#OperationSindhu : इजराइल-ईरान युद्ध के बीच में उम्मीद की उड़ान ; वॉर जोन से सकुशल स्वदेश लौटे 110 भारतीय छात्र, मिशन जारी

    19-जून-2025
Total Views |
 
Iran israel conflict India launch operation sindhu
 
Israel-Iran Conflict : ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते युद्ध के माहौल में जब दुनिया सांसें थामे देख रही थी, तब भारत ने फिर एक बार यह साबित कर दिया कि वह अपने नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखता है। इस बार केंद्र में थे ईरान के उर्मिया मेडिकल यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे 110 भारतीय छात्र—जिनमें 90 छात्र जम्मू कश्मीर से हैं। गोलियों और मिसाइलों के साये में भारत ने ‘ऑपरेशन सिंधु’ शुरू कर, इन छात्रों को सुरक्षित स्वदेश वापस लाया।
 
 
छात्रों की वापसी राहत की सांस
 
 
ईरान से लौटे छात्रों की आंखों में राहत तो थी, लेकिन दिलों में अब भी डर बसा था। एक छात्र ने बताया, “तेहरान में हालात हर दिन बिगड़ते जा रहे थे। डर हर वक्त साथ चलता था। युद्ध कभी किसी का भला नहीं करता, वहां सबसे पहले इंसानियत मरती है।” आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पहले ये छात्र ईरान-आर्मेनिया बॉर्डर के नॉरदुज से होकर आर्मेनिया की राजधानी येरेवन पहुंचे। फिर उन्हें कतर होते हुए नई दिल्ली लाया गया। भारतीय दूतावासों ने हर पड़ाव पर पूरी सक्रियता दिखाई और सरकार ने जमीन से आसमान तक उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाई।
 
 
 
 
 
भारत की रणनीति: क्यों चुना गया आर्मेनिया ही?
 
 
यह सिर्फ एक रेस्क्यू मिशन नहीं था, यह एक सुविचारित राजनयिक और रणनीतिक ऑपरेशन था। सवाल उठता है जब ईरान के 7 पड़ोसी देश और एक समुद्री सीमा है, तो भारत ने सिर्फ आर्मेनिया को ही क्यों चुना?
 
 
1. भौगोलिक समीकरण:
 
ईरान के कई प्रमुख शहर आर्मेनिया बॉर्डर के क़रीब हैं। इससे छात्रों को जल्द और सुरक्षित निकाला जा सकता था।
 
 
2. भारत-आर्मेनिया संबंध:
 
भारत और आर्मेनिया के बीच मजबूत कूटनीतिक, सैन्य और रणनीतिक रिश्ते हैं। भारत ने हाल ही में आर्मेनिया को रक्षा उपकरण भी सप्लाई किए हैं। ऐसे में वहां से उड़ान की अनुमति लेना और ज़मीन पर लॉजिस्टिक सपोर्ट मिलना आसान था।
 
 
3. सुरक्षित हवाई सुविधा:
 
 
येरेवन एयरपोर्ट पूरी तरह संचालित और सुरक्षित है। वहां से छात्रों को तुरंत उड़ाकर भारत लाना संभव हुआ।
 
 
4. अन्य रास्तों की जटिलता:
 
* पाकिस्तान: भारत के साथ लंबे समय से तनावपूर्ण रिश्ते। ऑपरेशन सिंदूर के बाद हालात और बिगड़े। भारत और पाक दोनों ने एक दूसरे के लिए अपना एयर स्पेस बंद कर रखा है।
 
 
 
 
 
* इराक: इज़राइल के निशाने पर है लिहाजा वहां से गुजरना और भी ख़तरनाक।
 
 
* अजरबैजान: हाल ही में ऑपरेशन सिन्दूर के दौरान पाकिस्तान का खुला समर्थन किया था और भारत के रुख की निंदा भी की। लिहाजा भारत ने अजरबैजान से भी रिश्ते ख़त्म करने की ठानी है।
 
 
* तुर्किये: दूरी अधिक है और ऑपरेशन सिन्दूर में खुलकर पाकिस्तान को मदद पहुँचाया था। लिहाजा तुर्की के साथ भारत के रिश्ते सही नहीं है।
 
 
* ओमान या समुद्री रास्ता: युद्धकाल में समुद्री मिशन बेहद जटिल और समय लेने वाले होते।
 
 
सीधा एयरलिफ्ट क्यों नहीं हुआ?
 
 
ईरान से छात्रों को सीधे भारत लाने का विकल्प जोखिमों से भरा था।
 
 
* ईरान के अधिकांश अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बंद हैं या हमलों की चपेट में हैं।
 
 
* इज़राइल के हमलों से एयरस्पेस असुरक्षित है।
 
 
* भारत को ईरान से विमान संचालन की अनुमति और सुरक्षा की गारंटी मिलना लगभग असंभव था।
 
 
* ऐसे में लैंड बॉर्डर के ज़रिए छात्रों को सुरक्षित क्षेत्र तक पहुंचाना ही एकमात्र व्यावहारिक विकल्प था।
 
 
भारत का बदलता रूप: संकट में संकल्प, दूरदृष्टि और शक्ति
 
 
‘ऑपरेशन सिंधु’ भारत की उस नई विदेश नीति और रणनीतिक सोच का प्रमाण है, जिसमें केवल कूटनीति नहीं, बल्कि इंटेलिजेंस, त्वरित निर्णय और मानवीय दृष्टिकोण का तालमेल दिखता है। चाहे अफगानिस्तान से निकासी हो या यूक्रेन युद्ध में ‘ऑपरेशन गंगा’, और अब ईरान-इज़राइल संकट के बीच यह मिशन – भारत हर बार साबित कर रहा है कि वह अपने नागरिकों को कभी अकेला नहीं छोड़ता।
 
 
युद्ध के बीच उम्मीद की उड़ान
 
 
जब दुनिया के कई देश अपने नागरिकों को छोड़ने को मजबूर होते हैं, भारत उन्हें ढूंढकर निकाल लाता है। ‘ऑपरेशन सिंधु’ सिर्फ एक रेस्क्यू मिशन नहीं, यह एक राष्ट्र की जिम्मेदारी, उसके नागरिकों से जुड़ाव और रणनीतिक आत्मनिर्भरता की कहानी है। यह कहानी बताती है कि भारत आज केवल एक देश नहीं, बल्कि विश्व मंच पर उभरती शक्ति है—जो न सिर्फ अपनी सीमाएं, बल्कि अपने लोगों के जीवन और सम्मान की भी रक्षा करता है… चाहे वह देश के भीतर हों या हज़ारों मील दूर किसी युद्ध क्षेत्र में।