
Violation of IWT: संयुक्त राष्ट्र (United Nations') के मंच से भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान (Pakistan) की असलियत को दुनिया के सामने बेनकाब किया है। न्यूयॉर्क में आयोजित ‘अरिया फॉर्मूला’ बैठक (Aria Formula meeting in New York) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि 'पार्वथानेनी हरीश' (India’s Permanent Representative to the UN, Parvathaneni Harish) ने पाकिस्तान की झूठी बयानबाज़ी और धोखेबाज़ रवैये पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि "पाकिस्तान ही सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) का असली उल्लंघनकर्ता है।"
'पार्वथानेनी हरीश' ने कहा कि भारत ने 65 वर्षों तक इस संधि को सम्मानपूर्वक निभाया, लेकिन पाकिस्तान ने इस दौरान भारत पर तीन युद्ध थोपे और 20,000 से अधिक भारतीय नागरिकों और सैनिकों की जान लेने वाले आतंकवादी हमलों को अंजाम दिया। हाल ही में पहलगाम में हुआ आतंकी हमला इसकी ताज़ा मिसाल है। 2012 में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों ने तुलबुल नेविगेशन प्रोजेक्ट पर हमला किया, जिससे भारत की जल परियोजनाओं को नुकसान पहुंचा और निर्दोष नागरिकों की जान खतरे में पड़ी।
बीते वर्षों में भारत ने सिंधु जल संधि के तहत मौजूद बांधों और जल परियोजनाओं में सुरक्षा और दक्षता के लिहाज़ से तकनीकी सुधार करने चाहे, लेकिन पाकिस्तान ने हर बार इन प्रयासों में अड़ंगा डाला। जबकि संधि के अंतर्गत यह सुधार पूर्णतः वैध और आवश्यक थे।
'पार्वथानेनी हरीश' ने आगे कहा, 'भारत ने गत दो वर्षों में कई बार पाकिस्तान से संधि में आवश्यक संशोधन पर चर्चा करने का आग्रह किया, लेकिन पाकिस्तान के अड़ियल रवैये और आतंकवाद को शह देने की नीतियों के चलते कोई समाधान नहीं निकला। अब भारत ने स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को नहीं रोकता, तब तक सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया जाएगा।
क्या है सिंधु जल संधि?
1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता से भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि पर हस्ताक्षर हुए थे। इस ऐतिहासिक समझौते के अंतर्गत भारत ने सहमति जताई कि वह सिंधु, झेलम और चेनाब नदियों का अधिकांश जल पाकिस्तान को उपयोग करने देगा, जबकि रावी, ब्यास और सतलुज भारत के हिस्से में आए। यह संधि इसलिए खास थी क्योंकि भारत ने तीन युद्धों और सैकड़ों आतंकवादी हमलों के बावजूद इस संधि की भावना को निभाया। लेकिन हाल ही में हुए पहलगाम हमले के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने 'Indus Water Treaty' को रद्द कर दिया और पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि खून और पानी दोनों एक साथ नहीं बह सकते।
संयुक्त राष्ट्र में भारत की दृढ़ आवाज
पार्वथानेनी हरीश ने संयुक्त राष्ट्र में दो टूक कहा –"भारत की सहनशीलता को कमजोरी न समझा जाए। हमने 65 वर्षों तक संधि को निभाया, लेकिन पाकिस्तान की हरकतें हमारे सब्र की सीमा को पार कर चुकी हैं। अब भारत अपने नागरिकों के जीवन और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कठोर कदम उठाने को तैयार है।
बहरहाल सिंधु जल समझौते को और बेहतर ढंग से समझने के लिए हमारी यह ख़ास वीडियो अवश्य देखें....इस वीडियो में (indus treaty) के उन सभी पहलुओं पर बातचीत की गई है जिसे आज हर देशवासी जानना चाहता है।