Free Balochistan Movement : बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की मांग अब केवल एक क्षेत्रीय संघर्ष नहीं रहा, बल्कि यह वैश्विक चेतना और मानवाधिकारों के उल्लंघन के विरुद्ध एक सशक्त आवाज बनता जा रहा है। हाल ही में बलूच नेता, पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता मीर यार बलोच (Baloch Leader Mir Yar Baloch) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर पाकिस्तान के जघन्य कृत्यों की पोल खोली है। इस पत्र के माध्यम से उन्होंने पाकिस्तान की फौज और ISI को सीधे तौर पर आतंकवाद की माँ बताते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बलूचिस्तान को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की अपील की है।
न्यूक्लियर टेस्ट से बलूचिस्तान को मिली त्रासदी
मीर यार बलोच (Baloch Leader Mir Yar Baloch) ने पत्र में लिखा कि 28 मई 1998 को पाकिस्तान ने बलूचिस्तान की धरती पर 6 परमाणु परीक्षण किए, जिससे ना सिर्फ वहां की जमीन बल्कि आने वाली कई पीढ़ियां भी विकलांगता और बीमारियों के अंधकार में धकेल दी गईं। उन्होंने कहा, “चगाई और रास कोह की पहाड़ियों में आज भी बारूद की गंध बसती है। महिलाएं असामान्य बच्चों को जन्म दे रही हैं, लाखों एकड़ कृषि भूमि बर्बाद हो चुकी है और पशु-पक्षियों का जीवन खतरे में है।”
ISI पर गंभीर आरोप:
पत्र में मीर यार ने लिखा है कि पाकिस्तान की फौज और ISI इस्लाम के नाम पर केवल अपने स्वार्थ सिद्ध करने में लगे हैं। ISI हर महीने एक नया आतंकी संगठन बनाता है और भारत, अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, इजराइल और अमेरिका जैसे देशों के खिलाफ इस्तेमाल करता है। उन्होंने साफ कहा – "पाकिस्तान आतंकवाद की जननी है। जब तक इसकी जड़ें नहीं उखाड़ी जाएंगी, आतंकवाद का खात्मा नहीं हो सकता।”
ऑपरेशन 'सिन्दूर' और भारत का समर्थन
बलूच नेता ने भारतीय सेना द्वारा किए गए ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ की प्रशंसा करते हुए कहा कि अगर यह अभियान एक सप्ताह और चलता, तो आज बलूचिस्तान स्वतंत्र राष्ट्र होता। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की कि भारत को बलूचिस्तान के स्वतंत्रता संग्राम में खुलकर साथ देना चाहिए।
पाकिस्तान की धोखेबाजी और परमाणु खतरा
पत्र में उन्होंने पाकिस्तान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं और धोखेबाज प्रवृत्ति का भी पर्दाफाश किया। उन्होंने याद दिलाया कि डॉ. अब्दुल क़दीर ख़ान ने कैसे यूरोप से परमाणु तकनीक चुराकर पाकिस्तान को परमाणु शक्ति बनाया और ISI ने कैसे अमेरिका को अफगान युद्ध के समय धोखा दिया।
उन्होंने चेताया कि आज पाकिस्तान, ईरान जैसे कट्टरपंथी देशों को परमाणु हथियार हासिल करने में मदद कर रहा है, जो आने वाले समय में वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
बलूचिस्तान: खनिज संपदा और चीन का लालच
बलूच नेता ने बताया कि पाकिस्तान बलूचिस्तान की सोना, चांदी, गैस, कोयला, यूरेनियम और तेल जैसी प्राकृतिक संपदाओं को लूटकर अपने सैन्य तंत्र और आतंकी संगठनों को पोषित कर रहा है। उन्होंने चेताया कि चीन बलूचिस्तान की ग्वादर, ओरमारा और जिवानी जैसे तटीय क्षेत्रों पर कब्जा जमाने की कोशिश कर रहा है, जिससे दक्षिण एशिया की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है।
भारत से माँग:
पत्र के अंत में मीर यार बलोच ने प्रधानमंत्री मोदी से अपील की कि भारत को अब शब्दों से आगे बढ़कर बलूचिस्तान के समर्थन में ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने मांग की कि दिल्ली में बलूचिस्तान का दूतावास खोला जाए, ताकि भारत और बलूचिस्तान के बीच सीधे कूटनीतिक और रणनीतिक संवाद स्थापित हो सके।
''आपकी एक आवाज, 60 मिलियन बलूचों की उम्मीद बन सकती है''
उन्होंने लिखा, “15 अगस्त 2016 को जब आपने लाल किले से बलूचिस्तान का जिक्र किया, तब आपने 6 करोड़ बलूचों का दिल जीत लिया था। अब वक्त है कि उन शब्दों को क्रियान्वयन में बदला जाए।” उन्होंने कहा कि भारत और बलूचिस्तान मिलकर इस क्षेत्र में आतंकवाद के केंद्र पाकिस्तान को निर्णायक रूप से पराजित कर सकते हैं।
मीर यार बलोच का यह पत्र न केवल पाकिस्तान की क्रूरता और आतंक को बेनकाब करता है, बल्कि यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक अवसर भी प्रस्तुत करता है — बलूचिस्तान के स्वतंत्रता संघर्ष में भागीदार बनकर दक्षिण एशिया में स्थायी शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने का। यह पत्र अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी एक चेतावनी है कि अगर समय रहते पाकिस्तान को रोका नहीं गया, तो आने वाले समय में यह पूरी दुनिया के लिए परमाणु आतंकवाद का खतरा बन सकता है।