Operation Sindoor पर विपक्ष की सियासत ; विपक्षी नेताओं का बयान बना पाकिस्तान का हथियार, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

    30-जुलाई-2025
Total Views |

Indian Parliament debate is the new weapon in Pakistan
 
 
भारतीय संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान जिस तरह से विपक्ष ने सरकार से सवाल पूछे और ऑपरेशन सिंदूर व सेना के शौर्य पर सवाल खड़े किए, उसने देश की सुरक्षा रणनीति और सैन्य सफलता पर लोकतांत्रिक बहस की छाया में पाकिस्तान को भारत विरोधी नैरेटिव गढ़ने का मौका दे दिया। अब पाकिस्तान इसी संसद बहस और विपक्षी नेताओं के बयानों को हथियार बनाकर भारत के खिलाफ झूठा प्रचार चला रहा है। खासकर राफेल लड़ाकू विमान के गिराए जाने के कथित दावे के इर्द-गिर्द।
 
 
पाकिस्तान की 'नैरेटिव वॉर' में नया हथियार: भारतीय संसद की बहस
 
 
जैसे ही संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोंक-झोंक हुई, पाकिस्तान की मीडिया ने इस मौके को तुरंत भांप लिया। पाकिस्तानी चैनलों—जैसे जियो न्यूज, ARY न्यूज, समा टीवी और दुनिया न्यूज—ने कांग्रेस नेता अमरिंदर सिंह राजा, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के संसद में दिए बयानों को जोरशोर से पेश किया।
 
 
इन चैनलों ने अपने दर्शकों को यह जताने की कोशिश की कि भारत की संसद में खुद भारत के नेता यह मान रहे हैं कि पाकिस्तान ने राफेल विमान गिराया था। जबकि हकीकत यह है कि भारत सरकार और भारतीय सेना ने इस दावे को पहले ही खारिज कर दिया है और इस विषय में किसी तरह की पुष्टि नहीं की गई है।
 
 
राफेल विवाद: विपक्ष के सवाल और पाकिस्तान का प्रोपेगैंडा
 
 
1. अमरिंदर सिंह राजा व राफेल क्रैश का दावा
 
 
पाकिस्तानी चैनल 'दुनिया न्यूज' ने सांसद अमरिंदर सिंह राजा के एक बयान का हवाला देते हुए दावा किया कि भारत का एक राफेल विमान मई 2024 में पंजाब के बसियाना वायुसेना स्टेशन के पास गिरा था। चैनल के अनुसार, विमान के टुकड़े पर "BS-001" लिखा था, जिससे कथित रूप से राफेल की पहचान की गई।
 
 
इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि हादसे में एक व्यक्ति की मौत और नौ घायल हुए, जिससे पाकिस्तान ने अपने "राफेल गिराने" के दावे को सच बताने की कोशिश की।
 
 
2. गुरजीत सिंह औजला की मांग
 
 
अमृतसर से सांसद गुरजीत सिंह औजला ने संसद में मांग की थी कि भारत द्वारा खरीदे गए सभी 35 राफेल विमानों की ऑपरेशनल स्थिति को सार्वजनिक किया जाए। पाकिस्तानी मीडिया ने इस बयान को यह साबित करने की कोशिश में इस्तेमाल किया कि भारत खुद भी राफेल की स्थिति पर असमंजस में है।
 
 
अखिलेश यादव और प्रियंका गांधी के बयान:
 
पाकिस्तानी मीडिया के हथियार
 
 
समा टीवी ने अखिलेश यादव के ऑपरेशन महादेव पर दिए गए सवालों को प्रमुखता से प्रकाशित किया। उन्होंने मुठभेड़ की टाइमिंग, पुलवामा हमले में प्रयोग हुए आरडीएक्स और खुफिया एजेंसियों की विफलता को लेकर सवाल उठाए।
 
प्रियंका गांधी के बयान जिसमें उन्होंने मोदी सरकार पर ‘केवल श्रेय लेने और जिम्मेदारी से बचने’ का आरोप लगाया था को भी पाकिस्तान ने इस नैरेटिव के तौर पर इस्तेमाल किया कि भारत में खुद विपक्ष सरकार की सैन्य कार्रवाईयों पर सवाल उठा रहा है।
 
विपक्षी नेताओं का बयान पाकिस्तान में सुर्ख़ियाँ
 
 
भारत में लोकतंत्र की ताकत यह है कि संसद में सरकार से सवाल पूछे जाते हैं। लेकिन जब विपक्ष के बयान सीमापार जाकर दुश्मन देश के प्रोपेगैंडा हथियार बन जाएं, तब यह बहस राष्ट्रीय सुरक्षा के फ्रेमवर्क में देखने की जरूरत बन जाती है।
 
 
भारत के सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान की मीडिया और खुफिया एजेंसियां हर वह अवसर तलाशती हैं जब भारत के भीतर की आवाज़ों को उठा कर वैश्विक मंच पर भारत को बदनाम किया जा सके।
 
 
राफेल पर किए गए अनौपचारिक दावे, या प्रमाणहीन टिप्पणियां जब विदेशी मीडिया में चलती हैं तो भारत की रक्षा नीति की छवि पर असर डाल सकती हैं।
 
 
 संसद में PM मोदी का विपक्ष को जवाब
 
 
प्रधानमंत्री मोदी ने संसद में इस पूरे विवाद का कड़ा जवाब देते हुए विपक्ष पर आरोप लगाया कि उनके बयान पाकिस्तान की भाषा में बोले जा रहे हैं। उन्होंने खुलासा किया कि 9 मई की रात अमेरिका के उपराष्ट्रपति ने उन्हें फोन किया था और आगाह किया था कि पाकिस्तान कोई बड़ा हमला कर सकता है।
 
 
मोदी ने कहा—"अगर पाकिस्तान हमला करेगा, तो हम उससे बड़ा हमला करेंगे। यही मेरा जवाब था।"
 
 
प्रधानमंत्री के इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब सिर्फ रक्षात्मक नहीं, बल्कि निर्णायक और आक्रामक रणनीति पर चलता है।
 
 
 
 
सीमा पार साजिश को मिली ताकत
 
राफेल विवाद से यह स्पष्ट होता है कि विपक्ष को सरकार से सवाल पूछने का अधिकार तो है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विषयों पर बयानबाजी करते समय जिम्मेदारी भी उतनी ही जरूरी है।
 
 
भारत जैसे लोकतंत्र में संसद की बहस को एक हथियार बनाकर पाकिस्तान जैसा देश भारत के खिलाफ वैचारिक युद्ध छेड़ रहा है। ऐसे में यह जरूरी है कि विपक्ष और सरकार दोनों मिलकर एकता का प्रदर्शन करें कम से कम उन मुद्दों पर, जिनका सीधा संबंध भारत की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय छवि से है।