भारत के साथ बढ़ते सैन्य तनाव के बीच पाकिस्तान के भीतर भी हालात तेजी से बिगड़ते जा रहे हैं। बलूचिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (POJK) में पहले से ही पाकिस्तान के खिलाफ विरोध और स्वतंत्रता की मांग तेज़ है। अब सिंध प्रांत भी गहरे असंतोष की आग में जल उठा है, जहाँ पानी को लेकर बड़े पैमाने पर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं।
सिंध प्रांत में लोग पाकिस्तान सरकार की उस नीति का विरोध कर रहे हैं, जिसके तहत सिंधु नदी पर नई नहरें बनाकर पंजाब और चोलिस्तान को सिंचित करने की योजना बनाई जा रही है। प्रदर्शन इस कदर उग्र हो चुके हैं कि हिंसक भीड़ ने सिंध के गृह मंत्री जियाउल हसन लंजार के घर पर हमला बोल दिया। इसके साथ ही फायरिंग, लूटपाट और ट्रकों में आगजनी जैसी घटनाएं पूरे इलाके में तनाव को और गहरा कर रही हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रही तस्वीरें और वीडियो स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि प्रदर्शनकारियों का गुस्सा अब सीधे सरकार और सुरक्षा बलों के खिलाफ फूट चुका है। कई जगहों पर पुलिस बल प्रदर्शनकारियों के हाथों पिटते दिखाई दिए हैं।
हिंसा की जड़: 211.4 अरब रुपए की चोलिस्तान कैनल योजना
इस हिंसा की मुख्य वजह है पाकिस्तान सरकार की 211.4 अरब रुपए की चोलिस्तान कैनल सिस्टम परियोजना, जिसका मकसद है सिंधु नदी से 6 बड़ी नहरों के ज़रिए चोलिस्तान रेगिस्तान को हरा-भरा बनाना। योजना के मुताबिक पंजाब और चोलिस्तान की बंजर ज़मीन को कृषि योग्य बनाने की तैयारी है।
लेकिन इस परियोजना के खिलाफ सिंध प्रांत में तीव्र विरोध हो रहा है। वहां की जनता का कहना है कि पहले से ही सिंध को उसके हिस्से का पानी नहीं मिल रहा, ऊपर से अब नई नहरों के ज़रिए और पानी पंजाब की ओर मोड़ा जा रहा है। स्थानीय लोग इसे "पाक पंजाब की उपनिवेशवादी नीति" कह रहे हैं, जो सिंध की ज़मीन और अस्तित्व के लिए सीधा खतरा है।
राज्य बनाम केंद्र: पाकिस्तान की आंतरिक टकराव
इस पूरे विवाद ने पाकिस्तान के केंद्र और सिंध की प्रांतीय सरकार के बीच टकराव को भी गहरा कर दिया है। सिंध में बिलावल भुट्टो ज़रदारी की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) की सरकार है, जिसने इस नहर परियोजना का खुला विरोध किया है। गृहमंत्री के घर पर हुए हमले को बिलावल भुट्टो ने “आतंकी कृत्य” बताते हुए इसकी निंदा की है, लेकिन उन्होंने यह भी साफ किया कि सिंध की जनता के पानी पर किसी और का हक़ नहीं होने दिया जाएगा। PPP के कई वरिष्ठ नेताओं ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि वह पंजाब को फायदा पहुंचाने के लिए सिंध की अनदेखी कर रही है, और यह योजना सिंध की जीवनरेखा – सिंधु नदी – को सूखा देने जैसी है।
POJK और बलूचिस्तान पहले से ही जल रहे हैं
यह अब छिपा नहीं रहा कि पाकिस्तान धीरे-धीरे आंतरिक विघटन और गृह युद्ध की स्थिति की ओर बढ़ रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों से पाकिस्तान विरोधी आंदोलन और हिंसक प्रदर्शन जिस पैमाने पर हो रहे हैं, वे इसकी तथाकथित ‘राष्ट्रीय एकता’ पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं।
बलूचिस्तान: अलगाववाद अब घोषणा में बदला
