OperationSindoor : भारत इन दिनों आतंकवाद के मुद्दे पर दुनिया भर में पाकिस्तान को बेनकाब करने में जुटा है। पाकिस्तान प्रायोजित इस्लामिक आतंकियों द्वारा पहलगाम हमले के बाद भारत ने जिस तरह से ऑपरेशन सिन्दूर के जरिये आतंकी ठिकानों और उनके आकाओं को निशाना बनाया आज उसे वैश्विक समर्थन मिल रहा है। UAE, बहरीन, USA, फ्रांस, इजराइल, रूस के अलावा बर्लिन से भी भारत को एक स्पष्ट संदेश मिला है:
सन्देश यह है कि “भारत को आतंकवाद के खिलाफ अपनी रक्षा करने का पूरा अधिकार है।”
यह बयान जर्मनी के विदेश और वित्त मंत्री जोहान वेडफुल ने भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में दिया। यह न केवल एक हमदर्दी का संदेश था, बल्कि भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को वैश्विक वैधता प्रदान करने वाला महत्वपूर्ण राजनयिक समर्थन भी था।
भारत-जर्मनी के संबंधों में नई ऊर्जा
डॉ. एस. जयशंकर वर्तमान में यूरोप के तीन देशों – जर्मनी, नीदरलैंड और डेनमार्क – के दौरे पर हैं। इस यात्रा के तहत उनकी बर्लिन में जर्मनी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात हुई। खासकर पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की चिंता और जवाबी नीति को लेकर जर्मनी ने न केवल समझदारी दिखाई, बल्कि खुलकर समर्थन भी किया।
डॉ. जयशंकर ने ट्वीट कर कहा:
“बर्लिन में जर्मनी के विदेश मंत्री जोहान वेडफुल के साथ हुई बैठक बेहद सार्थक रही। आतंकवाद के खिलाफ भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को समझने के लिए मैं जर्मनी की सराहना करता हूं। हमारी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत बनाने पर भी चर्चा हुई।
प्रेस कांफ्रेंस के दौरान विदेशमंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 'भारत आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता (Zero Tolerance) की नीति पर कायम है। और भारत कभी किसी प्रकार की परमाणु ब्लैकमेलिंग के आगे नहीं झुकेगा।'
जर्मनी का स्पष्ट रुख: आतंकवाद बर्दाश्त नहीं
जर्मन विदेश मंत्री वेडफुल ने स्पष्ट शब्दों में पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की और यह भी बताया कि वह इस मुद्दे पर अपने फ्रांसीसी समकक्ष के साथ लगातार संपर्क में थे। जर्मनी का यह रुख बताता है कि यूरोप की बड़ी ताकतें अब आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के साथ खड़ी हो रही हैं, खासकर जब वह सीमापार से प्रायोजित होता हो।
तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से इनकार: भारत की नीति को समर्थन
जर्मनी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत-पाकिस्तान के बीच के मुद्दे द्विपक्षीय हैं, और इन्हें दोनों देशों को आपसी बातचीत से सुलझाना चाहिए। यह बयान भारत के लंबे समय से चले आ रहे "तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को अस्वीकार" करने वाले रुख के साथ मेल खाता है।
पहलगाम हमले की निंदा सिर्फ विदेश मंत्री वेडफुल तक सीमित नहीं रही। जर्मनी के पूर्व चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने भी हमले की कड़ी आलोचना की, जो यह दर्शाता है कि भारत के खिलाफ हो रहे आतंकवादी हमलों पर अब वैश्विक स्तर पर सहानुभूति नहीं, बल्कि सक्रिय समर्थन और एक्शन की मांग बढ़ रही है।
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भारत की विदेश नीति:
डॉ. एस. जयशंकर का यह दौरा सिर्फ सद्भावना यात्रा नहीं है, बल्कि यह स्पष्ट संकेत है कि भारत अब अपने रणनीतिक साझेदारों को स्पष्ट शब्दों में अपनी सुरक्षा चिंताओं से अवगत करवा रहा है और इन चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भारत और जर्मनी के बीच अर्थव्यवस्था, जलवायु, टेक्नोलॉजी, रक्षा और आंतरिक सुरक्षा जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग लगातार बढ़ रहा है। लेकिन यह नया पक्ष – आतंकवाद और आत्मरक्षा – अब इस साझेदारी का एक अनिवार्य स्तंभ बनता जा रहा है।
आतंकवाद के खिलाफ भारत अकेला नहीं
जैसे-जैसे भारत अपने राष्ट्रीय हितों को लेकर अधिक मुखर और सक्रिय होता जा रहा है, वैसे-वैसे विश्व भी भारत की सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से ले रहा है। पहलगाम हमला कोई सामान्य घटना नहीं थी, और जर्मनी की प्रतिक्रिया बताती है कि भारत की आवाज अब वैश्विक मंच पर गूंज रही है। अब वक्त आ गया है कि आतंक के खिलाफ वैश्विक गठजोड़ में भारत एक निर्णायक नेतृत्व की भूमिका निभाए और मित्र राष्ट्र इसमें उसके साथ खड़े हों।
इस कड़ी में भारत सरकार ने 7 सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल को भी अलग अलग देशों में भेजा है जहाँ वो पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को Expose करेंगे। साथ ही भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिये जिस तरह से पाकिस्तान में घुसकर आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया उसकी भी जानकारी देंगे। यानि साफ़ है कि भारत पाकिस्तान को अब कहीं का नहीं छोड़ेगा।