लद्दाख हिंसा: सोनम वांगचुक पर गंभीर आरोप, कांग्रेस की भूमिका पर उठे सवाल; अरब स्प्रिंग से विदेशी फंडिंग तक BJP का बड़ा हमला

    27-सितंबर-2025
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Sonam Wangchuk foreign funding 
 
सबसे शांत इलाका कहे जाने वाले लद्दाख के लेह ज़िले में 24 सितंबर को अचानक हिंसा भड़क उठी। प्रदर्शनकारी युवाओं ने पत्थरबाज़ी की, पुलिस से झड़प की और बीजेपी कार्यालय में आग लगा दी। इस हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई और करीब 80 लोग घायल हो गए। हालात को देखते हुए लद्दाख और करगिल में बीएनएसएस की धारा 163 लागू कर दी गई।
 
वहीं, भड़काऊ बयानबाज़ी के आरोप में पुलिस ने फिलहाल पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को गिरफ्तार कर लिया है।
 
दरअसल, हिंसा उस आंदोलन से जुड़ी है, जिसमें सोनम वांगचुक लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने और उसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। लेकिन गृह मंत्रालय का कहना है कि वांगचुक ने अपने भाषणों में अरब स्प्रिंग और नेपाल के Gen Z प्रदर्शनोंका उल्लेख करके भीड़ को भड़काया।
 
अमित मालवीय के गंभीर आरोप
 
बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने हिंसा को लेकर सोनम वांगचुक और कांग्रेस दोनों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने X (पूर्व में ट्विटर) पर कई पोस्ट करते हुए कहा कि इस हिंसा के पीछे कांग्रेस और वांगचुक की साज़िश है।
 
अमित मालवीय ने अपने पोस्ट में तस्वीरें और वीडियो शेयर किए और आरोप लगाया कि हिंसा में शामिल एक शख्स लेह वार्ड का कांग्रेस पार्षद है। बीजेपी का दावा है कि हाल ही में राहुल गांधी ने Gen Z युवाओं का ज़िक्र किया था, और उसी एजेंडे के तहत यह हिंसक आंदोलन भड़काया गया।
 
 
NGO पर विदेशी फंडिंग के आरोप
 
अमित मालवीय ने यह भी दावा किया कि सोनम वांगचुक की NGO और निजी संस्थानों में भारी वित्तीय गड़बड़ियां पाई गई हैं।
 
प्रमुख वित्तीय आरोप:
 
हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (HIAL) दान राशि अचानक ₹6 करोड़ (AY 2023–24) से बढ़कर ₹15 करोड़ (AY 2024–25) हो गई।


7 बैंक खाते, जिनमें से 4 घोषित नहीं। बिना FCRA रजिस्ट्रेशन के ₹1.5 करोड़ से अधिक की विदेशी फंडिंग।


2020–21 और 2021–22 में "विदेशी आय शून्य" घोषित की गई, जबकि फंड मिला।

HIAL से ₹6.5 करोड़ शेश्योन इनोवेशंस प्रा. लि. में ट्रांसफर, पर काम का सबूत नहीं।
SECMOL (Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh) NGO के 9 खाते, जिनमें से 6 घोषित नहीं।
शेश्योन इनोवेशंस प्राइवेट लिमिटेड डायरेक्टर: सोनम वांगचुक और गीता अंजलि जेबी।

टर्नओवर ₹9.85 करोड़ (AY 2024–25), मुनाफा केवल 1.14%।
 
HIAL से बड़े पैमाने पर फंड ट्रांसफर, हितों के टकराव के सवाल।
 
 
सोनम वांगचुक (निजी खाते)
 
9 खाते, जिनमें से 8 घोषित नहीं।
2018–24 में ₹1.68 करोड़ विदेशी धनराशि सीधे निजी खातों में।
₹2.3 करोड़ विदेश भेजी गई, गंतव्य अज्ञात → मनी लॉन्ड्रिंग की आशंका।
 
CSR फंडिंग
 
कॉरपोरेट और PSUs से भारी फंड लिया गया, जबकि सार्वजनिक मंचों पर इन्हीं पर सवाल उठाए जाते रहे।
 
NGO फंड का निजी कंपनी की ओर डायवर्जन पाया गया।
 
 
 
 
 
 
हिंसा में कांग्रेस और वांगचुक की भूमिका?
 
