घाटी से अलगाववाद का खात्मा ; अंतिम सांसे गिन रहा हुर्रियत कांफ्रेंस

    11-अप्रैल-2025
Total Views |
 
Hurriyat in kashmir the end
 
जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी राजनीति का परचम लहराने वाली हुर्रियत कॉन्फ्रेंस अब अपने अंत की ओर बढ़ रही है। 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 के निष्क्रिय होने के बाद केंद्र सरकार की कड़ी नीति, ज़मीनी स्तर पर बदलाव और सुरक्षा एजेंसियों की सख्त कार्यवाही ने घाटी की फिजा ही बदल दी है। नतीजतन, हुर्रियत से जुड़े एक-एक संगठन या तो निष्क्रिय हो गए हैं या खुद को मुख्यधारा में शामिल करने का ऐलान कर चुके हैं। 
 
 
फरीदा बहनजी ने छोड़ा हुर्रियत का साथ
 
 
अलगाववादी खेमे में हालिया बड़ा झटका तब लगा जब ‘जम्मू-कश्मीर मास मूवमेंट’ की अध्यक्ष फरीदा बहनजी (असली नाम: फरीदा डार) ने सार्वजनिक रूप से हुर्रियत के दोनों गुटों से और सभी राष्ट्रविरोधी संगठनों से खुद को अलग करने की घोषणा की। फरीदा डार कश्मीर की गिनी-चुनी महिला अलगाववादी नेताओं में से एक रही है, और वर्षों से वह कश्मीर की छात्राओं व महिलाओं में भारत-विरोधी भावना भड़काने का काम करती रही हैं। इसके लिए उन्हें कई बार गिरफ्तार भी किया गया। 
 
  
फरीदा डार: आतंक और अलगाववाद से गहरा नाता
 
 
जम्मू-कश्मीर की अलगाववादी राजनीति में लंबे समय तक सक्रिय रहीं फरीदा डार उर्फ़ फरीदा बहनजी का इतिहास न केवल अलगाववाद से जुड़ा रहा है, बल्कि उनका परिवार भी आतंकी गतिविधियों में गहराई से संलिप्त रहा है।

Farida Dar Seperatis in kashmir 
परिवार से जुड़ा आतंकवाद का चेहरा
 
 
* फरीदा डार का भाई बिलाल बेग पिछले कई वर्षों से पाकिस्तान में छिपा हुआ है। वह जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट नामक आतंकी संगठन का कमांडर रह चुका है और दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे बड़े शहरों में श्रृंखलाबद्ध बम धमाकों में शामिल रहा है।
 
* उसका एक और रिश्तेदार हिलाल बेग, जो जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स लिबरेशन फ्रंट का कमांडर था, वर्ष 1996 में श्रीनगर में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया। हिलाल और बिलाल बेग, दोनों को कश्मीर के शुरुआती आतंकी कमांडरों में गिना जाता है।
 
* फरीदा डार का एक बेटा रूमा डार वर्तमान में दक्षिण अफ्रीका में रह रहा है।
 
फरीदा डार ने कश्मीर की लड़कियों और छात्राओं में अलगाववादी सोच और मजहबी कट्टरता फैलाने के लिए एक विशेष संस्था भी बना रखी थी। वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए एक महत्वपूर्ण संपर्क सूत्र के तौर पर काम करती थी। कश्मीर के अलगाववादी हलकों में उनका इतना प्रभाव था कि सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक, या कोई अन्य बड़ा अलगाववादी नेता तक उन्हें नजरअंदाज़ नहीं कर सकता था।
 
 
पाकिस्तान की कमजोरी, अलगाववाद की पराजय
 
 
कभी पाकिस्तान से मिले समर्थन के दम पर सक्रिय ये संगठन अब बुरी तरह चरमराते नज़र आ रहे हैं। आर्थिक बदहाली और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अलग-थलग पड़ चुका पाकिस्तान अब न तो इन अलगाववादी संगठनों को समर्थन दे पा रहा है और न ही उन्हें कोई रणनीतिक दिशा। यही वजह है कि कश्मीर में बैठे कई पूर्व अलगाववादी नेता अब मुख्यधारा में लौटने की कोशिश में हैं। जिन नेताओं को कभी घाटी का 'आवाज़' कहा जाता था, वे या तो जेल में हैं, या अपने ही समर्थकों द्वारा भुला दिए गए हैं। 
 
 
तेजी से बदलती घाटी की तस्वीर
 
 
आज घाटी में अमन और तरक्की की नई इबारत लिखी जा रही है। सुरक्षा, शिक्षा, पर्यटन और निवेश जैसे क्षेत्रों में अभूतपूर्व सुधार हुए हैं। आम कश्मीरी अब हिंसा नहीं, बल्कि विकास की बात कर रहा है। यही कारण है कि अलगाववादी संगठनों के पास अब कोई जनसमर्थन नहीं बचा है। 
 
 
एक के बाद एक संगठन तोड़ रहे नाता
 
 
गत कुछ महीनों में 11 से अधिक अलगाववादी संगठनों ने आधिकारिक रूप से हुर्रियत से किनारा कर लिया है। पिछले हफ्ते जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह श्रीनगर में थे, उसी दौरान तीन प्रमुख अलगाववादी संगठनों ने भारतीय संविधान में आस्था जताते हुए राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रति संकल्प लिया। 
 
 
इन संगठनों में शामिल हैं:
 
 
* जम्मू-कश्मीर इस्लामिक पॉलिटिकल पार्टी 
 
 
* जम्मू-कश्मीर मुस्लिम डेमोक्रेटिक लीग 
 
* कश्मीर फ्रीडम फ्रंट 
 
 
हुर्रियत की राजनीतिक प्रासंगिकता अब लगभग समाप्त हो चुकी है। इसका ढांचा ढह रहा है और इसके नेता या तो जेलों में हैं या खामोश। आज जो कभी देश की अखंडता को चुनौती देते थे, वही अब खुद को भारतीय संविधान के प्रति निष्ठावान बता रहे हैं। 
 
 
अब नये युग में प्रवेश कर चुका है कश्मीर
 
 
कश्मीर में अब न केवल अलगाववाद को नकारा जा रहा है, बल्कि लोग स्वेच्छा से विकास और शांति की राह पकड़ रहे हैं। यह केंद्र सरकार की सख्त लेकिन दूरदर्शी नीति, सुरक्षा बलों की अडिग प्रतिबद्धता और आम कश्मीरियों की जागरूकता का परिणाम है। अब कश्मीर की पहचान आतंक या अलगाववाद नहीं, बल्कि संस्कृति, पर्यटन, और विकास से जुड़ी होगी।