📰 आज लोकसभा में पेश होंगे दो अहम विधेयक: मंत्री या मुख्यमंत्री 30 दिन जेल में रहने पर पद से होंगे बर्ख़ास्त नई दिल्ली, 20 अगस्त 2025: संसद के मानसून सत्र में आज केंद्र सरकार दो महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने जा रही है। इनका सीधा असर जम्मू-कश्मीर और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों (जैसे दिल्ली, पुडुचेरी आदि) की सरकारों पर पड़ेगा। दोनों विधेयकों का मकसद है—यदि कोई मंत्री या मुख्यमंत्री गंभीर आरोपों में लंबे समय तक जेल में रहता है, तो वह पद पर नहीं बना रह सकेगा।
1. जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025
यह विधेयक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है।
मुख्य प्रावधान:
• यदि कोई मंत्री या मुख्यमंत्री लगातार 30 दिन जेल में रहता है,
• और उस पर ऐसा अपराध आरोपित है जिसकी सज़ा 5 साल या उससे ज्यादा हो सकती है,
• तो उसे पद से हटा दिया जाएगा।
प्रक्रिया:
• मंत्री को हटाने के लिए उपराज्यपाल (LG) मुख्यमंत्री की सलाह पर कार्रवाई करेंगे।
• अगर मामला मुख्यमंत्री का है, तो उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) की सलाह पर उन्हें हटा देंगे।
• अगर मंत्रिपरिषद 30 दिन तक कोई सलाह न दे, तो उपराज्यपाल खुद मुख्यमंत्री को हटा सकते हैं।
• बरी होने या परिस्थिति बदलने पर वही व्यक्ति बाद में फिर से मंत्री या मुख्यमंत्री नियुक्त हो सकता है।
📌 मतलब: जम्मू-कश्मीर में किसी भी मंत्री या मुख्यमंत्री पर गंभीर आपराधिक आरोप लगने और 30 दिन तक जेल में रहने की स्थिति में उसे पद छोड़ना ही होगा।
2. केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक, 2025
यह विधेयक केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम, 1963 में संशोधन करता है और इसमें भी वही प्रावधान शामिल है।
मुख्य प्रावधान:
• किसी भी केंद्र शासित प्रदेश (जैसे दिल्ली, पुडुचेरी) का मंत्री या मुख्यमंत्री अगर लगातार 30 दिन तक जेल में है,
• और आरोपित अपराध की सज़ा 5 साल या उससे अधिक हो सकती है,
• तो उसे पद से हटा दिया जाएगा।
प्रक्रिया:
• मंत्री को हटाने के लिए LG मुख्यमंत्री की सलाह लेंगे।
• मुख्यमंत्री को हटाने के लिए LG मंत्रिपरिषद की सलाह पर या आवश्यकता पड़ने पर स्वतः कार्रवाई करेंगे।
• बाद में वही व्यक्ति दोबारा मंत्री या मुख्यमंत्री बन सकता है।
📌 मतलब: अब यह नियम सभी केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होगा।
दोनों विधेयकों का साझा उद्देश्य
सरकार का कहना है कि इन प्रावधानों से शासन की ईमानदारी और दक्षता बनी रहेगी। अगर कोई मंत्री या मुख्यमंत्री गंभीर आपराधिक आरोपों में लंबे समय तक जेल में है, तो वह सरकार चलाने की स्थिति में नहीं रहना चाहिए।
👉 इन दोनों विधेयकों के पेश होने के बाद संसद में इस पर गहन बहस की उम्मीद है, क्योंकि इसका सीधा असर जम्मू-कश्मीर, दिल्ली और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की राजनीति पर पड़ेगा।
क्या आप चाहेंगे कि मैं इसी खबर में इन विधेयकों के संभावित फायदे और चुनौतियाँ (pros & cons) भी जोड़ दूँ, ताकि यह एक पूरा विश्लेषणात्मक रिपोर्ट बन जाए? यदि कोई मंत्री या मुख्यमंत्री लगातार 30 दिन जेल में रहता है,
• और उस पर ऐसा अपराध आरोपित है जिसकी सज़ा 5 साल या उससे ज्यादा हो सकती है,
• तो उसे पद से हटा दिया जाएगा।
प्रक्रिया:
• मंत्री को हटाने के लिए उपराज्यपाल (LG) मुख्यमंत्री की सलाह पर कार्रवाई करेंगे।
• अगर मामला मुख्यमंत्री का है, तो उपराज्यपाल मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) की सलाह पर उन्हें हटा देंगे।
• अगर मंत्रिपरिषद 30 दिन तक कोई सलाह न दे, तो उपराज्यपाल खुद मुख्यमंत्री को हटा सकते हैं।
• बरी होने या परिस्थिति बदलने पर वही व्यक्ति बाद में फिर से मंत्री या मुख्यमंत्री नियुक्त हो सकता है।
मतलब: जम्मू कश्मीर में किसी भी मंत्री या मुख्यमंत्री पर गंभीर आपराधिक आरोप लगने और 30 दिन तक जेल में रहने की स्थिति में उसे पद छोड़ना ही होगा।
2. केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक, 2025
यह विधेयक केंद्र शासित प्रदेश अधिनियम, 1963 में संशोधन करता है और इसमें भी वही प्रावधान शामिल है।
मुख्य प्रावधान:
• किसी भी केंद्र शासित प्रदेश (जैसे दिल्ली, पुडुचेरी) का मंत्री या मुख्यमंत्री अगर लगातार 30 दिन तक जेल में है,
• और आरोपित अपराध की सज़ा 5 साल या उससे अधिक हो सकती है,
• तो उसे पद से हटा दिया जाएगा।
प्रक्रिया:
• मंत्री को हटाने के लिए LG मुख्यमंत्री की सलाह लेंगे।
• मुख्यमंत्री को हटाने के लिए LG मंत्रिपरिषद की सलाह पर या आवश्यकता पड़ने पर स्वतः कार्रवाई करेंगे।
• बाद में वही व्यक्ति दोबारा मंत्री या मुख्यमंत्री बन सकता है।
मतलब: अब यह नियम सभी केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होगा।
दोनों विधेयकों का साझा उद्देश्य
सरकार का कहना है कि इन प्रावधानों से शासन की ईमानदारी और दक्षता बनी रहेगी। अगर कोई मंत्री या मुख्यमंत्री गंभीर आपराधिक आरोपों में लंबे समय तक जेल में है, तो वह सरकार चलाने की स्थिति में नहीं रहना चाहिए।
👉 इन दोनों विधेयकों के पेश होने के बाद संसद में इस पर गहन बहस की उम्मीद है, क्योंकि इसका सीधा असर जम्मू कश्मीर, दिल्ली और अन्य केंद्र शासित प्रदेशों की राजनीति पर पड़ेगा।