पश्चिमी पाकिस्तान का बलूचिस्तान प्रांत दशकों से विद्रोह और अलगाववाद की आग में जल रहा है। लेकिन हाल के वर्षों में यह आग अब एक खुली राजनीतिक घोषणा का रूप ले चुकी है। कई बलूच नेताओं और संगठनों ने बलूचिस्तान को पाकिस्तान से अलग स्वतंत्र राष्ट्र घोषित कर दिया है। वे भारत, संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदायों से बलूचिस्तान की स्वतंत्रता को मान्यता देने की मांग कर रहे हैं।
पाकिस्तानी सेना और सरकार द्वारा बलूच जनता पर किए गए अमानवीय अत्याचार – जबरन गायब किया जाना, बलात्कार, फर्जी एनकाउंटर – अब असहनीय हो चुके हैं। परिणामस्वरूप, बलूच विद्रोही अब सीधे-सीधे पाक सेना पर हमले कर रहे हैं।
POJK और गिलगित-बाल्तिस्तान: स्वतंत्रता की गूंज
इसी तरह पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (POJK) और गिलगित-बाल्तिस्तान (POTL) में भी पाकिस्तान से आज़ादी की मांग अब सड़कों पर खुलकर की जा रही है। लोग पाकिस्तानी सेना को दहशतगर्द और लुटेरा कहते हुए उसके खिलाफ नारेबाज़ी कर रहे हैं और सीधी भिड़ंत की घटनाएं भी सामने आ रही हैं।
सिंध की चिंगारी, अब बना सकती है आग का दरिया
बलूचिस्तान और गिलगित के बाद अब सिंध प्रांत में भी उबाल आ चुका है। चोलिस्तान कैनाल प्रोजेक्ट के बहाने पंजाब को सिंधु नदी का पानी देने की कोशिशों ने सिंध की जनता को भड़का दिया है। गृह मंत्री के घर पर हमला, आगजनी, फायरिंग – ये घटनाएं संकेत हैं कि पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति बेहद खतरनाक मोड़ पर है।
सिंधु जल समझौता: पाकिस्तान की डूबती नैया का आधार
यहां यह समझना जरूरी है कि इस समूचे संकट के केंद्र में है – सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty - 1960)
यह समझौता 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुआ था, जिसके तहत भारत ने अपने नियंत्रण वाले सिंधु, झेलम और चिनाब जैसी महत्वपूर्ण नदियों का अधिकांश पानी पाकिस्तान को इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी।
मोदी सरकार का साहसिक निर्णय
लेकिन वर्ष 2023 में पहल्गाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने कड़ा रुख अपनाते हुए इस संधि को रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने स्पष्ट संकेत दिए कि अब पाकिस्तान को भारत के पानी का ‘मुफ्त उपभोग’ नहीं करने दिया जाएगा। यह फैसला रणनीतिक और जल राजनयिक दृष्टिकोण से पाकिस्तान की कमर तोड़ने वाला कदम साबित हुआ है।
पाकिस्तान के लिए आने वाले दिन और भी कठिन
आज भले ही सिंध प्रांत जल संकट के कारण सुलग रहा हो, लेकिन जल्द ही पंजाब प्रांत भी इस आग की चपेट में आने वाला है। सिंधु जल समझौते के समाप्त होते ही पाकिस्तान को पानी की जबरदस्त किल्लत का सामना करना पड़ेगा।
पंजाब, जो पाकिस्तान का कृषि क्षेत्र है और खाद्य सुरक्षा का आधार भी है – वह भारत से मिलने वाले पानी पर काफी निर्भर करता है। जैसे ही भारत उस पानी को रोकता है, वहाँ की नहरें सूख जाएंगी, फसलें बर्बाद होंगी और किसान सड़कों पर उतरेंगे। उस समय सिंध की तरह ही पंजाब में भी जनाक्रोश फूटेगा।
क्या यह पाकिस्तान के अंत की शुरुआत है?
पाकिस्तान आज राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक – चारों स्तरों पर गंभीर संकट में है। बलूचिस्तान, सिंध, गिलगित-बाल्तिस्तान और पीओजेके – हर क्षेत्र आज पाकिस्तान से आज़ादी चाहता है। जल संकट, संसाधनों की लूट और शोषण ने देश के अंदर इतनी दरारें पैदा कर दी हैं कि यह कहना गलत नहीं होगा
अब पाकिस्तान खंड-खंड होने की राह पर है... और यदि हालात ऐसे ही बने रहे, तो बहुत जल्द उसका 'अस्तित्व' भी इतिहास बन जाएगा।