पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान इस समय न सिर्फ जेल की सलाखों के पीछे हैं, बल्कि गंभीर स्वास्थ्य समस्या टिनिटस (Tinnitus) से भी जूझ रहे हैं। यह बीमारी कानों में लगातार घंटी बजने, भिनभिनाहट या सीटी जैसी आवाज़ सुनाई देने से जुड़ी होती है।
चिकित्सा विज्ञान में इसे हल्के में नहीं लिया जाता, क्योंकि लंबे समय तक इलाज न मिलने पर यह नींद की कमी, तनाव, सुनने की क्षमता घटने और मानसिक रोग तक की वजह बन सकती है। लेकिन पाकिस्तान में यह बीमारी अब सिर्फ एक चिकित्सीय समस्या नहीं, बल्कि राजनीतिक हथियार बन चुकी है।
टिनिटस क्या है और इसके लक्षण?
कान में लगातार अंदरूनी आवाज़ें सुनाई देना – घंटी, भिनभिनाहट, सीटी या मशीन जैसी ध्वनि।
यह आवाज़ें बाहरी वातावरण में मौजूद नहीं होतीं, सिर्फ रोगी को सुनाई देती हैं।
नींद न आना, चिड़चिड़ापन और मानसिक थकान।
लंबे समय तक रहने पर सुनने की शक्ति कम होना या स्थायी बहरापन भी हो सकता है।
टिनिटस कितना ख़तरनाक है?
लगातार तनाव और अवसाद का कारण। उच्च रक्तचाप, हृदय की धड़कनों की अनियमितता और न्यूरोलॉजिकल दिक़्क़तें बढ़ा सकता है। जिन लोगों को पहले से मानसिक दबाव है, उनके लिए यह बेहद घातक हो सकता है।
उपचार क्या है?
कान की जांच (Hearing Test, Audiometry)।
दवाओं से लक्षणों को नियंत्रित किया जाता है – जैसे एंटी-एंग्ज़ायटी और ब्लड सर्कुलेशन सुधारने वाली दवाएँ।
साउंड थेरेपी या नॉइज़ मशीन से राहत दी जाती है।
तनाव कम करने के लिए योग, मेडिटेशन और काउंसलिंग भी अहम माने जाते हैं।
यानी यह बीमारी गंभीर है लेकिन सही इलाज मिलने पर कंट्रोल की जा सकती है।
इमरान ख़ान और टिनिटस: बीमारी या बहाना?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इमरान ख़ान को यह समस्या 2024 से है, लेकिन जेल जाने के बाद उनकी स्थिति और बिगड़ गई है। उनकी नियमित जांच और दवाओं की मांग की गई, लेकिन पाकिस्तानी जेल प्रशासन ने इसमें जानबूझकर लापरवाही बरती।
अगस्त 2024 में अडियाला जेल में जांच हुई, जहां चक्कर, सिर भारीपन और कानों की तकलीफ़ की पुष्टि हुई। रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्हें दवा दी गई है, पर असलियत यह है कि जेल में उन्हें जरूरी मेडिकल सुविधाएँ तक सही ढंग से नहीं मिल रहीं। जेल में स्पेशल मेडिकल टेस्ट की अनुमति देर से दी गई।
डाक्टरों की सलाह को नजरअंदाज किया गया। इमरान को शोरगुल और तनावपूर्ण माहौल में रखा गया, जिससे टिनिटस की स्थिति और खराब हुई। क्या यह सब सिर्फ बदइंतज़ामी थी, या फिर सुनियोजित राजनीतिक साज़िश?
आर्मी और सरकार की बेरहम राजनीति
पाकिस्तान की आर्मी और शरीफ़ सरकार पर पहले ही आरोप लगते रहे हैं कि वे इमरान ख़ान को राजनीतिक रूप से खत्म करने के लिए हर हद पार कर रहे हैं।
अब यह साफ दिख रहा है कि बीमारी को भी राजनीतिक हथियार बना लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को दरकिनार करके भी इमरान को राहत नहीं दी जा रही।
जेल में मेडिकल सुविधाएँ न देना, एक तरह से धीरे-धीरे कमजोर करने की रणनीति है। इमरान की बीमारी को लेकर मीडिया में पर्दा डालने की कोशिश हो रही है।
यह घटना बताती है कि पाकिस्तान में लोकतंत्र नाम की चीज़ सिर्फ दिखावा है। जहाँ एक ओर आम नागरिकों की आवाज़ दबाई जाती है, वहीं दूसरी ओर पूर्व प्रधानमंत्री को भी इलाज तक नहीं दिया जाता। यह न सिर्फ मानवाधिकारों का उल्लंघन है बल्कि पाकिस्तानी सत्ता का असली चेहरा भी उजागर करता है।
इमरान ख़ान की बीमारी टिनिटस गंभीर है और इसे चिकित्सा सहायता मिलनी चाहिए थी। लेकिन पाकिस्तान की सत्ता ने इसे राजनीतिक हथियार बना दिया है। आर्मी और सरकार का मकसद साफ है इमरान को शारीरिक और मानसिक रूप से इतना तोड़ देना कि वे राजनीति में दोबारा खड़े ही न हो सकें।
यह खेल सिर्फ इमरान ख़ान के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह पूरे पाकिस्तान की जनता के खिलाफ है, जो अपने नेताओं को गिरते और टूटते देख रही है। सवाल यह है कि क्या पाकिस्तान में बीमारी भी अब लोकतंत्र का गला घोंटने का नया हथियार बन गई है?