भारत द्वारा चलाए जा रहे 'Operation Sindoor' के वैश्विक प्रभाव और पाकिस्तान की कूटनीतिक विफलताओं का नया उदाहरण हाल ही में मलेशिया में देखने को मिला। जब भारत के सात-सदस्यीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल की दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की यात्रा के दौरान पाकिस्तान ने धार्मिक कार्ड खेलते हुए मलेशिया में कार्यक्रम रद्द कराने की साजिश रची, तब मलेशिया ने उसके इस दबाव को नकारते हुए भारत के पक्ष में खड़ा होना चुना। यह न सिर्फ भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय स्वीकार्यता को दर्शाता है बल्कि पाकिस्तान की कमजोर होती वैश्विक हैसियत को भी उजागर करता है।
पाकिस्तान की पुरानी रणनीति: ‘धार्मिक एकजुटता’ का हथियार
पाकिस्तान दशकों से ‘इस्लामी एकता’ के नाम पर मुस्लिम देशों से भारत-विरोधी समर्थन जुटाने की कोशिश करता आया है, खासकर कश्मीर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर। इस बार भी पाकिस्तानी दूतावास ने मलेशिया की सरकार से आग्रह किया कि मलेशिया एक इस्लामिक देश है और भारत से आए प्रतिनिधिमंडल को मंच न दिया जाए। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में ‘कश्मीर मुद्दे’ की मौजूदगी का हवाला देते हुए सभी कार्यक्रम रद्द करने की अपील की। लेकिन पाकिस्तान को करारा झटका तब लगा, जब मलेशिया ने इन दबावों को दरकिनार कर भारतीय सांसदों के सभी 10 प्रस्तावित कार्यक्रमों को हरी झंडी दे दी।
भारत की कूटनीतिक सक्रियता और अंतरराष्ट्रीय छवि
यह घटनाक्रम भारत की कूटनीतिक सक्रियता की सफलता है। ऑपरेशन सिन्दूर के बाद भारत यह स्पष्ट करना चाहता है कि आतंकवाद के खिलाफ उसकी कार्रवाई संप्रभुता के अधिकार के तहत है और वह केवल अपनी सुरक्षा के लिए कार्य कर रहा है। ऐसे में दुनिया भर में भारतीय दृष्टिकोण को प्रस्तुत करना जरूरी हो गया था।
सांसदों के इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल थे:
संजय झा (JDU) – प्रतिनिधिमंडल के नेता
अपराजिता सारंगी (BJP)
बृज लाल (BJP)
प्रदान बरुआ (BJP)
हेमांग जोशी (BJP)
अभिषेक बनर्जी (TMC)
सलमान खुर्शीद (Congress)
जॉन ब्रिटास (CPM)
डॉ. मोहन कुमार (पूर्व राजदूत)
यह विविध विचारधारा वाले दलों का प्रतिनिधिमंडल यह दर्शाता है कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई पर भारत एकमत है।
Operation Sindoor: भारत की बदलती रणनीति का प्रतीक
ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि भारत की नई रणनीति का प्रतीक है — जिसमें पाकिस्तान की ओर से प्रायोजित आतंकवाद का जवाब अब सख्ती से और स्पष्टता के साथ दिया जा रहा है। भारत अब न केवल सीमा पर बल्कि वैश्विक मंचों पर भी पाकिस्तान को घेरने की नीति पर कार्य कर रहा है।
मलेशिया का बदला रुख
यह बात भी उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले तक मलेशिया, खासकर महातीर मोहम्मद के कार्यकाल में, जम्मू कश्मीर मसले पर पाकिस्तान का साथ देता रहा है। लेकिन अब मलेशिया की सरकार ने भारतीय सांसदों का स्वागत किया, जिससे संकेत मिलता है कि भारत के साथ व्यापारिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों को प्राथमिकता दी जा रही है।
भारत की कूटनीतिक जीत
यह पूरा घटनाक्रम भारत की एक बड़ी कूटनीतिक सफलता है। जहां पाकिस्तान अपनी पुरानी रणनीतियों – धार्मिक भावनाएं, जम्मू कश्मीर मुद्दा, इस्लामी एकता – का सहारा लेकर भारत को घेरना चाहता था, वहीं भारत ने अपने सशक्त, तथ्यों पर आधारित, और बहुपक्षीय दृष्टिकोण से उसे ध्वस्त कर दिया।
Operation Sindoor न केवल सीमा पर, बल्कि कूटनीति के मोर्चे पर भी भारत के संकल्प, स्पष्टता और नेतृत्व क्षमता का उदाहरण बनता जा रहा है। मलेशिया की यह स्थिति वैश्विक समुदाय के लिए एक संकेत है — आतंकवाद को धार्मिक चश्मे से नहीं, मानवता के नजरिए से देखा जाना चाहिए।
मलेशिया जैसे देशों का बदलता रुख यह दर्शाता है कि भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक नीतियों को प्रभावित करने वाला प्रमुख खिलाड़ी बन चुका है। आने वाले समय में भारत के ऐसे प्रतिनिधिमंडल नैरेटिव डिप्लोमेसी का प्रमुख माध्यम बनेंगे, जो युद्ध के मैदान से ज्यादा असर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर डालेंगे।