Pakistan News : तकनीकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट द्वारा पाकिस्तान में अपना ऑपरेशन बंद करने की खबर, केवल एक कॉर्पोरेट फैसला भर नहीं है यह एक गहरी चेतावनी है, एक संकेत है उस अस्थिरता का, जो किसी भी वैश्विक निवेशक को पीछे हटने पर मजबूर कर सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान में अपने अधिकांश संचालन बंद कर दिए हैं। सिर्फ एक कार्यालय में पांच कर्मचारी कार्यरत हैं। इस खबर की पुष्टि माइक्रोसॉफ्ट पाकिस्तान के संस्थापकों में शुमार जव्वाद रहमान ने खुद अपने लिंक्डइन पोस्ट के माध्यम से की।
रहमान का पोस्ट -
रहमान ने लिखा, "एक युग समाप्त हो गया।" उन्होंने याद किया कि 25 वर्ष पहले, जून के ही महीने में उन्हें पाकिस्तान में माइक्रोसॉफ्ट लॉन्च करने की ज़िम्मेदारी मिली थी। उनका यह भावनात्मक और चिंतनशील पोस्ट न केवल एक पेशेवर युग के अंत की घोषणा है, बल्कि यह पाकिस्तान के वर्तमान कारोबारी और राजनीतिक परिदृश्य पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाता है।
रहमान की पोस्ट में जो सबसे तीखी बात उभरती है, वह यह है, "एक ऐसा माहौल जिसमें माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी को भी अस्थिरता नजर आती है, वह देश किस ओर बढ़ रहा है?" यह सवाल सिर्फ एक कंपनी के बंद होने से नहीं उठता, बल्कि यह उस समूचे सिस्टम और मानसिकता पर उंगली उठाता है, जो प्रतिभा, निवेश और स्थिरता की कद्र करने में विफल साबित हो रही है।
वैश्विक छवि और निवेश पर गहरा आघात
यह विडंबना ही है कि जिस देश में एक समय माइक्रोसॉफ्ट ने तकनीकी विकास की शुरुआत की थी, वहां अब वह खुद को असुरक्षित और अवांछनीय महसूस कर रही है। पाकिस्तान की आईटी इंडस्ट्री के लिए यह झटका सिर्फ आर्थिक नहीं है यह उसकी वैश्विक छवि और निवेश के प्रति गंभीरता पर भी गहरा आघात है। टेक्नोलॉजी की दुनिया में जहां भारत, बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देश वैश्विक कंपनियों को आकर्षित कर रहे हैं, पाकिस्तान उस दिशा से उल्टा चल रहा है।
हालांकि माइक्रोसॉफ्ट की ओर से इस विषय पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन रहमान की पोस्ट में यह बात स्पष्ट है कि यह फैसला रातोंरात नहीं लिया गया। पहले ही संकेत दे दिए गए थे, कर्मचारियों को सूचित किया गया था। यानी कंपनी ने समापन की प्रक्रिया योजनाबद्ध ढंग से की।
रहमान की एक और टिप्पणी गौर करने योग्य है, "अल्लाह जिसे चाहे, इज्जत और मौके देता है… और जिससे चाहे, वो इन्हें वापस भी ले सकता है, खासकर जब कोई इनकी कद्र करना भूल जाए।"
यह पंक्ति न केवल भावुकता से भरी है, बल्कि यह पाकिस्तान के नीति-निर्माताओं के लिए चेतावनी भी है कि वे अवसरों और संभावनाओं की कद्र करना सीखें, वरना वे एक-एक कर उनसे हाथ धो बैठेंगे। रहमान ने पाकिस्तान के आईटी मंत्री और सरकार से अपील की है कि वे माइक्रोसॉफ्ट के वैश्विक नेतृत्व से संपर्क करें और कंपनी को पाकिस्तान में बने रहने के लिए मनाएं। लेकिन सवाल यह हैक्या अब यह अपील बहुत देर से आ रही है?
निष्कर्ष:
माइक्रोसॉफ्ट की पाकिस्तान से कथित वापसी कोई साधारण घटना नहीं है। यह उस गिरते हुए भरोसे की कहानी है, जो किसी देश के आर्थिक भविष्य का निर्धारण करता है। तकनीकी जगत में यह एक wake-up call है, पाकिस्तान के लिए भी और अन्य देशों के लिए भी जो व्यापारिक स्थिरता को हल्के में लेते हैं।
अब देखना यह होगा कि पाकिस्तान की सरकार इस घटनाक्रम से कोई सबक लेती है या नहीं। क्या यह चेतावनी उन्हें सुधार की दिशा में प्रेरित करेगी? या फिर यह भी उन अनगिनत मौकों में शामिल हो जाएगी, जो देश के हाथ से फिसलते चले गए?