
जम्मू-कश्मीर सरकार ने हाल ही में एक चौंकाने वाला आंकड़ा साझा किया है, जिसके अनुसार पिछले दो वर्षों में 83,742 ऐसे लोगों को डोमिसाइल प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं, जो पहले राज्य के स्थायी निवासी नहीं माने जाते थे।
यह जानकारी पीडीपी नेता वहीद उर रहमान पारा के एक लिखित सवाल के जवाब में दी गई है। सरकार ने बताया कि पिछले दो वर्षों में कुल 35,12,184 डोमिसाइल प्रमाण पत्र जारी किए गए। जिनमें से 83,742 सर्टिफिकेट उन लोगों को दिए गए जो पहले "स्थायी निवासी" की श्रेणी में नहीं आते थे।
अनुच्छेद 370 के बाद डोमिसाइल की परिभाषा
गौरतलब है कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के हटाए जाने के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में मई 2020 में नए डोमिसाइल नियम लागू किए गए थे। इन नियमों को "Grant of Domicile Certificate Procedure Rules 2020" के तहत अधिसूचित किया गया था, जिनमें यह स्पष्ट किया गया कि डोमिसाइल प्रमाण पत्र के लिए कौन पात्र होगा।
नए डोमिसाइल नियमों के तहत पात्रता की शर्तें:
* वह व्यक्ति जिसने जम्मू-कश्मीर में कम से कम 15 वर्ष तक निवास किया हो।
* या जिसने यहां 7 साल तक पढ़ाई की हो और 10वीं या 12वीं कक्षा की परीक्षा जम्मू-कश्मीर के किसी विद्यालय से दी हो।
इन नियमों के चलते अब वे लोग भी डोमिसाइल के लिए पात्र हो गए हैं, जो पहले राज्य के 'स्थायी निवासी' नहीं माने जाते थे। इसमें विशेष रूप से निम्न समुदायों को लाभ मिला है:
पश्चिमी पाकिस्तान से आए शरणार्थी (West Pakistan Refugees)
वाल्मीकि समाज के लोग
वे महिलाएं जो जम्मू-कश्मीर की तो हैं लेकिन उन्होंने राज्य से बाहर विवाह किया है, तथा उनके बच्चे
हालांकि सरकार का दावा है कि इससे समानता और समावेशिता को बढ़ावा मिला है। साथ ही यह कदम संविधान की भावना के अनुरूप है और इससे लंबे समय से वंचित समुदायों को न्याय मिला है।