलने लगा था। साल 1993 में अमेरिका के स्टेट डिपार्टमेंट में उप-सहायक सचिव (दक्षिण एशिया) जॉन मैलोट भारत के दौरे पर थे। उन्होंने कश्मीर में भारतीय सेना पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का झूठा आरोप लगा दिया।
यह सोची-समझी साजिशें थी, जिनकी भूमिका पाकिस्तान के तत्कालीन 2 प्रधानमंत्रियों ने लिखी थी। साल 1990 में बेनजीर भुट्टो और फिर 1991-93 के बीच नवाज शरीफ ने POJK का लगातार कई दौरे किये। भुट्टो ने 13 मार्च, 1990 में मुज़फ्फराबाद की एक सभा में भारत के खिलाफ आतंकवादी गतिविधियों का सार्वजनिक समर्थन किया। शरीफ भी पीछे नहीं थे और पीओजेके से ‘कश्मीर बनेगा पाकिस्तान’ जैसे युद्धक नारे लगाने शुरू कर दिए।
अब इस मामलें पर तुरंत प्रभावी कार्रवाई की जरुरत थी। इसलिए भाजपा ने प्रमुख विपक्षी दल के नाते केंद्र सरकार पर दवाब बनाना शुरु कर दिया। इसमें कोई दो राय नहीं है कि प्रधानमंत्री राव एक सुलझे हुए व्यक्ति थे। उन्होंने भी समस्या की गंभीरता को समझा और पहला कदम 22 फरवरी, 1994 को उठाया। उस दिन संसद ने PoJK पर एक संकल्प पारित किया था। लोकसभा के अध्यक्ष शिवराज पाटिल और राज्यसभा के सभापति के. आर. नारायणन (भारत के उपराष्ट्रपति) ने जम्मू-कश्मीर राज्य सम्बन्धी इस प्रस्ताव को दोनों सदनों के समक्ष रखा। जिसमें सर्वसम्मति से जोर दिया गया कि पाकिस्तान को (अविभाजित) जम्मू-कश्मीर के कब्जे वाले इलाकों को खाली करना होगा जिसपर पाकिस्तान ने अवैध कब्ज़ा कर रखा है।
लगभग साल बाद केंद्र सरकार ने POJK को लेकर दूसरा कदम उठाया। साल 1995 में पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर और उत्तरी इलाकों यानि POTL (गिलगित-बल्तिस्तान) पर विदेश मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी ने संसद में एक रिपोर्ट पेश की। भाजपा के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न दिवंगत श्री अटल बिहारी वाजपेयी इसकी अध्यक्षता कर रहे थे। इस सर्वदलीय कमेटी में लोकसभा और राज्यसभा से 45 सदस्यों को शामिल किया गया था, जिन्होंने दोहराया कि पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है।
साथ ही कमेटी ने सुझाव दिया कि पीओजेके और गिलगित-बल्तिस्तान में मानवाधिकारों के हनन पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष आवाज़ उठाई जानी चाहिए। यह दोनों अभूतपूर्व कदम थे, जोकि सालों पहले ही उठा लिए जाने चाहिए थे। हालाँकि अब वर्षों बाद एक बार फिर PoJK की वापसी पर आवाज़ उठने लगी है। केंद्र सरकार की तरफ से भी ये स्पष्ट किया गया है कि पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाला जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है और इसे पाकिस्तान को खाली करना चाहिए।
मुख्य बिंदु :
PoJK का क्षेत्रफल : 13,297 वर्ग किलोमीटर (अविभाजित जम्मू कश्मीर का लगभग 15 % क्षेत्र
मुख्य शहर : मीरपुर, भिम्बर, कोटली, देवबटाला और मुजफ्फराबाद
अक्टूबर 1947 से पाकिस्तान के अवैध कब्जे में
पाकिस्तानी सेना द्वारा अक्टूबर-नवंबर 1947 में लाखों हिन्दू और सिखों का नरसंहार
पाकिस्तानी सेना द्वारा हजारों बहन बेटियों के साथ बलात्कार
लाखों परिवारों में से महज लगभग 50 हजार परिवार हुए विस्थापित