पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर (PoJK) में मानवाधिकारों का हनन, अत्याचार और दमनकारी शासन अब कोई नई बात नहीं रह गई है। पाकिस्तानी सेना, खुफिया एजेंसी ISI और पुलिस द्वारा नागरिकों पर ढाए जाने वाले ज़ुल्म दुनिया के सामने धीरे-धीरे उजागर हो रहे हैं। जो भी नागरिक अपनी आज़ादी, अधिकार या न्याय की बात करता है — उसके हिस्से में या तो अपहरण आता है या फिर मौत।
रावलाकोट में मानवाधिकार कार्यकर्ता ज़र्नोश नसीम की हत्या
ताज़ा मामला रावलाकोट के हसनकोट क्षेत्र से सामने आया है, जहां बुधवार देर रात पाकिस्तानी पुलिस ने मानवाधिकार कार्यकर्ता ज़र्नोश नसीम और उनके तीन साथियों की गोली मारकर हत्या कर दी। इन सभी को 'फर्जी मुठभेड़' में मारा गया, जिसका नाटक स्थानीय पुलिस द्वारा रचा गया। पुलिस का दावा है कि ज़र्नोश और उनके साथी जंगल में छिपे थे और पुलिस पर बम फेंककर हमला किया, जिसमें 20 पुलिसकर्मी घायल और 2 मारे गए। जवाबी कार्रवाई में चारों मारे गए — यही पाकिस्तान की "सरकारी कहानी" है।
ISI की गिरफ्त से मौत तक —
ज़र्नोश नसीम कोई आम नागरिक नहीं था। वह PoJK में मानवाधिकारों और आत्मनिर्णय की मांग को लेकर लगातार मुखर रहता था। अगस्त 2024 में उसे ISI ने अगवा किया था, जिससे पूरे PoJK में विरोध की लहर उठी थी। लोगों ने सड़कों पर उतरकर नारेबाज़ी की, “हमें पाकिस्तान नहीं, आज़ादी चाहिए” जैसी आवाज़ें गूंजने लगीं। बढ़ते दबाव के चलते ज़र्नोश को कुछ समय बाद रिहा किया गया। लेकिन पाकिस्तान की सैन्य सोच इतनी संकीर्ण है कि वह आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकती। ज़र्नोश को चुप कराने के लिए यह हत्या बहुत पहले तय कर दी गई थी और अब उसे एक 'आतंकी' की उपाधि देकर फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया।
पाकिस्तान की फर्जी आतंकवाद की स्क्रिप्ट
PoJK के SP द्वारा जारी बयान में कहा गया कि ज़र्नोश नसीम और उनके साथियों पर हत्या और पुलिस पर हमले जैसे गंभीर आरोप थे, और वे TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) जैसे आतंकी संगठन से जुड़े थे। परंतु सच यह है कि ज़र्नोश का किसी आतंकी संगठन से कोई संबंध साबित नहीं हुआ। यह सब एक सुनियोजित स्क्रिप्ट का हिस्सा है, जिसका मकसद केवल इतना था जो आवाज़ उठाएगा, उसे आतंकवादी घोषित कर दो।
सिर्फ PoJK नहीं, पूरे पाकिस्तान में यही हो रहा है
PoJK हो, बलूचिस्तान हो या फिर सिंध — हर वह क्षेत्र जो पाकिस्तान की जबरन कब्जाई गई सीमाओं का हिस्सा है, वहां यही कहानी दोहराई जाती है। जो आवाज़ उठाएगा, उसे पहले अगवा किया जाएगा, फिर फर्जी आरोपों में फंसाया जाएगा और अंततः या तो जेल में सड़ाया जाएगा या मार दिया जाएगा।
जुल्म के खिलाफ सच्चाई की मशाल
ज़र्नोश नसीम की हत्या एक बार फिर दुनिया को याद दिलाती है कि PoJK पाकिस्तान का हिस्सा नहीं, उसका शिकार है। यह क्षेत्र जहां लोगों के सपनों पर बंदूक तनी है, वहां से हर बार एक ही संदेश आता है — "हमें पाकिस्तान नहीं चाहिए, हमें इंसाफ चाहिए!"
भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि PoJK उसका अभिन्न अंग है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सेना प्रमुखों द्वारा समय-समय पर दिए गए बयानों से यह संकल्प जाहिर होता रहा है कि PoJK की वापसी केवल सैन्य नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और मानवाधिकार के संघर्ष की जीत होगी। अब समय आ गया है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर PoJK में हो रहे मानवाधिकार हनन, फर्जी मुठभेड़ों और बलपूर्वक चुप कराई जा रही आवाज़ों को उजागर किया जाए।