SCO Summit : चीन के किंगदाओ में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भारत ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि आतंकवाद पर उसकी नीति "जीरो टॉलरेंस" की है और इसमें किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संयुक्त घोषणापत्र (Joint Statement) पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर पाकिस्तान और आतंकवाद समर्थक देशों को कड़ा संदेश दिया।
राजनाथ सिंह ने संयुक्त बयान पर इसलिए हस्ताक्षर नहीं किए क्योंकि उसमें आतंकवाद को लेकर भारत की गहरी चिंताओं को पूरी तरह शामिल नहीं किया गया था। इस कदम के पीछे भारत का मुख्य उद्देश्य यह था कि घोषणा पत्र में क्रॉस बॉर्डर टेररिज्म' का उल्लेख हो...भारत चाहता था कि पाकिस्तान का साफ़ तौर पर नाम ना लेते हुए भी आतंकवाद, पहलगाम हमले जैसे अनेक आतंकी घटनाओं को जगह दी जाए जोकि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने SCO की बैठक में चीन और पाकिस्तान के सामने ही यह स्पष्ट किया कि 7 मई 2025 को भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में कार्रवाई की। उन्होंने कहा, “हमारे पास आत्मरक्षा का अधिकार है और हमने दिखाया है कि अब आतंकवाद फैलाने वाले सुरक्षित नहीं रह सकते।”
बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद थे। ऐसे में राजनाथ सिंह का यह कहना कि “कुछ देश अब भी आतंकवाद को सरकारी नीति का हिस्सा मानते हैं और आतंकियों को पनाह देते हैं” सीधे पाकिस्तान पर निशाना था। उन्होंने कहा, “SCO को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।”
राजनाथ सिंह ने कहा कि आज की सबसे बड़ी समस्याएं — शांति, सुरक्षा और विश्वास की कमी — सीधे तौर पर कट्टरपंथ और आतंकवाद से जुड़ी हैं। उन्होंने दो टूक कहा कि "इनसे निपटने के लिए केवल निंदा नहीं, निर्णायक कार्रवाई जरूरी है।"
भारत की नीति स्पष्ट है — Zero Tolerance for Terrorism। राजनाथ बोले: “हम न सिर्फ अपने देश की रक्षा करेंगे, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेंगे कि आतंकवाद के अड्डे सुरक्षित न रहें।”
भारत ने यह भी रेखांकित किया कि संवाद और सहयोग ही संघर्षों को रोक सकते हैं। उन्होंने कहा: “कोई भी देश कितना भी बड़ा क्यों न हो, अकेले वैश्विक चुनौतियों से नहीं निपट सकता। हमारी सनातन परंपरा 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' यही सिखाती है।”
राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि कोरोना महामारी ने दुनिया को सिखा दिया कि चुनौतियों की कोई सीमा नहीं होती। चाहे वह महामारी हो, जलवायु परिवर्तन या साइबर हमले — इनका समाधान वैश्विक सहयोग से ही संभव है।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) एक क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसकी स्थापना 15 जून 2001 को शंघाई (चीन) में हुई थी। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी रणनीति, आर्थिक सहयोग और राजनीतिक स्थिरता को बढ़ावा देना है।
चीन
रूस
भारत
पाकिस्तान
कजाकिस्तान
किर्गिस्तान
ताजिकिस्तान
उज़बेकिस्तान
ईरान (2023 में पूर्ण सदस्य बना)
भौगोलिक स्थिति व सामरिक महत्व:
SCO सदस्य देश विश्व की लगभग 42% जनसंख्या और 25% वैश्विक GDP का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन देशों की साझा सीमाएँ, ऊर्जा संसाधन, और सामरिक बंदरगाह इस संगठन को अभूतपूर्व भू-राजनीतिक शक्ति प्रदान करते हैं।
भारत का SCO के संयुक्त बयान से खुद को अलग रखना केवल राजनयिक रणनीति नहीं, भविष्य की नीति का ट्रेलर है यह एक संकेत है कि भारत अब अपने सुरक्षा हितों पर समझौता नहीं करेगा — चाहे वह बहुपक्षीय मंच हो या सीमा पार बैठी शक्तियाँ। भारत का संदेश स्पष्ट है कि आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, और दुनिया को अब अपने “डबल स्टैंडर्ड” छोड़ने होंगे।