अमित मालवीय का दावा है कि सोनम वांगचुक ने 10 सितंबर को भीड़ को भड़काया और कांग्रेस की मदद से 24 सितंबर को लेह को हिंसा की ओर धकेल दिया।
 
 
23 सितंबर 2025 को कांग्रेस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में काउंसलर स्मनला दोर्जे नोरबू ने खुलेआम कहा:
 

“आप चाहे हजारों-लाखों CRPF तैनात कर दीजिए, मेरे खिलाफ कोई भी FIR दर्ज कर लीजिए, लेकिन मैं बीजेपी दफ़्तर जाकर पत्थरबाज़ी करूंगा।”
 
 
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस नेता त्सेरिंग नामग्याल, तुंडुप नोरबू चीटा समेत कई नेता मौजूद थे।
 
 
सासपोल से कांग्रेस काउंसलर स्मनला दोर्जे नोरबू का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें वह युवाओं को हिंसा के लिए भड़का रहा है।
 
 
मालवीय ने आरोप लगाया कि कांग्रेस अपने काउंसलर फुंतसोग स्टैंजिन त्सेपग का बचाव कर रही है, जो पहले भी अपराधों में शामिल रहा है और हिंसा के बाद भूमिगत हो गया।
 
 
 
 
एक अन्य वीडियो में नब्रा के पूर्व कांग्रेस विधायक देलदन नामग्याल को भी प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व करते देखा गया। स्पष्ट है कि कांग्रेस और सोनम वांगचुक पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
 
गृह मंत्रालय का बयान
 
गृह मंत्रालय ने कहा कि सरकार लगातार संवाद की प्रक्रिया में लगी थी।
लद्दाख में ST आरक्षण 45% से बढ़ाकर 84% किया गया।
परिषदों में महिलाओं को 1/3 आरक्षण दिया गया।
भोटी और पुर्गी भाषाओं को आधिकारिक मान्यता दी गई।
1800 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू हुई।
 
 
लेकिन इसके बावजूद वांगचुक ने अरब स्प्रिंग और Gen Z का हवाला देकर भीड़ को उकसाया। हिंसा में पुलिस के 30 से अधिक जवान घायल हुए और भीड़ को काबू करने के लिए आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी।
 
हिंसा की पृष्ठभूमि
 
10 सितंबर को वांगचुक ने भूख हड़ताल शुरू की थी। उनकी चार मुख्य मांगें थीं: लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा। छठी अनुसूची के तहत संवैधानिक सुरक्षा। लेह और कारगिल को अलग-अलग लोकसभा सीट।
 
नौकरियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता। इन मुद्दों पर सरकार से 6 अक्टूबर को बैठक तय थी, लेकिन उससे पहले ही हिंसा भड़क उठी।
  
छठी अनुसूची क्या है?
 
संविधान की छठी अनुसूची में Self-Governance की व्यवस्था है।
 
असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिज़ोरम के जनजातीय क्षेत्रों के लिए Autonomous District Councils का प्रावधान है।
 
इन परिषदों को स्थानीय ज़मीन, जंगल, संस्कृति और प्रशासन से जुड़े नियम बनाने का अधिकार मिलता है।
वांगचुक और उनके समर्थक चाहते हैं कि लद्दाख को भी यही अधिकार मिले।
 
लद्दाख में 97% आबादी अनुसूचित जनजाति की है, यही तर्क इस मांग के पीछे दिया जा रहा है।
 
2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग जारी है। लेकिन यह क्षेत्र भारत की चीन से लगने वाली 1,597 किमी लंबी LAC के कारण अत्यंत संवेदनशील है। ऐसे में हिंसक आंदोलन और विदेशी फंडिंग के आरोप भारत की सुरक्षा के लिहाज से बेहद गंभीर हैं।
 
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब केंद्र सरकार बातचीत के लिए तैयार थी, तब हिंसा क्यों भड़की और इसे किसने योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया?