Remembering Our Kargil Heroes : कारगिल युद्ध के नायक वीर चक्र सम्मानित कैप्टन जिंटू गोगोई की वीरगाथा

    30-जून-2025
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Captain Jintu Gogoi
 
 
Story of Kargil Heroes : कैप्टन जिंटू गोगोई का जन्म असम के गोलाघाट जिले के एक छोटे से शहर खुमताई में हुआ था। कैप्टन जिंटू गोगोई को गढ़वाल राइफल्स के 17 गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट में नियुक्त किया गया था। जो भारतीय सेना की सबसे प्रतिष्ठित रेजिमेंटों में से एक है। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान, उनकी यूनिट को जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में तैनात किया गया था। जब भारत पाकिस्तान के बीच कारगिल युद्ध छिड़ा, तो उनकी 12 दिन पहले ही सगाई हुई थी। सगाई के 12 दिन बाद ही उन्हें अपनी यूनिट में शामिल होने के लिए छुट्टी से वापस बुला लिया गया।
 
 
कैप्टन गोगोई पूरे राज्य के लोगों, विशेषकर युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा थे। कारगिल युद्ध के दौरान असम राज्य अशांत समय से गुजर रहा था क्योंकि उल्फा ने राज्य के लोगों से कारगिल में घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों का समर्थन करने का खुला आह्वान किया था। कैप्टन जिंटू गोगोई की उपस्थिति और उनके प्रेरणादायक शब्दों ने असम के लोगों को उनका और भारत का समर्थन करने के लिए प्रेरित किया। कैप्टन गोगोई को बटालिक सेक्टर में काला पत्थर से पाकिस्तानी सैनिकों को खदेड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
 
 
ऑपरेशन विजय, बटालिक सेक्टर: 30 जून 1999
 
 
29 जून की रात कैप्टन गोगोई और उनके सैनिकों को श्रीनगर और लेह को जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर, जुबार टॉप की ओर स्थित एक रिज-लाइन, जुबार हाइट्स में काला पत्थर से दुश्मन को हटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। यह इलाका बटालिक क्षेत्र में नियंत्रण रेखा के पास था। कैप्टन जिंटू गगोई ने मिशन की कमान संभाली और मिशन को पूरा करने के उद्देश्य से अपनी टुकड़ी के साथ आगे बढे। मिशन तक पहुँचने के लिए कैप्टन गोगोई और उनकी टुकड़ी को कठिन चढ़ाई करनी थी। दूसरी तरफ से पाकिस्तानी सैनिकों की ओर से जारी हमला मिशन तक बढ़ने में कठिनाई उत्तपन्न कर रही थीं। इस मिशन को पूरा करने के लिए कैप्टन गोगोई के साथ नाइक मदन सिंह, रायफलमैन जयदीप सिंह, रायफलमैन वरिंदर लाल (17 गढ़वाल), सिपाही राजवीर सिंह, सिपाही धरमबीर सिंह, सिपाही विनोद कुमार, सूबेदार हरफूल सिंह, सिपाही गजपाल सिंह और सिपाही कृष्ण कुमार (17 जाट) मौजूद थे।
 
 
 
कैप्टन गोगोई अपने सैनिकों के साथ अभी रिज के शीर्ष तक पहुंचे ही थे, तभी दुश्मन सैनिकों की नजर कैप्टन की टुकड़ी पर पडी। भारी गोलीबारी के साथ पाकिस्तानी सैनिकों ने कैप्टन गोगोई की टुकड़ी को सभी दिशाओं से घेर लिया। कैप्टन गोगोई ने अपनी रेजिमेंट के आदर्श वाक्य, "युद्धाय कृत निश्चय अर्थात (दृढ़ संकल्प के साथ लड़ो)" को चरितार्थ करते हुए, उन्होंने अपने रेजिमेंटल युद्ध घोष, "बद्री विशाल की जय" के उद्घोष के साथ दुश्मन सैनिकों पर हमला किया। कैप्टन गोगोई की इस साहसी कार्रवाई में पाकिस्तान के 2 सैनिक मारे गए। साथ ही इस हमले में कई पाकिस्तानी सैनिक घायल हो गए।
 
 
 
हालाँकि दोनों तरफ से हुई गोलीबारी के दौरान कैप्टन गोगोई भी घायल हो गए थे। उनके सोलर प्लेक्सस में मशीन गन से जोरदार धमाका हुआ लेकिन उन्होंने तब तक गोलीबारी जारी रखी जब तक कि वह गिर नहीं गए। बाद में गंभीर चोटों के कारण युद्ध भूमि में वीरगति को प्राप्त हो गए। कैप्टन जिंटू गोगोई की इस बहादुरी और सर्वोच्च बलिदान के चलते जल्द ही भारतीय सैनिकों द्वारा कालापत्थर को दुश्मनों से मुक्त करा लिया गया। इस कार्रवाई ने युद्ध में आगे की सफलताओं का मार्ग प्रशस्त किया। बटालियन मुंथो ढालो परिसर में एक और प्रमुख स्थान हासिल करने के लिए आगे बढ़ी, अंततः भारी बर्फबारी और प्रभावी दुश्मन की गोलीबारी के बावजूद प्वाइंट 5285 पर कब्जा कर लिया। बाद में बटालियन को ऑपरेशन विजय में अपने कारनामों के लिए बैटल ऑनर 'बटालिक' से सम्मानित किया गया।
 
 
इस युद्ध में वीरता का परिचय देते हुए अपने प्राणों का परित्याग करने के लिए कैप्टन गोगोई को मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया।