#Historic : शारदा पीठ से जुड़ी चमत्कारी खोज, कुपवाड़ा में दशकों बाद खंडहरों में मिला शारदा पीठ का प्राचीन अवशेष

    20-जून-2025
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sharda temple in ruins at Gugloosa discovered recently by Thussu family  
कश्मीर को शारदा देश यूँ ही नहीं कहा जाता। माँ सरस्वती के शारदा स्वरूप की इस भूमि से विशेष नाता रहा है। यहां स्थित शारदा पीठ न केवल एक प्राचीन शक्ति पीठ है, बल्कि यह हजारों वर्षों तक ज्ञान, धर्म और दर्शन का महान केंद्र भी रहा।
 
 
नीलम नदी के किनारे, आज के POJK में स्थित शारदा पीठ में कभी देश-विदेश से विद्वान अध्ययन और साधना के लिए आते थे। यह मंदिर सिर्फ एक आस्था स्थल नहीं, बल्कि कश्मीर की सांस्कृतिक आत्मा का प्रतीक था। उसी शारदा पीठ से जुड़ी एक और ऐतिहासिक खोज सामने आई है।
 
 
दरअसल कश्मीर संभाग के कुपवाड़ा में एक प्राचीन शारदा मंदिर से जुड़ा अवशेष मिला है। इस बारे में जानकारी देते हुए रविन्द्र पंडिता ने लिखा, प्राचीन ग्रंथों और शारदा माहात्म्य के अनुसार, समुद्र मंथन के समय प्राप्त अमृत को एक मैना पक्षी ने एक छोटे मिट्टी के घट में भरकर शारदा पीठ तक पहुँचाया था। इस दिव्य यात्रा के दौरान अमृत की दो बूंदें रास्ते में गिरीं—एक कालूसा (बांदीपोरा) में और दूसरी गुगलूसा (कुपवाड़ा) में। अंततः वह चिड़िया वह घट लेकर शारदा पीठ (जो आज POJK में है) वहां पहुँची और वहीं उसे स्थापित किया।
 
 
 
 
 
अब इस कथा से जुड़ा एक ऐतिहासिक स्थल 36 वर्षों बाद फिर से प्रकाश में आया है। कुपवाड़ा ज़िले के गुगलूसा गाँव में, थुस्सू परिवार ने हाल ही में मलबे से शारदा मंदिर के खंडहरों को खोज निकाला है। यही परिवार इस गाँव के मूल निवासी रहे हैं और आज भी POJK में स्थित शारदा गाँव में उनकी पारिवारिक विरासत मौजूद है। कभी यह पूरा परिवार शारदा पीठ की वार्षिक यात्रा का नेतृत्व करता था। गुगलूसा में मिले मंदिर के अवशेषों के संरक्षण और पुनर्निर्माण का कार्य अब शुरू हो गया है। 
 
 
 
 
 
 
शारदापीठ देवी सरस्वती का प्राचीन मन्दिर है जो पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर अर्थात (POJK) में शारदा के निकट किशनगंगा नदी (नीलम नदी) के किनारे स्थित है। शारदा पीठ मुजफ्फराबााद से लगभग 140 किलोमीटर और कुपवाड़ा से करीब 30 किलोमीटर दूर है।
 
हिंदूओं का यह धार्मिक स्थल लगभग 5 हजार वर्ष पुराना है। प्राचीन काल से कश्मीर को शारदापीठ के नाम से ही जाना जाता है, जिसका अर्थ है देवी शारदा का निवास। यह मंदिर पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले क्षेत्र PoJK में नीलम नदी के तट पर स्थित है। पाकिस्तान के कब्जे में जाने के बाद धीरे-धीरे यह मंदिर खंडित हो चुका है।
 

sharda peeth POJK  
 
 मान्यता 
 
 
मान्यता है कि देवी सती के शरीर के अंग उनके पति भगवान शिव द्वारा लाते वक्त यहीं पर गिरे थे। इसलिए यह 18 महाशक्ति पीठों में से एक है या कहें कि ये पूरे दक्षिण एशिया में एक अत्यंत प्रतिष्ठित मंदिर, शक्ति पीठ है। आज भारतीय हिंदू माता के दर्शन के लिए उत्सुक रहते है, लेकिन पाकिस्तान के कब्जे में होने के कारण कोई भारतीय आसानी से यहां नहीं जा पाता है।
 
 
1948 तक, गंगा अष्टमी पर नियमित शारदापीठ यात्रा शुरू होती थी। भक्त नवरात्रों के दौरान मंदिर भी जाते हैं। विभाजन से पहले शारदा देवी का तिथवाल मंदिर विश्व प्रसिद्ध शारदा तीर्थ का आधार शिविर था। किशनगंगा नदी के तट पर स्थित मूल मंदिर और निकटवर्ती गुरुद्वारा को 1947 में पाकिस्तानी हमलावरों द्वारा नष्ट कर दिया गया था। तब से, न तो सरकारों और न ही किसी संगठन ने इन धार्मिक स्थलों के पुनर्निर्माण के लिए कोई पहल की। शारदा पीठ देवी सरस्वती का कश्मीरी नाम है। यह छठी और बारहवीं शताब्दी के बीच भारतीय उपमहाद्वीप के सबसे प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक था और मध्य एशिया और भारत के विद्वान ऐतिहासिक शिक्षा के लिए यहां आते थे।