ऑपरेशन सिंदूर के बाद एक तरफ़ भारत ने जहाँ दुनिया के सामने ये साफ कर दिया है – कि भारत अब आतंकवाद को किसी भी क़ीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा। आतंकियों और उनके आकाओं को ऐसा जवाब देगा जो पूरी दुनिया को याद रहे। वहीं दूसरी तरफ़ आतंकवाद परस्त पाकिस्तान भारतीय हमले में मारे गए आतंकियों के दर्द पर मरहम लगाने बैठ गया है। दरअसल पाकिस्तान की सरकार ने भारतीय हमले में मारे गए आतंकियों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि देने की घोषणा की है। पाकिस्तान के इस कदम ने एक बार फिर उसे पूरी दुनिया में आतंकवाद समर्थित राष्ट्र के रूप में बेनकाब कर दिया है।
यह कोई नई बात नहीं है कि पाकिस्तान अपनी जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए करता है, लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद की घटनाएं ये साफ दिखाती हैं कि पाकिस्तान अब आतंकवाद के लिए सीधी सरकारी सब्सिडी देने पर उतर आया है।
* शहबाज सरकार द्वारा मसूद अजहर को 14 करोड़ की वित्तीय मदद इस बात का प्रमाण है कि पाकिस्तानी राज्य व्यवस्था में आतंकवादी संगठनों की कितनी गहरी पैठ है।
* भीख में मिले पैसों को मारे गए आतंकियों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपये की "शहीद पैकेज" के रूप में दी जा रही धनराशि यह बताती है कि पाकिस्तान में आतंकवादी ‘राष्ट्रनिर्माता’ माने जाते हैं।
* पाकिस्तान की संसद में इस मुद्दे पर एक भी विरोध का स्वर नहीं उठा, जिससे स्पष्ट होता है कि यह केवल सरकार का नहीं, बल्कि पूरे तंत्र का आतंकवाद के प्रति समर्पित है।
मसूद अजहर: ग्लोबल टेररिस्ट
मसूद अजहर वो नाम है जिसने न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया में आतंक का जाल फैलाया। 2019 में उसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा "ग्लोबल टेररिस्ट" घोषित किया गया था। पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड, संसद हमले का साजिशकर्ता, अफगानिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग का प्रशिक्षार्थी – ऐसे व्यक्ति के लिए पाकिस्तान की हमदर्दी एक बार फिर उसके चरित्र को बेनकाब करती है।
ऑपरेशन सिंदूर में मसूद अजहर के परिवार के 10 सदस्य और 4 करीबी सहयोगी मारे गए। अब पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने न सिर्फ मसूद को 14 करोड़ पाकिस्तानी रुपये की सहायता देने की घोषणा की है, बल्कि उसके ध्वस्त किए गए आतंकी ठिकाने को दोबारा बनाने का भी वादा किया है। यह वही मसूद अजहर है जिसे लेकर पाकिस्तान वर्षों तक यह कहता रहा कि "वह पाकिस्तान में नहीं है।"
भारत एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ अपने संकल्प और सामर्थ्य का प्रदर्शन कर चुका है। भारतीय सेना द्वारा हाल ही में चलाया गया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ न सिर्फ सैन्य दृष्टि से सफल रहा, बल्कि इससे पाकिस्तान की दोहरी नीति भी एक बार फिर दुनिया के सामने उजागर हुई है – एक ओर दुनिया को शांति और आतंकवाद के खिलाफ सहयोग का दिखावा, और दूसरी ओर खुद के पाले-पोसे आतंकियों के लिए शोकसभा और मुआवज़ा।
भारत का निर्णायक वार: ऑपरेशन सिंदूर
‘ऑपरेशन सिंदूर’ भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर (PoJK) में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर किया गया एक सटीक और योजनाबद्ध हवाई हमला था। इस ऑपरेशन की पृष्ठभूमि में पहलगाम में हुए एक जघन्य आतंकी हमला था, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। भारत ने अपने नागरिकों के बलिदान को यूं ही नहीं जाने दिया और आतंक के गढ़ पर सीधे प्रहार करते हुए नौ प्रमुख आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया।
विशेष रूप से यह हमला लश्कर ए तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के मुख्य अड्डे पर था। भारतीय सेना के इस हमले में पाकिस्तान के बहावलपुर स्थित जैश ए मोहम्मद का आतंकी हेडक्वार्टर “मरकज-ए-सुभानल्लाह” पूरी तरह से मिट्टी में मिल गया। यह ठिकाना न केवल जैश का ट्रेनिंग बेस था, बल्कि यहीं पर मसूद अजहर, उसका भाई अब्दुल रऊफ असगर, मौलाना अम्मार और कई शीर्ष आतंकी भी मौजूद थे। गनीमत यही रहा कि हमले से पहले ही पाकिस्तान आर्मी और ISI ने मसूद अजहर, हाफिज सईद जैसे अन्य प्रमुख आतंकियों को सेफ हाउस में पहुंचा दिया था। हालंकि मसूद अजहर का पूरा कुनबा ही इस हमले में मारा गया जिससे अजहर की कमर ही टूट गई।
भारत की नीति स्पष्ट:
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद कहा – यह एक सटीक, सोची-समझी कार्रवाई थी। इसका मकसद केवल आतंकियों को खत्म करना था, और इससे स्थिति को अनावश्यक रूप से भड़काने की कोशिश नहीं की गई। यह बयान भारत की नई रणनीति को दर्शाता है – अब आतंकियों को मार गिराने के लिए समय, सीमा और राजनीति की बाधाएं नहीं रहेंगी।
पाकिस्तान की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई की कोशिश भी नाकाम रही। भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के दर्जन भर एयरबेस और सैन्य ठिकानों को पहले ही प्री-एम्प्टिव स्ट्राइक में तबाह कर दिया। इससे यह संदेश स्पष्ट हो गया कि अब भारत सिर्फ आतंकी संगठनों से नहीं, बल्कि उन्हें पालने-पोसने वालों से भी निपटने के लिए तैयार है।
आतंकियों के आंसू पोछता पाकिस्तान
‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने जहां भारत की सैन्य शक्ति और रणनीतिक क्षमता को दिखाया, वहीं पाकिस्तान की आत्मा में बसी आतंकवाद की विचारधारा को फिर से उजागर कर दिया। जो देश ग्लोबल टेरेरिस्ट को 14 करोड़ का मुआवज़ा देता है, वह खुद को दुनिया के सामने पीड़ित और शांति का पक्षधर बताता है – यह पाखंड अब ज्यादा दिन नहीं चलेगा। हालांकि यह भी विडंबना है कि पाकिस्तान की तमाम हकीकत को जानने के बावजूद IMF, अमेरिका, चीन और अन्य विदेशी देश उसे भीख के रूप में अरबों रुपये का कर्ज दे रहे हैं। और पाकिस्तान भीख में मिले उन्ही पैसों को अपने पाले हुए आतंकियों को मुआवजा के रूप में देकर उनके जख्म पर मरहम लगा रहा है।