समंदर में धधकती आग, खतरें में 22 जिंदगियाँ ; भारतीय नौसेना की बहादुरी के आगे नतमस्तक हुआ चीन

    11-जून-2025
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Gratitude to Indian Navy
जब भी भारत और चीन का नाम एक साथ लिया जाता है, तो ज़हन में सबसे पहले सरहदों की तल्ख़ियां, लद्दाख में तनातनी और गलवान की झड़पें याद आती हैं। कूटनीति और सुरक्षा मामलों में दोनों देशों के बीच प्रतिस्पर्धा और अविश्वास किसी से छिपा नहीं है। लेकिन 9 जून 2025 को अरब सागर की लहरों पर एक ऐसा दृश्य सामने आया, जिसने इस पारंपरिक सोच को एक नई दिशा दी। उस दिन भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल (Coast Guard) ने न केवल अपनी ताक़त दिखाई, बल्कि वह इंसानियत भी, जिसे सीमाएं नहीं रोक सकतीं।
 
 
समंदर में उठी आग की लपटें, और फिर उम्मीद की रोशनी
 
केरल के अजीखल तट से लगभग 44 नॉटिकल मील दूर एक कंटेनर जहाज MV Wan Hai 503 में भीषण धमाके के बाद आग लग गई। यह आग इतनी तेज़ थी कि जहाज धुएं के घने बादलों में लिपट गया। इस जहाज पर सवार थे 14 चीनी नागरिक और 6 ताइवान के नागरिक – कुल 20 लोग, जिनकी जान पर संकट मंडरा रहा था।
 
 
आसमान से धुआं उठता देख समुद्र ने जैसे चेतावनी दी – "समय कम है, हर पल कीमती है।" लेकिन इसी पल भारत ने वो किया, जो एक ज़िम्मेदार और शक्तिशाली समुद्री राष्ट्र करता है – भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड ने बिना देरी किए राहत कार्य शुरू किया।



INS Surat और INS Garuda की वीरता
 
 
समाचार मिलते ही भारतीय नौसेना ने अत्याधुनिक युद्धपोत INS Surat को तत्काल मौके पर रवाना किया। साथ ही नौसेना के INS Garuda एयरबेस से एक डोर्नियर विमान भी भेजा गया, ताकि हवाई निगरानी से स्थिति को बेहतर ढंग से समझा जा सके।
 
 
वहीं भारतीय तटरक्षक बल ने भी पीछे हटने का नाम नहीं लिया – 5 बड़े जहाज और C-144 एयरक्राफ्ट भेजे गए। यह किसी रेस्क्यू ऑपरेशन से कहीं बढ़कर था – यह एक उदाहरण था कि भारतीय ताक़त केवल युद्ध में नहीं, जीवन बचाने में भी सामने आती है।
22 ज़िंदगियाँ, एक मिशन – और भारत बना नायक
 
बिना किसी भेदभाव के, बिना इस बात की परवाह किए कि जहाज पर सवार लोग किस देश से हैं –भारतीय बलों ने सभी 22 लोगों की जान बचा ली। यह सिर्फ एक बचाव नहीं था, यह भारत की वैश्विक जिम्मेदारी का परिचायक था।
 
इस घटना ने साबित कर दिया कि भारतीय नौसेना न केवल हिन्द महासागर की "नेट सिक्योरिटी प्रोवाइडर" है, बल्कि एक मानवता की प्रहरी भी है।
 
 
चीन ने मानी भारत की बहादुरी – "थैंक यू इंडिया"
 
 
घटना के बाद जो हुआ, वह और भी असाधारण था। भारत में चीन के राजदूत यू जिंग ने ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर स्वयं आभार जताया और लिखा –
 
“Thank you Indian Navy and Mumbai Coast Guard… आपने हमारे लोगों की जान बचाई।”
 
 
यह पहली बार है कि किसी आपातकालीन मानवीय प्रयास पर चीन ने सार्वजनिक रूप से भारतीय रक्षा बलों की सराहना की है। यह सिर्फ कूटनीतिक धन्यवाद नहीं था, यह भारत के बढ़ते समुद्री कद की स्वीकृति थी।
 
 
एक नई दिशा की ओर…
 
जहाँ एक ओर चीन अक्सर हिन्द महासागर में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश करता है, वहीं भारत ने यह दिखा दिया कि समुद्री नेतृत्व सिर्फ पनडुब्बियों और युद्धपोतों से नहीं, बल्कि संवेदनशीलता, तत्परता और साहस से आता है। भारत ने उस दिन यह साबित कर दिया कि वह एक मरिटाइम सुपरपावर बनने की राह पर है – न सिर्फ अपनी क्षमता से, बल्कि अपने चरित्र से।
 
 
अंत में यही कहा जा सकता है: भारत की ताक़त उसका हथियार नहीं, उसका हृदय है। और यही हृदय जब समंदर की लहरों पर धड़कता है, तो दुश्मन भी कह उठते हैं – थैंक यू इंडिया।